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डिजिटल अरेस्ट स्कैम से हर दिन करोड़ों की ठगी, पता है 10 महीनों में भारत से कितना पैसा लूटा गया?

Digital Arrest Scam के तार विदेश से भी जुड़े हुए हैं. ये फ्रॉड कंबोडिया, म्यांमार, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड जैसे देशों से हो रहा है. और क्या-क्या पता लगा है?

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हर दिन हो रहा मासूम लोगों के साथ ये फ्रॉड (सांकेतिक फोटो- आजतक)
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जितेंद्र बहादुर सिंह
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1 नवंबर 2024 (Updated: 1 नवंबर 2024, 16:47 IST)
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साइबर क्राइम से जुड़े एक स्कैम का नाम इन दिनों खूब चर्चा में है. डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest Scam Data). आए दिन इस स्कैम के जरिए लाखों-करोड़ों रुपये की ठगी के मामले सामने आ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक डिजिटल अरेस्ट के मामलों को लेकर देशवासियों को सतर्क रहने की सलाह दे चुके हैं. अब डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी ठगी के कुछ हैरान कर देने वाले आंकड़ें सामने आए हैं.

आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय के साइबर विंग से जुड़े सूत्रों से पता चला है कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम के जरिए ठग हर दिन मासूम लोगों से लगभग 6 करोड़ रुपये लूट रहे हैं. खबर है कि इस साल केवल 10 महीनों में 2140 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी डिजिटल अरेस्ट के जरिए हुई है. यानी हर महीने औसतन 214 करोड़ रुपये का फ्रॉड. ये पैसा आम लोगों की जमा पूंजी का है. वो पैसा जो उन्होंने मेहनत से कमाकर इकट्ठा किया और बैंक में बचत के तौर पर रखा.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस बड़े स्कैम के तार विदेश से भी जुड़े हुए हैं. खबर है कि कंबोडिया, म्यामांर, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड जैसे देशों से फ्रॉड हो रहा है. गृह मंत्रालय के साइबर विंग को इस साल अक्टूबर तक डिजिटल अरेस्ट के कुल 92,334 केस की जानकारी मिली है.

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

ये एक नई तरह की धोखाधड़ी है, जिसमें पीड़ित से वीडियो कॉल पर संपर्क किया जाता है. उन्हें धमकाकर या लालच देकर घंटों या कई दिनों तक कैमरे के सामने रखा जाता है. आमतौर पर रिटायर्ड या काम कर रहे पेशेवरों को निशाना बनाया जाता है, क्योंकि उनके बचत खातों में अच्छी-खासी रकम होती है और वे तकनीकी रूप से उतने अपडेटेड नहीं होते हैं.

‘मन की बात’ कार्यक्रम के 115वें एपिसोड में पीएम मोदी ने डिजिटल अरेस्ट के बारे में लोगों को विस्तार से समझाया. पीएम मोदी ने कहा,

‘डिजिटल अरेस्ट के फ्रॉड में फ़ोन करने वाले कभी पुलिस, कभी CBI, कभी नार्कोटिक्स, कभी RBI, ऐसे भांति-भांति के लेबल लगाकर बनावटी अधिकारी बनकर बड़े कॉन्फिडेंस के साथ बात करते हैं. इनका पहला दांव होता है आपकी व्यक्तिगत जानकारी, वो ये सब जुटा करके रखते हैं. वो आपके बारे में इतनी जानकारी जुटाकर रखते हैं कि आप दंग रह जाएंगे. दूसरा दांव होता है, भय का माहौल पैदा करना. वर्दी, सरकारी दफ्तर का सेटअप, कानूनी धाराएं, वो आपको इतना डरा देंगे फ़ोन पर बातों-बातों में कि आप सोच भी नहीं पाएंगे. और फिर उनका तीसरा दांव शुरू होता है. तीसरा दांव है समय का दबाव. अभी फैसला करना होगा वर्ना आपको गिरफ्तार करना पड़ेगा. ये लोग पीड़ित पर इतना मनोवैज्ञानिक दबाव बना देते हैं कि वो सहम जाता है.’

पीएम मोदी ने आगे कहा,

‘डिजिटल अरेस्ट के शिकार होने वालों में हर वर्ग, हर उम्र के लोग हैं. लोगों ने डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपये गंवा दिए हैं. कभी भी आपको इस तरह का कोई कॉल आए तो आपको डरना नहीं है.

ये भी पढ़ें- ठगों ने CJI की डीपी लगा बुजुर्ग से 1.26 करोड़ रुपये हड़प लिए, ये कहानी बताकर किया डिजिटल अरेस्ट

PM ने जोर देकर कहा कि कोई भी जांच एजेंसी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी भी नहीं करती.

वीडियो: एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी डिजिटल अरेस्ट पर बात कर रहे थे, दूसरी तरफ लल्लनटॉप के पत्रकार को ही आ गया स्कैमर्स का फोन

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