The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • dalit woman food primary schoo...

दलित महिला का बनाया खाना नहीं खा रहे बच्चे, सरकारी स्कूल के सच ने सरकार को हिला डाला!

एक बच्चे से कहा गया कि अगर उसने दलित महिला के हाथ से बना खाना खाया तो गांव से निकाल दिया जाएगा. मामले के समाधान के लिए सांसद और राज्य मंत्री तक को आना पड़ा.

Advertisement
tamilnadu dalit woman cooked food boycott by hindu students
पहली तस्वीर जब मुख्यमंत्री ने योजना का विस्तार करने के क्रम में स्कूल में बच्चों के साथ खाया, दूसरी तस्वीर- जब बच्चों ने खाना छोड़ा और तीसरी तस्वीर खाना पकाने वाली दलित महिला मुनियासेल्वी हैं. (फोटो सोर्स- आजतक और PTI)
pic
शिवेंद्र गौरव
12 सितंबर 2023 (Updated: 13 सितंबर 2023, 09:13 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

तमिलनाडु के एक स्कूल में कथित तौर पर एक दलित महिला के हाथ से बना खाना छात्रों ने खाने से इनकार कर दिया. मुख्यमंत्री MK Stalin ने सरकारी स्कूलों में फ्री ब्रेकफास्ट स्कीम शुरू की है. उसी के तहत इस स्कूल में बच्चों को खाना मुहैया कराया जाता है. लेकिन स्कूल में राशन स्टॉक काफी ज्यादा देखा जा रहा था. इसका कारण पूछा गया तो खाना बनाने वाली महिला ने बताया कि बच्चों के माता-पिता उन्हें उनके हाथ का खाना खान से मना करते हैं, क्योंकि वो दलित समाज से आती हैं.

मामला स्टालिन सरकार की योजना से जुड़ा है. ऐसे में मामले राजनीतिक तूल पकड़ा हुआ है. ऐसे में खुद राज्य की मंत्री को समाधान के लिए स्कूल आना पड़ा.

फ़्री ब्रेकफ़ास्ट स्कीम

सितंबर, 2022 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पूर्व CM अन्नादुरै के जन्मदिन पर प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए ब्रेकफ़ास्ट स्कीम लॉन्च की थी. तब इस स्कीम को करीब 15 हजार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख प्राथमिक छात्रों (कक्षा 1 से लेकर 5 तक) के लिए शुरू किया गया था.

मामला तमिलनाडु के तूतूकुड़ी जिले में उसिलमपट्टी इलाके में बने एक सरकारी स्कूल का है. यहां काम करने वाली मुनियासेल्वी महिला स्वयं-सहायता समूह से जुड़ी हैं. उन्हें स्कूल में बच्चों के लिए खाना पकाने का काम दिया गया है. लेकिन बच्चे खाना नहीं खा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: 'सनातन' पर सिर काटने की धमकी, PM मोदी के बयान पर भड़के स्टालिन ने क्या चेतावनी दी?

ये भी पढ़ें: 'सनातन को मिटा दो', उदयनिधि स्टालिन की बात का उत्तर में विरोध, लेकिन दक्षिण में समर्थन क्यों?

बच्चे खाना क्यों नहीं खा रहे? 

इंडिया टुडे से जुड़े प्रमोद माधव की खबर के मुताबिक, उसिलमपट्टी के इस स्कूल में कुछ अधिकारी राशन का स्टॉक देखने पहुंचे थे. उन्होंने ज्यादा स्टॉक जमा देखकर मुनियासेल्वी से इसकी वजह पूछी, तब उन्होंने सच बताया. उन्होंने कहा कि 11 बच्चों में से सिर्फ 2 बच्चे ही नाश्ते में बना खाना खा रहे थे, 9 बच्चों ने खाने से इनकार कर दिया था. मुनियासेल्वी के मुताबिक, हिंदू समुदाय के बच्चों को उनके पेरेंट्स ने कह रखा था कि अगर खाना वही (मुनियासेल्वी) बनाती हैं तो खाना न खाएं.

मुनियासेल्वी ने बताया,

"मैं महिला स्वयं-सहायता समूह की सदस्य रही हूं. लेकिन अब वे मुझे हटा रहे हैं. मैंने एक बच्चे को ये कहते हुए भी सुना कि अगर उसने मेरा बनाया खाना खा लिया, तो उसे गांव से बाहर निकाल दिया जाएगा. बच्चे मेरे बेटे से सुबह के नाश्ते के बारे में पूछते थे कि क्या नाश्ता अच्छा बना है. बच्चे खाना खाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनके माता-पिता उन्हें खाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं."

मुनियासेल्वी कहती हैं कि उन्होंने अधिकारियों को इसलिए नहीं बताया क्योंकि बच्चों पर दबाव न पड़े, लेकिन जब उनसे सवाल किए गए तो उन्होंने बताया कि बच्चे नाश्ता नहीं कर रहे हैं.

मामला सामने आने के बाद स्थानीय पुलिस ने 11 सितंबर को बच्चों के घर वालों को बुलाकर पूछताछ की. लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. फिर इस मामले को जिलाधिकारी के पास ले जाया गया. इंडिया टुडे से जुड़ीं शिल्पा की खबर के मुताबिक, मामला संज्ञान में आने के बाद DMK सांसद कनिमोझी करुणानिधि, राज्य की समाज कल्याण और महिला अधिकारिता मंत्री पी गीता जीवन और जिलाधिकारी सेंथिल राज स्कूल गए. और सभी ने मुनियासेल्वी का बना खाना, स्कूल के बच्चों के साथ बैठकर खाया.

इससे पहले तमिलनाडु के करूर जिले से भी इसी तरह का मामला सामने आया था. तब भी जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ था. 

वीडियो: दलित और BR अमबेडकर पर चार स्कार यूट्यूबर ने घटिया वीडियो बनाया, अब जेल हो सकती है!

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement