लालू यादव परिवार की करोड़ों की संपत्ति जब्त, RJD बोली- 'ED निदेशक एक्सटेंशन पाएंगे तो क्या होगा?'
वहीं बीजेपी ने कहा कि ये कानूनी प्रक्रिया है. संवैधानिक संस्था अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही है.
बिहार का ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाला’. घोटाले को लेकर एक बार फिर लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार घिर गया है. ED ने इस घोटाले में लालू यादव के परिवार से जुड़ी लगभग 6 करोड़ रुपए की संपत्ति को नत्थी कर दिया है. मामले में पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और पूर्व सीएम राबड़ी देवी पर पहले से ही जांच चल रही.
आजतक से जुड़े दिव्येश सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक बीते महीने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सीबीआई की ओर से चार्जशीट दायर की गई थी. इसके बाद अब ED ने मामले में कड़ा रुख अपनाया है. लालू परिवार की संपत्ति नत्थी किए जाने के बाद RJD की तरफ से प्रतिक्रिया सामने आई है. RJD प्रवक्ता शक्ति सिंह ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा,
“ED के निदेशक अगर एक्सटेंशन पाएंगे तो क्या होगा? संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा कैसे बचेगी? विपक्षी दलों के नेताओं को तबाह करने की प्रतिबद्धता है. ये बीजेपी प्रशासित राज्यों और बीजेपी नेताओं के साथ क्यों नहीं किया जा रहा है? इन सवालों को जानना पड़ेगा.”
वहीं ED की कार्रवाई के बाद राज्य के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा,
क्या है जमीन के बदले नौकरी घोटाला?“ये कानूनी प्रक्रिया है. संवैधानिक संस्था अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही है. गरीब जनता की संपत्ति लूटने वालों की संपत्ति जब्त होनी चाहिए. प्रक्रिया में देरी से इन लोगों का मनोबल बढ़ रहा है.”
साल 2004 से 2009 के बीच बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे. इसी दौरान रेलवे में नौकरी के बदले रिश्वत में जमीन लेने का मामला सामने आया. CBI के मुताबिक लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टिट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया. और जब जमीन का सौदा हो गया तो उन्हें स्थायी कर दिया गया. इन भर्तियों में कोई भी नोटिफिकेशन या नोटिस भी नहीं जारी किया गया था. जिन परिवारों ने लालू परिवार को अपनी जमीन दी, उनके सदस्यों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नियुक्ति दे दी गई.
इस मामले में CBI ने 18 मई, 2022 को केस दर्ज किया. मामले में रिश्वत लेने के आरोपों की जांच CBI कर रही है. वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच ED कर रही है.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में लालू यादव के करीबी और पूर्व विधायक भोला यादव और हृदयानंद चौधरी भी आरोपी हैं. लालू यादव के ओएसडी रहे भोला यादव को CBI ने 27 जुलाई को गिरफ्तार किया था. वो 2004 से 2009 के बीच लालू यादव के ओएसडी रहे थे. CBI का आरोप है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तो उन्होंने जमीन के बदले सात अयोग्य उम्मीदवारों को रेलवे में नौकरी दी थी.
इस मामले में लालू यादव समेत उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा यादव और हेमा यादव समेत कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है. ED का कहना है कि कुछ उम्मीदवारों के आवेदनों को अप्रूव करने में जल्दबाजी दिखाई गई. कुछ आवेदकों को तीन दिनों में ही अप्रूव कर दिया गया. इतना ही नहीं, पश्चिम-मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे ने उम्मीदवारों के आवेदनों को बिना पूरे पते के अप्रूव कर दिया और नियुक्ति भी दे दी.
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