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'महिला को गले लगाना अपराध नहीं', बृजभूषण की दलील पर पुलिस बोली- हैरेसमेंट के पर्याप्त सबूत हैं

वकील ने कोर्ट को बताया कि आरोपी बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय किए जाने चाहिए.

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enough evidence to put Brij Bhushan Sharan Singh on trial
पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने दलील दी कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय किए जाने चाहिए. (फाइल फोटो: PTI)
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सुरभि गुप्ता
12 अगस्त 2023 (Updated: 12 अगस्त 2023, 18:23 IST)
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महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में BJP सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ इतने सबूत हैं कि मुकदमा चलाया जा सके. ऐसा खुद सरकारी वकील अतुल कुमार श्रीवास्तव ने राउज एवेन्यू कोर्ट में कहा है. वकील ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि पुलिस की चार्जशीट को देखते हुए बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर के खिलाफ आरोप तय किए जाने चाहिए. बृजभूषण शरण सिंह पर भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) का अध्यक्ष रहते हुए महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.

राउज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 11 अगस्त को इस मामले में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की दलीलें सुनीं. इससे पहले 9 अगस्त को बृजभूषण शरण सिंह के वकील राजीव मोहन ने दलील दी थी कि 'यौन इरादे के बिना किसी महिला को छूना आपराधिक गतिविधि नहीं है.' उन्होंने कहा था कि एक आरोप में बृजभूषण के खिलाफ केवल गले लगाना शामिल है. ये भी कहा था कि गले लगाने को अपराध नहीं माना जाना चाहिए.

इस पर 11 अगस्त को अपनी दलील देते हुए वकील ने कोर्ट को बताया, 

“आरोपी ने किस इरादे से गले लगाया है ये महत्वपूर्ण है.”

बृजभूषण शरण सिंह के वकील ने कहा था कि उनके खिलाफ किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए हमले या आपराधिक बल का मामला नहीं बनता है. इस दलील पर अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि एक मामले में बार-बार यौन उत्पीड़न शामिल था. उन्होंने कहा कि इसलिए बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए हमले और आपराधिक बल का मामला बनता है. उन्होंने कहा,

"आरोप तय करने के लिए विस्तृत कारणों की आवश्यकता नहीं है. चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं."

बृजभूषण के वकील राजीव मोहन ने कहा था कि महिला पहलवानों से जुड़े कई मामले दिल्ली कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर यानी दूसरे राज्यों के थे और उनका मुकदमा यहां नहीं चलाया जा सकता. ये भी दलील दी थी कि भारत के बाहर हुए मामलों की सुनवाई केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना देश के कोर्ट में नहीं की जा सकती. 

इस पर अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पूरी घटना विदेश में होने पर ही केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है. उन्होंने दलील दी, 

"अपराध का एक हिस्सा इस देश की धरती पर किया गया, इसलिए केंद्र सरकार से मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं है." 

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर कोई अपराध आंशिक रूप से एक क्षेत्र में और आंशिक रूप से दूसरे क्षेत्र में किया जाता है, तो उन क्षेत्रों की सभी अदालतें मामले का क्षेत्राधिकार ले सकती हैं. अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी. फिलहाल, इस मामले में बृजभूषण सिंह को जमानत मिली हुई है.

वीडियो: बृजभूषण सिंह का साथ दे रहे विनोद तोमर के खिलाफ दिल्ली पुलिस को क्या सबूत मिले?

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