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Anantnag Encounter के पीछे TRF आतंकी संगठन का सच, ऑनलाइन साजिश तो चौंकाने वाली!

Anantnag Attack वाला TRF आतंकी संगठन 2019 में बना, तब से जो किया वो बहुत खतरनाक है...

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Encounter between terrorists and security forces in Anantnag, Jammu and Kashmir...Major, Colonel and DSP martyred
Anantnag attack के पीछे TRF आतंकी संगठन का सच (फाइल फोटो- PTI)
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14 सितंबर 2023 (Updated: 15 सितंबर 2023, 18:20 IST)
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कश्मीर का अनंतनाग (Anantnag). 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी. आतंकियों के हमले में भारतीय सेना के 2 और पुलिस के एक अफसर की जान चली गई. बताया जा रहा है कि अब तीन आतंकियों की तलाश की जा रही है, जो जंगल में छिपे हो सकते हैं. इनमें से एक आतंकी की पहचान 22 साल के उजैर खान के रूप में की जा रही है. यह अनंतनाग के नजदीक कोकरनाग का रहने वाला है. कहा जा रहा है कि यह 26 अगस्त 2022 से लापता है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन TRF का हाथ है. TRF क्या है? कौन है इसका मुखिया. केंद्र ने इस पर क्या खुलासा किया था? चलिए ये भी आपको बता देते हैं.

TRF क्या है? 

TRF को जनवरी महीने में गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) ऐक्ट (UAPA) के तहत आतंकी संगठन घोषित किया गया था. दी हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा दावा भी किया गया कि TRF, साल 2019 में अस्तित्व में आया. मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि यह आतंकी संगठन युवाओं को ऑनलाइन माध्यमों से जोड़ता है. फिर उन्हें अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के काम में इस्तेमाल करता है. जैसे कि आतंकियों की भर्ती, घुसपैठ और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी करने जैसे कामों में इन युवाओं को लगा दिया जाता है.  

बताया जाता है कि टीआरएफ जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों को भारत के खिलाफ भड़काने के साथ उन पर आतंकी गुटों में शामिल होने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके से दबाव भी डालता है. और यह सब सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिए अंजाम दिया जाता है. केंद्र ने जनवरी महीने में TRF को आतंकी संगठन घोषित करने के साथ ही यह भी कहा था कि इसका कमांडर शेख सज्जाद गुल है. आतंकी गुट की गतिविधियां भारत की संप्रभुता के लिए खतरनाक हैं.

अनंतनाग में हुए आतंकी हमले से पहले भी टीआरएफ कई मामलों में शामिल रहा है. जिसमें नागरिकों की हत्या, सुरक्षा बलों की हत्या की साजिश के साथ-साथ आतंकियों तक हथियार पहुंचाने के मामले शामिल हैं.

अनंतनाग में हुई मुठभेड़ में कर्नल मनप्रीत सिंह शहीद हो गए (फाइल फोटो-आज तक) 

बता दें कि 13 सितंबर को एक सर्च ऑपरेशन के दौरान TRF गुट ने भारतीय सुरक्षाबलों पर हमला किया था. इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के DSP हुमायूं भट्ट, मेजर आशीष ढोंचक और 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह की जान चली गई. मेजर आशीष ढोंचक को इसी साल 15 अगस्त को उनकी बहादुरी के लिए अवॉर्ड दिया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार अनंतनाग के गडूल इलाके में 12 सितंबर की शाम सेना का ऑपरेशन शुरू किया गया था. लेकिन रात में ऑपरेशन बंद कर दिया गया था. 13 सितंबर की सुबह आतंकियों के बारे में इनपुट मिलने पर ऑपरेशन फिर से शुरू किया गया. कर्नल मनप्रीत सिंह ऑपरेशन को लीड कर रहे थे. तभी आतंकियों ने उन पर फायर कर दिया जिससे वो गंभीर रूप में घायल हो गए थे.

जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों को 13 सितंबर की सुबह इलाके में दो से तीन आतंकियों के होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमों ने दोबारा ऑपरेशन शुरू किया था. इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेना से भागते हुए 2-3 आतंकी ऊंचाई वाली जगह पर पहुंच गए थे. इसी का फायदा उठाकर उन्होंने सैनिकों पर गोलीबारी कर दी जिसमें 3 बड़े अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे.

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