Farmers Protest: दिल्ली की ओर बढ़े किसानों के ट्रैक्टर, जगह-जगह सिक्योरिटी, सरकार क्या बोली?
Farmers Protest: किसान संगठनों के साथ सोमवार को हुई केंद्र सरकार की बातचीत बेनतीजा रही. उधर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बयान जारी करके कहा है कि उन्होंने किसानों से 'दिल्ली चलो' की अपील नहीं की.
पंजाब-हरियाणा के किसानों का आंदोलन (Delhi Chalo) 13 फरवरी को दिल्ली पहुंच सकता है. सरकार और किसानों के बीच चंडीगढ़ में हुई बातचीत बेनतीजा रही. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बात नहीं बन पाई. लगभग 5 घंटे की बातचीत के बाद किसानों ने दिल्ली कूच करने का फैसला किया. मार्च को ध्यान में रखते हुए दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. वहां धारा 144 लगाया गया है.
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, किसानों के साथ हुई बैठक में सरकार की तरफ से केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal), कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) और अधिकारी शामिल हुए. किसानों की तरफ से इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के समन्वयक सरवन सिंह पंढेर शामिल थे.
बैठक से निकलने के बाद डल्लेवाल ने कहा कि बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. उन्होंने कहा कि किसानों का विरोध जारी रहेगा. 13 फरवरी की सुबह 10 बजे वो दिल्ली की ओर बढ़ेंगे. उन्होंने आगे कहा कि सरकार के पास नया कुछ नहीं है. सरकार के पास पुराने प्रस्ताव ही हैं. डल्लेवाल ने कहा कि सरकार किसानों का समय बर्बाद करना चाहती है.
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इस दौरान सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसानों ने मंत्रियों से बातचीत में किसी नतीजे तक पहुंचने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि किसानों के पक्ष में कोई बात नहीं आई.
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि सरकार हर मसले को बातचीत से सुलझाना चाहती है. उन्होंने कहा कि बातचीत में अधिकांश मुद्दों पर बात बन गई है. कुछ मुद्दों पर पैनल बनाने की भी बात रखी गई है. मुंडा ने कहा कि उन्होंने कहा कि उन्हें अभी भी उम्मीद है. हम अब भी बातचीत करना चाहते हैं.
दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर सुरक्षा कर्मियों की भारी तैनाती की गई है. 12 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने अगले एक महीने के लिए ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों के साथ शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही सार्वजनिक बैठकों पर भी रोक लगा दी गई है.
किसानों ने 16 फरवरी को ‘ग्रामीण भारत बंद’ की भी घोषणा की है.
फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, किसानों की एक प्रमुख मांग है. इसके अलावा उनकी मांगों में किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, किसाने के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेना, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करना, विश्व व्यापार संगठन से वापसी, पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा शामिल है.
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