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अभिसार शर्मा सहित Newsclick से जुड़े रहे पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस की रेड

दिल्ली police ने Newsclick वेबसाइट से जुड़े रहे कुछ पत्रकारों के ठिकानों पर छापे मारे हैं. जिन पत्रकारों के यहां रेड पड़ी है उनमें पत्रकार उर्मिलेश और अभिसार शर्मा सहित कई नाम शामिल हैं.

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Delhi Police Conducts Early Morning Raids at Houses of Journalists, Satirists.jpg
सुबह-सुबह दिल्ली पुलिस कई पत्रकारों के यहां पहुंच गई | फाइल फोटो: सोशल मीडिया/आजतक
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अभय शर्मा
3 अक्तूबर 2023 (Updated: 3 अक्तूबर 2023, 10:14 IST)
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दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में Newsclick वेबसाइट से जुड़े रहे कुछ पत्रकारों के घरों पर पुलिस की रेड पड़ी है. जिन पत्रकारों के यहां रेड पड़ी है उनके नाम भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती और सोहेल हाशमी बताए जा रहे हैं. पत्रकार अभिसार शर्मा और भाषा सिंह ने ट्वीट के जरिए इस मामले पर जानकारी भी दी है. अभिसार ने लिखा है कि दिल्ली पुलिस मंगलवार (3 अक्टूबर को) सुबह-सुबह उनके घर पहुंची. और उनका लैपटॉप और फोन छीन लिया है.

वहीं, भाषा सिंह ने लिखा कि वो अपने इस फोन से आखिरी ट्वीट कर रही हैं. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनका फोन जब्त कर लिया है.

न्यूज़ एजेंसी ANI ने दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया है कि न्यूजक्लिक से जुड़े विभिन्न परिसरों पर छापेमारी चल रही है, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

आजतक से जुड़े अरविन्द ओझा की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने मंगलवार को ये छपेमारी दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में बड़े पैमाने पर की है. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला भी दर्ज किया है. ओझा के मुताबिक छापेमारी के दौरान दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने ढेर सारे इलेक्ट्रॉनिक सबूत, लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त किये हैं. इसके अलावा कई कंप्यूटर हार्ड डिस्क का डेटा भी पुलिस अपने साथ ले गई है.

PCI ने कहा- ‘हम पत्रकारों के साथ’

पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी को लेकर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI) का एक बयान आया है. PCI ने कहा है,

'प्रेस क्लब ऑफ इंडिया न्यूजक्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर की गई छापेमारी से बेहद चिंतित है. हम पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और सरकार से मामले पर डिटेल देने की मांग करते हैं.'

PCI के मुताबिक वो इस घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है और संस्था की तरफ से जल्द ही एक विस्तृत बयान जारी किया जाएगा.

न्यूजक्लिक पर क्या आरोप लगा है?

7 अगस्त, 2023 को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था,

"भारत लंबे समय से बता रहा था कि न्यूजक्लिक भी प्रचार की एक खतरनाक वैश्विक चाल है… जब मैं न्यूजक्लिक की बात करता हूं, तो चीन के एक ग्लोबल मीडिया संस्थान से इसकी फंडिंग हुई है. आपको बता दूं कि पिछले दिनों न्यूजक्लिक के खिलाफ 5 दिनों की रेड हुई थी. तो उसमें कहां-कहां से पैसा लिया गया, कितने पैसे आए, वो सभी जानकारी दूंगा. विदेशी नेविल रॉय सिंघम ने इसकी फंडिंग की. और सिंघम को फंडिंग कहां से आई, वो चीन पीछे से करता है. नेविल रॉय का सीधा संपर्क कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के एक प्रोपेगैंडा विंग के साथ है. कांग्रेस और विपक्षी दल जिन अखबारों के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, उन्होंने ही पुष्टि की है. उस बात की पुष्टि की जिसके बारे में भारत ने दो साल पहले कहा था."

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने 2021 में न्यूजक्लिक के बारे में खुलासा किया था कि कैसे विदेशी हाथ भारत के खिलाफ है. कैसे विदेशी प्रोपेगैंडा भारत के खिलाफ है और इस "एंटी-इंडिया कैंपेन" में कांग्रेस और विपक्षी दल भी उनके समर्थन में आए थे. ठाकुर ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि चीनी कंपनियां नेविल रॉय सिंघम के जरिये न्यूजक्लिक को फंड कर रही थीं, लेकिन उनके सेल्समैन भारत के ही कुछ लोग थे, जो कार्रवाई के खिलाफ उनके समर्थन में आ गए थे. उन्होंने चीन के एजेंडे को फैलाने और फर्जी प्रोपेगैंडा के जरिये आम लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है. ठाकुर ने कहा कि ये 'फ्री न्यूज' के नाम पर 'फेक न्यूज' परोसने वाले हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने चीन कनेक्शन पर क्या छापा था?

ये पूरा विवाद 5 अगस्त को न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) में छपी एक रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ था. NYT ने अमेरिकी बिजनेसमैन नेविल रॉय सिंघम के बारे में रिपोर्ट छापी. बताया कि नेविल रॉय किस तरह दुनिया भर की संस्थाओं को फंड करते हैं, जो चीनी सरकार के "प्रोपेगैंडा टूल" की तरह काम करती हैं. रिपोर्ट बताती है कि सिंघम खुद शंघाई में रहते हैं. पिछले महीने उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के वर्कशॉप में भी हिस्सा लिया था, जिसमें पार्टी को दुनिया भर में फैलाने की चर्चा हुई थी.

नेविल रॉय सिंघम एनजीओ, शिक्षण संस्थानों, मीडिया संस्थानों को फंड करने को लेकर चर्चित हैं. 69 साल के नेविल समाजवादी चिंतक और यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में प्रोफेसर रहे आर्चिबॉल्ड डब्ल्यू सिंघम के बेटे हैं. 1991 में आर्चिबॉल्ड का निधन हुआ था. उन्हें आर्चि सिंघम भी कहा जाता था. आर्चि मूल रूप से श्रीलंका के रहने वाले थे. साम्राज्यवाद के खिलाफ उन्होंने कई किताबें भी लिखीं. बेटे नेविल रॉय सिंघम ने शिकागो में आईटी फर्म की शुरुआत की थी. उन पर बहुत पहले से चीनी सरकार को प्रोमोट करने वाले संस्थानों को फंडिंग करने का आरोप लगता रहा है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रॉय सिंघम का ग्रुप कई फ्रंट पर चीनी सरकार के कामों का प्रचार करता है. मसलन, अफ्रीका में राजनेताओं को ट्रेनिंग देना, प्रोटेस्ट (जैसा लंदन में हुआ) को फंड करना. NYT ने दावा किया है कि उसने सिंघम से जुड़ी कई चैरिटी और शेल कंपनियों का पता लगाया है और ग्रुप से जुड़े कई पूर्व कर्मचारियों से बात भी की है. ये भी लिखा है कि ये ग्रुप्स साझा काम करते हैं. वे एक-दूसरे के आर्टिकल और क्रॉस शेयर करते हैं. वे बिना संबंध बताए एक-दूसरे के प्रतिनिधियों का इंटरव्यू करते हैं.

अखबार लिखता है कि कॉरपोरेट फाइलिंग से पता चलता है कि नेविल रॉय सिंघम का नेटवर्क भारत में एक न्यूज वेबसाइट 'न्यूजक्लिक' को फंड करता है. अखबार ने न्यूजक्लिक का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि वेबसाइट में चीन की सरकार का काफी कवरेज है. जैसे एक वीडियो में वेबसाइट कहती है,

"चीन का इतिहास मजदूर वर्ग को अब भी प्रेरित कर रहा है."

न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट में न्यूजक्लिक के खिलाफ भारतीय एजेंसियों की छापेमारी का भी जिक्र किया. बताया कि अधिकारियों ने तब आरोप लगाया था कि वेबसाइट का संबंध चीन की सरकार से है, लेकिन कोई सबूत पेश नहीं किया गया था.

इन आरोपों पर रॉय सिंघम ने ईमेल से NYT को जवाब दिया कि जिन देशों में भी उनका काम है, वहां वे टैक्स कानूनों का पालन करते हैं. ईमेल में उन्होंने बताया,

"मैं इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करता हूं कि मैं किसी पार्टी का सदस्य हूं, या उसके लिए काम करता हूं या किसी से आदेश लेता हूं. मैं सिर्फ अपने विचारों से चलता हूं."

न्यूजक्लिक का आरोपों पर क्या कहना है?

न्यूजक्लिक ने भी इन आरोपों पर जवाब दिया है. 7 अगस्त को एक बयान जारी करते हुए संस्थान ने कहा,

"पिछले 12 घंटों से Newsclick के खिलाफ कई तरह के झूठे और आधारहीन आरोप लगाए गए हैं. ये मामला कोर्ट के सामने विचाराधीन है. हम कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और मीडिया ट्रायल में नहीं उलझना चाहते हैं. कई राजनेताओं और मीडिया संस्थान हमारे खिलाफ जो आरोप लगा रहे हैं उनका कोई आधार नहीं है. न्यूजक्लिक एक स्वतंत्र न्यूज संस्थान है. ये कहना कि हम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के प्रवक्ता की तरह या उसके हितों के लिए काम करते हैं, पूरी तरह गलत है. हम भारतीय कोर्ट में भरोसा करते हैं और भारतीय कानून के हिसाब से काम करते रहेंगे."

संस्थान ने ये भी कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने मौजूदा केस में न्यूजक्लिक के पक्ष में एक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कंपनी के कई अधिकारियों को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है. इसके अलावा, एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने न्यूजक्लिक के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दर्ज शिकायत को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा था कि केस में मेरिट नहीं है.

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