वोटिंग से पहले ही अमेरिका में पड़ने लगे वोट, क्या हैं 'अर्ली वोटिंग' सिस्टम?
5 नवंबर को USA में Presidential Elections के लिए वोटिंग होनी है. इस बीच मेन वोटिंग डे से पहले Early Voting भी शुरू हो गई है.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों की शुरुआत हो चुकी है. 5 नवंबर को वोटिंग होनी है. डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से कमला हैरिस (Kamala Harris) और रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प (Donald Trump) मैदान में हैं. इस बीच एक खबर आई की अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में 6 करोड़ से अधिक लोगों ने अपना वोट डाल दिया है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि अगर वोटिंग का दिन 5 नवंबर है तो लोगों ने पहले ही वोट कैसे डाल दिया?
इसका जवाब है अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का अहम हिस्सा कहा जाने वाला एक सिस्टम 'अर्ली वोटिंग'. जैसा की इसके नाम से ही जाहिर है अर्ली वोटिंग माने समय से पहले वोटिंग. कैसे होती है ये वोटिंग, समझते हैं -
अमेरिका के कई राज्यों में समय से पहले लोग वोट करते हैं. हर राज्य में वोटिंग के नियम अलग हैं. कुछ राज्य 'मेल-इन वोटिंग' की सुविधा भी देते हैं. इस सुविधा के तहत वोटर्स को उनका बैलट पेपर भेजा जाता है. इस बैलट पेपर को उन्हें एक तय समय सीमा के भीतर वापस जमा करना होता है. वर्जीनिया जैसे राज्यों में वोटिंग से लगभग 2 हफ्ते पहले से ही अर्ली वोटिंग शुरु हो जाती है. अमेरिका में इस सिस्टम के कई फायदे भी गिनाए जाते हैं जैसे वो लोग जिन्हें वोटिंग डे पर कहीं जाना है, वो पहले से सफर में हैं या उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है; इस सिस्टम की वजह से उन्हें भी लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का अधिकार मिलता है.
एक और फायदा जो अर्ली वोटिंग से होता है वो ये है कि इसकी वजह से वोटिंग का परसेंट अधिक रहता है. जो व्यक्ति वोटिंग डे के दिन नहीं जा सकता वो पहले ही वोट डाल चुका होता है. इसकी वजह से दूसरे लोग भी वोट करने के लिए प्रेरित होते हैं. अर्ली वोटिंग की वजह से ही चुनावी एक्सपर्ट्स, राजनीतिक पार्टियों के लोगों को परिणामों का अनुमान लगाने में काफी हद तक सहजता महसूस होती है. उदाहरण के तौर पर देखें तो 2020 के चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी के होल्ड वाले क्षेत्रों में 70 प्रतिशत लोगों ने वोटिंग डे से पहले ही वोट डाल लिया था. वहीं रिपब्लिकन पार्टी के होल्ड वाले क्षेत्रों में वोटिंग से पहले अर्ली वोटिंग करने वाले लोग 50 प्रतिशत के आसपास थे. 2020 में कुल वोटों के दो तिहाई वोट यानी लगभग 10 करोड़ वोटर्स ने अर्ली वोटिंग में ही अपना वोट डाला था.
ट्रम्प का विरोधअर्ली वोटिंग के कई फायदे तो गिनाए जाते हैं. पर इस सिस्टम के हिस्से कुछ विवाद भी हैं. 2020 के चुनावों के बाद पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस सिस्टम में बड़ा फ्रॉड होने का दावा किया था. हालांकि ये आरोप कभी साबित नहीं हुए पर इसने अर्ली वोटिंग पर हो रही बहस को और हवा ज़रूर दी.
चुनाव अपडेट्सराष्ट्रपति चुनाव अब अपने आखिरी दौर में है. कमला हैरिस और डॉनल्ड ट्रम्प वोटर्स को लुभाने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा रहे हैं. इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार रोहित शर्मा के मुताबिक इस बार अमेरिका में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. दोनों प्रत्याशी ज़ोर-शोर से प्रचार में लगे हैं. कई इलाकों में तो बहुत ही क्लोज़ फाइट देखने को मिल रही है. इस बार कौन जीतेगा, ये कह पाना मुश्किल है.
क्या हैं मुद्दे?पत्रकार रोहित शर्मा बताते हैं कि इन चुनावों में कमला हैरिस के सामने कई चुनौतियां हैं. उन्हें इलेक्शन की तैयारी के लिए काफी कम समय मिला. अमेरिकी चुनाव में अब तक 6 बार ऐसा हुआ है जब तत्कालीन राष्ट्रपति ने चुनाव लड़ने से मना किया हो. इस बार ऐसा हुआ है जब जो बाइडन ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. लिहाज़ा डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को उम्मीदवार बनाया. 6 में से 4 बार उस पार्टी की हार हुई है जिसके तत्कालीन राष्ट्रपति ने चुनाव लड़ने से मना किया है. इस बार भी लोगों में बाइडन को लेकर नाराज़गी है. इन चुनावों में अर्थव्यवस्था, महंगाई और ओपन बॉर्डर जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण रहने वाले हैं.
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