क्या दीपेंद्र हुड्डा अमेरिका में सेटल होने का प्लान बना रहे थे?
दीपेंद्र हुड्डा ने दी लल्लनटॉप के इंटरव्यू में बताया कि अमेरिका में वो एक दिन बिल क्लिंटन की एक किताब पढ़ रहे थे. किताब की एक चीज उनके दिमाग में बैठ गई. जिसके बाद उन्होंने भारत वापस आने का निर्णय लिया.
दीपेंद्र हुड्डा (Deependra Hooda). पांच बार के सांसद. लोकसभा चुनाव 2024 में रोहतक सीट से जीतने वाले दीपेंद्र दी लल्लनटॉप के पॉलिटिकल इंटरव्यू शो ‘जमघट’ में इस बार पधारे. शो में उनसे हरियाणा की राजनीति समेत कई मुद्दों और व्यक्तियों के बारे में सवाल किए गए. जैसे कि कांग्रेस में गुटबाजी और हरियाणा में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव. दीपेंद्र ने ये भी बताया कि आगामी चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन हो सकता है या नहीं. यही नहीं, उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि वे कभी अमेरिका में रहकर खुश नहीं थे.
दीपेंद्र से सवाल किया गया कि क्या वो अमेरिका में सेटल होने का प्लान बना रहे थे? साल 2005 में वे पिता भूपेंद्र हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद शपथ ग्रहण में भी नहीं आए थे. तो भारत आने का फैसला कैसे लिया? इसके जवाब में दीपेंद्र हुड्डा ने बताया,
“मैं कभी अमेरिका में खुश नहीं रहा. वहां मैं जब तक रहा दुविधा में ही रहा, इसलिए मैंने भारत आने का फैसला किया. रही बात पिता के शपथ ग्रहण की तो उस दौरान मुझे छुट्टी नहीं मिली थी.”
दीपेंद्र हुड्डा ने अमेरिका में अपने जीवन के बारे में आगे कहा,
“वहां प्रोफेशनल लाइफ काफी ठीक थी. लाइफस्टाइल भी बढ़िया थी. जीवन के अंदर भौतिक सुख वहां पर थे, मगर मैं आत्मिक रूप से सुखी नहीं था. भौतिक और आत्मिक सुख में बहुत फर्क है. मैं जितने साल वहां रहा मुझे अंदर से हमेशा दुविधा रही. मेरा दिल अपने देश और अपने क्षेत्र में ही लगा रहा.”
दीपेंद्र ने आगे बताया कि वो अमेरिकन एयरलाइंस में थे, उसके बाद McKinsey में उन्हें कंसल्टिंग को रोल ऑफर हुआ था. जॉब स्विच करने के बीच में वो भारत आए, और फिर जब वापस अमेरिका गए तो उनकी पुरानी दुविधा ज्यादा बढ़ गई. काफी ज्यादा परेशान थे. तभी एक दिन वो बिल क्लिंटन की एक किताब पढ़ रहे थे. किताब की एक चीज उनके दिमाग में बैठ गई. वो ये कि जो भी फैसला करो उसका शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गोल ध्यान में रखो. दीपेंद्र ने बताया कि उन्होंने रातो-रात ये निर्णय लिया कि उन्हें भारत वापस जाना है.
कांग्रेस सांसद ने बताया कि भारत वापस लौटने के निर्णय के अगले दिन ही उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया. दो हफ्ते का नोटिस था. उसके बाद दो हफ्ते किराए की गाड़ी से ऑफिस गए और दोस्त के घर रुके. दीपेंद्र ने बताया कि वो खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उनके पास राजनीति में आने का अवसर था.
दीपेंद्र ने अमेरिका से MBA कियादीपेंद्र ने भिवानी के टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज से इंजीनियरिंग की. इसके बाद वो अमेरिका की इंडियाना यूनिवर्सिटी गए. वहां उन्होंने केली स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया था. राजनीति में आने से पहले दीपेंद्र अमेरिका में नौकरी कर रहे थे.
साल 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेंद्र हुड्डा को रोहतक की सीट खाली करनी थी. यहीं से उनके बेटे दीपेंद्र की राजनीति में सफल एंट्री होती है. अमेरिका में नौकरी कर रहे दीपेंद्र को भारत वापस बुलाया जाता है. दीपेंद्र सब छोड़छाड़ कर वापस आते हैं. और 27 साल की उम्र में रोहतक के जनप्रतिनिधि बनकर संसद पहुंचते हैं.
वीडियो: जमघट: दीपेंद्र हुड्डा ने कांग्रेस में गुटबाजी और हरियाणा विधानसभा चुनाव पर क्या बताया?