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Facebook का नाम बदलने के बाद क्या अब आपका अकाउंट Meta पर खुलेगा?

इससे फेसबुक पर क्या कुछ फर्क पड़ने वाला है?

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फेसबुक लंबे समय से सवालों के घेरे में हैं. ऐसे में कंपनी ने अब ग्रुप का नाम बदलने का फैसला लिया है. सीईओ मार्क जकरबर्ग ने इसका ऐलान किया.
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अमित
29 अक्तूबर 2021 (Updated: 28 अक्तूबर 2021, 05:20 IST)
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सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (Facebook) ने अपना नाम बदल लिया है. अब इसका नाम होगा मेटा (Meta). गुरुवार 28 अक्टूबर को इस बात की घोषणा फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने की. आइए बताते हैं कि जकरबर्ग का ऐसा करने के पीछे क्या मकसद है. क्या इससे फेसबुक में कोई बदलाव होगा? दरअसल, फेसबुक को अब तक एक सोशल मीडिया कंपनी माना जाता रहा है, वहीं मेटा एक सोशल टेक्नॉलजी कंपनी होगी. फेसबुक की तरह के दूसरे कई प्रोडक्ट अब मेटा ब्रैंड की छतरी के नीचे आएंगे. कहने का मतलब ये कि आपका फेसबुक अकाउंट पहले की तरह ही खुलेगा. बस फेसबुक ने अपनी बाकी कंपनियों को मिलाकर एक बड़ी कंपनी Meta बना ली है. मार्क जकरबर्ग ने कंपनी ने कनेक्ट वर्चुअल रियलिटी कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम जो कुछ भी करते हैं, उसे शामिल करने के लिए एक नया कंपनी ब्रांड अपनाने का समय आ गया है. अब हम मेटावर्स होने जा रहे हैं, फेसबुक नहीं. उनका ये भी कहना था कि मेटावर्स ही मोबाइल इंटरनेट का भविष्य होगा. असल में फेसबुक अब एक खास प्रोडक्ट मेटावर्स को लॉन्च करने की तैयारी में है. इसमें वर्चुअल रिएलिटी और ऑग्मेंटेड रिएलिटी को जोड़कर एक खास वर्चुअल दुनिया रची जाएगी. मेटावर्स, मतलब वो दुनिया जो असल नहीं है लेकिन तकनीक उसे असल जितनी ही साक्षात बना देती है. ऑग्मेंटेड रिएलिटी को वर्चुअल रिएलिटी का ही अडवांस रूप कहा जाता है. इस तकनीक में आपके आसपास के वातावरण से मेल खाता ऐसा माहौल रच दिया जाता है जो वास्तविक सा मालूम पड़ता है. मेटावर्स की तरफ बढ़ रहा है फेसबुक कंपनी का भविष्य 'मेटावर्स' में है, ये बात फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने जुलाई 2021 में भी कही थी. फेसबुक जो लक्ष्य बना रहा है, वह एक अल्फाबेट इंक जैसी होल्डिंग कंपनी है. इसके जरिए इंस्टाग्राम, वॉट्सएप, ओकुलस और मैसेंजर जैसे कई सोशल नेटवर्किंग ऐप को वह अपने भीतर रखेगी. बता दें कि साल 2015 में गूगल ने अपना नाम बदलकर अल्फाबेट इंक रखा था, अब गूगल और इसके दूसरे प्रोडक्ट्स इसी में आते हैं. 18 अक्टूबर को फेसबुक ने बताया था कि वह अगले पांच साल में यूरोपीय यूनियन देशों में 10,000 लोगों को काम पर रखने की योजना बना रहा है ताकि मेटावर्स बनाने में मदद मिल सके. मेटावर्स (metaverse) एक नई ऑनलाइन दुनिया है, जहां लोग शेयर्ड वर्चुअल स्पेस में कनेक्ट हो सकेंगे. मतलब ऑनलाइन दुनिया में एकदूसरे से साक्षात जुड़ सकेंगे. फेसबुक ने वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑग्मेंटेड रियलिटी (AR) में भारी निवेश किया है. वह अपने लगभग तीन अरब यूजर्स को कई डिवाइसेस और ऐप्स के माध्यम से जोड़ने का इरादा रखता है. ये भी पढ़ेंः Facebook ऐसा क्या बनाने जा रहा है कि दुनिया अभी से हिली हुई है?क्यों बदलना पड़ा नाम? फेसबुक भले ही इसे एक सोशल मीडिया कंपनी से सोशल टेक्नॉलजी कंपनी की तरफ बढ़ने वाला कदम बता रहा हो लेकिन जानकार इसे दूसरे नजरिए से देख रहे हैं. उनका मानना है कि फेसबुक इस वक्त स्क्रूटनी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. पिछले कुछ सालों में फेसबुक पर प्राइवेसी के हनन से लेकर हेट स्पीच को बढ़ावा देने और फेक न्यूज पर एक्शन न लेने तक के कई गंभीर आरोप लगे हैं. इससे कंपनी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है. हाल ही में फेसबुक की कर्मचारी रही फ्रैंसिस ह्यूगेन ने कंपनी के काम करने के तरीके को लेकर बड़े खुलासे किए थे. उसने बताया था कि कंपनी को पता था कि हेट स्पीच और फेक न्यूज़ को रोकने का कोई मैकेनिजम काम नहीं कर रहा, फिर भी उसने कोई एक्शन नहीं लिया. न्यू यॉर्क टाइम्स में छपे लेख के मुताबिक, कंपनी ने भले ही अपना नाम बदल लिया है लेकिन मूल रूप से कंपनी में कुछ बदल नहीं रहा है. इसका कारण ये है कि कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग ही रहेंगे. सभी मुख्य अधिकारियों की जिम्मेदारी भी पहले जैसी ही रहेंगी. कंपनी फिलहाल फेसबुक में कोई नया बदलाव नहीं करने जा रही है. ये सिर्फ एक बुरी इमेज से बाहर आने की एक कसरत भर लग रही है.

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