नरेश अरोड़ा: राजस्थान में कांग्रेस जीती तो अशोक गहलोत के साथ इस शख्स का भी कद और बढ़ जाएगा
कर्नाटक में कांग्रेस को जिताने के लिए डीके शिवकुमार के साथ दो साल ग्राउंड पर काम किया था. अब राजस्थान की चुनावी अभियान में भी अहम भूमिका निभाई है. जानें कौन हैं नरेश अरोड़ा.
आज से लगभग 7 महीने पहले 13 मई, 2023 को जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, तब कांग्रेस की जीत के साथ ही एक चुनावी रणनीतिकार के नाम की चर्चा तेज हुई थी. वो नाम था, नरेश अरोड़ा. उनकी कंपनी 'DesignBoxed' को कर्नाटक में कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान की बागडोर सौंपी थी. और चुनावी नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए. नरेश अरोड़ा तभी से राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भी जुटे थे. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का चुनावी कैंपेन तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है. अब सवाल ये कि क्या कर्नाटक की तरह ही राजस्थान में भी कांग्रेस को अपने इस सलाहकार की चुनावी प्लानिंग का फायदा मिलेगा?
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नरेश अरोड़ा ने तो कांग्रेस के जीतने की पूरी उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा है कि अशोक गहलोत चौथी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बनेंगे. बीती 24 नवंबर को नरेश ने ट्वीट किया था,
कौन हैं नरेश अरोड़ा?"इसमें कोई संदेह नहीं है कि अशोक गहलोत की असाधारण सामाजिक कल्याण की नीतियां उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री बनाएंगी. उनके सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिकोण का पूरा देश अध्ययन करेगा. जो आज राजस्थान कर रहा है, कल पूरा देश करेगा."
नरेश अरोड़ा DesignBoxed के को-फाउंडर और डायरेक्टर हैं. ये एक चुनावी कैंपेन मैनेजमेंट कंपनी है. DesignBoxed को साल 2011 में बनाया गया था. तब इसे डिजिटल मैनेजमेंट कंपनी के तौर पर शुरू किया गया था. कॉन्टेंट डेवलपमेंट और डिजिटल मार्केटिंग की फील्ड में नरेश अरोड़ा ने कई नेशनल और इंटरनेशनल क्लाइंट के प्रोजेक्ट पर काम किया है. लेकिन आखिरकार उनकी कंपनी राजनीतिक कैंपेन के मैनेजमेंट में उतरी.
और राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर नरेश अरोड़ा का सफर 2016 में शुरू हुआ, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए. तब उन्हें कुछ निर्वाचन क्षेत्रों का चुनावी अभियान चलाने का काम सौंपा गया था. नरेश अरोड़ा के मुताबिक उन्होंने जिन क्षेत्रों के चुनावी अभियान पर काम किया था, उन सभी सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक DesignBoxed ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में 22 कांग्रेस उम्मीदवारों का सोशल मीडिया कैंपेन मैनेज किया था. इसके बाद गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव का प्रचार अभियान संभाला, जिसमें कांग्रेस ने रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की थी. कंपनी ने हिमाचल विधानसभा चुनाव 2017 के भी चार सीटों का चुनावी अभियान मैनेज किया था. इस तरह नरेश अरोड़ा की कंपनी पर कांग्रेस का भरोसा बढ़ता गया. उन्हें कई चुनावी कैंपेन की जिम्मेदारी सौंपी जाने लगी.
पॉलिटिकल कैंपेन के अलावा नरेश अरोड़ा और उनकी कंपनी पंजाब पुलिस के साथ मिलकर नशे के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी काम कर चुकी है. वहीं चुनावी प्रचार अभियान में नरेश अरोड़ा ने अब तक सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लिए ही काम किया है.
कर्नाटक और राजस्थान का चुनावी अभियानकांग्रेस के लिए तय इलेक्शन कैंपेन मैनेजमेंट में कर्नाटक उनका 10वां राज्य था और राजस्थान 11वां राज्य है. कर्नाटक में नरेश अरोड़ा ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार के साथ चुनावी कैंपेन में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने बताया था कि वो डीके शिवकुमार के साथ कर्नाटक चुनाव के दो साल पहले से ही ग्राउंड पर जुटे हुए थे. लोगों के लिए ग्राउंड पर लगातार लगे रहने के चलते पार्टी को जीत मिली.
अब राजस्थान चुनाव के नतीजों को लेकर भी नरेश अरोड़ा ने कांग्रेस की जीत का भरोसा जताया है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि 'राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनाने’ जा रही है. उन्होंने कहा कि जीत का ये भरोसा जमीन पर 9 महीने काम करने पर आधारित है. नरेश अरोड़ा के मुताबिक,
"हमारे पास रियल टाइम फीडबैक था, हमने कई अभियान चलाए, हर एक अभियान का असर दिखा."
नरेश अरोड़ा का कहना है कि इस बार राजस्थान का चुनाव पिछले चार दशकों के चुनावों से 'अलग' है. उनकी मानें तो इस बार लोगों ने किसी उम्मीदवार को नहीं बल्कि उस पार्टी को वोट दिया, जिससे उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का फायदा हुआ. अरोड़ा के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस ने नैरेटिव कंट्रोल किया. राजस्थान के महंगाई राहत कैंप का उदाहरण देते हुए नरेश ने कहा कि उनका काम ये था कि लोगों को सरकार की योजनाओं का फायदा मिले.
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चाचा थे कांग्रेस विधायकपंजाब के अमृतसर में जन्मे और पले-बढ़े नरेश अरोड़ा ने दिल्ली से टेक्सटाइल डिजाइन की पढ़ाई की है. लेकिन अपने पिता के टेक्सटाइल बिजनेस में जाने की बजाए नरेश अरोड़ा ने कॉन्टेंट राइटिंग और डिजिटल मार्केटिंग कंपनी शुरू की. इसके बाद राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर काम शुरू किया. लेकिन राजनीति के क्षेत्र में नरेश अरोड़ा यूं ही नहीं आ गए, उनके परिवार का पॉलिटिकल बैकग्राउंड रहा है.
नरेश अरोड़ा के चाचा सेवा राम अरोड़ा राजनीति में थे और पंजाब में कई बार कांग्रेस के विधायक रहे. उन्हें 1980 के विधानसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज नेता सत्यपाल डांग को हराने के लिए जाना जाता है.
इस तरह नरेश अरोड़ा को बचपन से ही राजनीतिक माहौल मिला. अपने राजनीतिक अनुभवों के आधार पर उन्होंने अपने कई दोस्तों की भी मदद की. नरेश अरोड़ा ने Storyboard18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि पॉलिटिकल बैकग्राउंड होने के बावजूद उन्हें खुद राजनेता बनने की इच्छा नहीं हुई, लेकिन वो हमेशा से राजनीति से जुड़े क्षेत्र में कुछ करना चाहते थे.
नरेश अरोड़ा ने अब तक राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर एक मजबूत पहचान बना ली है. आगे इंतजार, राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों का है, जहां नरेश अरोड़ा ने पिछले कुछ महीनों से CM गहलोत के साथ काम किया है. उनके चुनावी अभियान में अहम सलाहकार की भूमिका निभाई है. उनके साथ कांग्रेस का चुनाव अभियान राजस्थान में कितना सफल हुआ, इसका पता अब 3 दिसंबर को ही चलेगा.
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