प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के जरिए इस समय देश के करोड़ों लोगों कोमुफ्त अनाज मिल रहा है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में यह योजना सत्ताधारी पार्टीबीजेपी के लिए बहुत फायदेमंद भी साबित हुई. माना जाता है कि इन राज्यों की सत्तामें अगर बीजेपी की वापसी हुई तो उसके पीछे की एक बड़ी वजह यह योजना भी थी. लल्लनटॉपकी चुनावी यात्रा के दौरान भी लोग इस योजना की चर्चा करते दिखे थे.लेकिन, आज हम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का जिक्र इसलिए कर रहे हैं, क्योंकिखाद्य मामलों पर बनी संसद की स्थायी समिति ने इसे लेकर मंगलवार, 22 मार्च को अपनीएक रिपोर्ट जारी की है. इसमें तमाम सिफारिशों के साथ खाद्य मंत्रालय से योजना कामूल्यांकन करने को कहा गया है. इसमें कहा गया है कि इस मूल्यांकन के तहत यह पताकिया जाए कि इस योजना से किस हद तक लाभार्थियों को मदद मिली और इसे आगे कितने समयतक जारी रखने की जरूरत है.'मूल्यांकन जरूरी था, जो नहीं किया गया'इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक लोकसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में स्थायी समितिने फ्री राशन स्कीम को लेकर मोदी सरकार की तारीफ की है. रिपोर्ट में कहा गया है,'कोविड-19 महामारी ने पूरे देश को कई तरह से प्रभावित किया है. इसने लोगों के जीवनऔर उनकी आजीविका को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से नुकसान पहुंचाया है. इसने समाजके सबसे कमजोर तबके को झकझोर कर रख दिया...प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से इनलोगों को बड़ी राहत मिली.' हालांकि, समिति ने साफ़ शब्दों में ये भी कहा है कि खाद्यमंत्रालय को साल 2020 में शुरू की गई इस योजना का मूल्यांकन करना चाहिए था, क्योंकिमूल्यांकन से ही ये पता चलता कि जिस मकसद से योजना शुरू की गई थी, क्या वह पूराहुआ?इस योजना के तहत हर महीने प्रति व्यक्ति 4 किलोग्राम गेहूं और 1 किलोग्राम चावलमुफ्त दिया जाता हैयोजना के बजट को लेकर समिति चिंतित!प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के बजट को लेकर संसदीय समिति काफी चिंतित भी नजरआई. योजना के भारी बजट को लेकर समिति ने कई बातें कही हैं. समिति का मानना है कि इसयोजना के तहत दी जा रही सब्सिडी अभी भी बहुत ज्यादा है, इसे अभी और कम करने कीगुंजाइश है और इसलिए खाद्य मंत्रालय इसे घटाने पर विचार करे. हालांकि, समिति ने आगेयह भी जोड़ा है कि बजट घटाते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि योजना के लाभार्थियोंकी जो डिमांड है, उसमें कमी न हो और न ही कोविड से निपटने की तैयारियों से कोईसमझौता किया जाए.टीएमसी सांसद सुदीप बंधोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खाद्य मामलों की स्थाई समिति नेभारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पर बढ़ते आर्थिक बोझ को लेकर भी चिंता जताई है. समिति नेअपनी रिपोर्ट में इसे लेकर कहा है, 'समिति इस बात को लेकर चिंतित है कि भारतीयखाद्य निगम (एफसीआई) ने ग्रामीण विकास मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय कोविभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनाज मुहैया करवाया, इसका पेमेंट इन मंत्रालयोंने अभी तक नहीं किया है...समिति का मानना है कि पिछले कुछ सालों की बकाया राशि सेएफसीआई के कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा और इससे खाद्य सब्सिडी बिल बढ़ता चला जाएगा.'क्या मार्च 2022 के बाद फ्री राशन योजना बंद होगी?प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को मार्च 2020 में कोविड संकट के दौरान लागू कियागया था. इस योजना का लाभ देश के 80 करोड़ लोगों को मिलता है. इसके तहत बीपीएल कार्डवाले परिवारों को हर महीने प्रति व्यक्ति 4 किलोग्राम गेहूं और 1 किलोग्राम चावलमुफ्त दिया जाता है. देश में नवंबर 2022 में कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट का असर बढ़नेके बाद सरकार ने इस योजना को दिसंबर, 2021 से मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया था.इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पिछले दिनों खाद्य मामलों की स्थायी समिति ने मार्च2022 के बाद इस योजना को बढ़ाने के बारे में खाद्य मंत्रालय से सवाल किया था. जिसपरमंत्रालय ने स्थायी समिति को जानकारी देते हुए बताया था कि 'कोविड-19 की मौजूदास्थिति के आधार पर' ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को 31 मार्च, 2022 से आगेबढ़ाने पर विचार किया जाएगा.