देश के छह करोड़ कर्मचारियों को केंद्र सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है. कर्मचारियोंके पीएफ पर साल 2018-19 के दौरान अब 8.55 के बजाय 8.65 फीसदी ब्याज मिलेगा. इसी सालफरवरी में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO ने कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंडपर 0.10 फीसदी ब्याज ज्यादा देने का फैसला लिया था. साल 2016 से पीएफ पर 8.55 फीसदीब्याज मिल रहा था. ब्याज दर बढ़ाने का फैसला फरवरी में केंद्रीय श्रम राज्यमंत्रीसंतोष गंगवार की अध्यक्षता वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन न्यासी बोर्ड ने लियाथा. ये बोर्ड ही हर साल कर्मचारियों की जमा भविष्य़ निधि की ब्याज दर पर फैसला लेताहै. बोर्ड के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय मंजूरी देता है. इसके बाद ब्याज दर कोखाताधारक या अंशधारक के खाते में डाला जाता है. जिस पर सात महीने बाद वित्तमंत्रालय ने मुहर लगा दी है.कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाता धारकों के लिए खुशखबरी- वित्त वर्ष 2018-19 केलिए कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर मिलेगा 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज। लगभग 6 करोड़सदस्यों को मिलेगा बढ़ी हुई ब्याज दर का लाभ#EPFOpic.twitter.com/MwuFYkzHW5— Ministry of Labour (@LabourMinistry) September 24, 2019पहले कितनी ब्याज दर मिल रही थी?साल 2012-13 में पीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज मिलता था. फिर 2014-15 में ये 8.75 फीसदीहो गई. 2015-16 में ब्याज दर बढ़कर 8.8 फीसदी हो गई थी. फिर 16-17 में इसे 8.55फीसदी कर दिया गया था. तब से यही ब्याज दर चल रही थी. 2019 के आम चुनाव के मद्देनजरमाना जा रहा था कि ये ब्याज दर स्थिर रह सकती है या बढ़ाई जा सकती है. जिसकेबाद फरवरी में ईपीएफओ ने इसे बढ़ाने का फैसला किया था.कर्मचारी को एक उम्र के बाद पेंशन मिलती है. इसके लिए 10 साल नौकरी जरूरी है.सांकेतिक तस्वीर. रॉयटर्स.क्या होता है ईपीएफओ? कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ साल 1951 में बना.कर्मचारियों के लिए. इसके ऑफिस में ऐसी सभी कंपनियों को अपना रजिस्ट्रेशन करानाहोता है, जहां 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. हर कंपनी के लिए ये ज़रूरी होताहै कि वो कर्मचारियों का एक पीएफ खाता खुलवाए. और फिर उसमें कुछ पैसा जमा कराए.इसका मकसद निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को एक सामाजिक सुरक्षा देनाहै. मतलब ये कि इस पैसे से कर्मचारियों के भविष्य की जरूरतों के लिए कुछ पैसों कीबचत हो जाती है.कैसे जमा होता है पैसा? किसी भी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी का हर महीने कुछपैसा काटा जाता है. ये बेसिक सैलरी का 12 फीसदी होता है. इसमें इतना ही योगदान यानी12 फीसदी पैसा कंपनी की तरफ से दिया जाता है. कर्मचारी के हिस्से की 12 फीसदी रकमउसके ईपीएफ खाते में जमा हो जाती है. जबकि कंपनी के हिस्से में से केवल 3.67 फीसदीही कर्मचारी के ईपीएफ खाते में जमा होता है. बाकी 8.33 परसेंट रकम कर्मचारी पेंशनयोजना यानी ईपीएस में जमा हो जाती है. कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी में से 12 फीसदीसे ज्यादा रकम भी कटा सकता है. इस पर भी टैक्स छूट मिलती है. मगर कंपनी केवल 12फीसदी का ही योगदान करती है. ईपीएफ में बैंक की तरह नामांकन की भी सहूलियत होती है.कर्मचारी के साथ कैजुअल्टी की दशा में नॉमिनी को सारा पैसा मिल जाता है.कितनी पेंशन मिलती है? जैसा पहले बताया कि कंपनी के हिस्से की 8.33 फीसदी रकम पेंशनस्कीम में जाती है. कर्मचारी को 58 साल के उम्र के बाद पेंशन मिलती है. इसके लिए 10साल नौकरी ज़रूरी है. पेंशन 1000 रुपए से 3250 रुपए महीने तक हो सकती है. ये पेंशनखाताधारक को आजीवन मिलती है.एडवांस पैसा निकालने का क्या तरीका है? पीएफ खाते से पैसा निकाला भी जा सकता है.कर्मचारी खुद की या परिवार में किसी की बीमारी पर सैलरी का छह गुना पैसा निकाल सकतेहैं. कर्मचारी अपनी शादी में या परिवार में किसी की शादी या पढ़ाई के लिए जमा रकमका 50 फीसदी निकाल सकता है. होम लोन चुकाने के लिए सैलरी का 36 गुना पैसा पीएफ सेमिल जाता है. घर की मरम्मत के लिए सैलरी का 12 गुना और घर खरीदने के लिए भी पैसानिकाल सकते हैं.--------------------------------------------------------------------------------वीडियोः शहीदों की मदद के लिए बने बैंक अकाउंट की सच्चाई क्या है?