9 क्रेडिट कार्ड पर 8 लाख रुपए बाकी था, पूरा परिवार चौथी मंजिल से कूद गया
पति, पत्नी और 3 साल की बेटी...
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दफ़्तर के बाहर. मॉल के बाहर. कभी फोन करके. कभी ईमेल से. क्रेडिट कार्ड कंपनियां जैसे-तैसे आप तक पहुंच जाती हैं. लोगों को लगता है, प्लास्टिक के एक कार्ड से जीवन में अलग सी सहूलियत आ गई. मगर क्या हमेशा ऐसा होता है? दिल्ली के इस केस से तो नहीं लगता.पूरा परिवार छत से नीचे कूद गया
सुरेश की उम्र 35 साल थी. छोटा सा परिवार था सुरेश का. पत्नी मनजीत कौर. और तीन साल की बेटी तान्या. जगतपुरी के गोविंदपुरा इलाके में घर था इनका. ठीक-ठाक नौकरी थी सुरेश की. गुड़गांव की एक बड़ी कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर था. बाहर से सब ठीक लगता था. मगर फिर 21 जुलाई की रात आई. सुरेश और मनजीत ने देर रात करीब तीन बजे अपनी तीन साल की बेटी के साथ चार मंजिला इमारत की छत से नीचे छलांग लगा दी. पहले बच्ची को गोद में लेकर सुरेश नीचे कूदे. फिर एक मिनट बाद मनजीत नीचे कूदीं. सुरेश की जान चली गई. मनजीत और बच्ची बच गए. ये सब हुआ क्रेडिट कार्ड की वजह से. या फिर इस वजह से कि सुरेश ने क्रेडिट कार्ड तो कई सारे ले लिए, लेकिन उन्हें मैनेज करना नहीं सीख पाया. क्रेडिट कार्ड ने सुरेश को फिज़ूलखर्ची की लत लगा दी. वो अपनी आमदनी से कहीं ज्यादा खर्च करने लगा. इस तरह सुरेश के ऊपर आठ लाख रुपये का कर्ज़ चढ़ गया. इसी कर्ज़ से परेशान होकर उसने बीवी-बच्ची समेत आत्महत्या करने का फैसला लिया.
बच्ची और मां इत्तेफ़ाक से बच गए
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, छलांग लगाते समय बच्ची सुरेश की गोद में थी. इसी वजह से वो सीधे जमीन पर नहीं गिरी. सुरेश के हाथ से छिटककर वो एक स्कूटी के पास गिर गई. बच्ची के दोनों पैरों में फ्रैक्चर आया है. उधर मनजीत बिजली की तार में फंस गई और उनकी जान बच गई. NBT ने सुरेश और मनजीत के पड़ोसियों से बात की. उनका कहना है कि इस परिवार की लाइफस्टाइल बहुत अच्छी थी. उनके रहन-सहन से कभी नहीं लगा कि वो किसी तरह की परेशानी में हैं और सामूहिक आत्महत्या जैसा डरावना फैसला लेने वाले हैं.
ये नौबत कैसे आई?
पुलिस ने मनजीत का बयान लिया है. उनके मुताबिक, सुरेश के पास कई बैंकों का क्रेडिट कार्ड था. वेतन कम था और खर्च ज्यादा था. तो क्रेडिट कार्ड से लोन उठा लेते थे. उसका पैसा समय पर चुका नहीं पाए. कर्ज़ बढ़ते-बढ़ते आठ लाख रुपये तक पहुंच गया. बैंक पैसे के लिए लगातार प्रेशर बना रहा था इन पर. ऐसे में सुरेश और मनजीत को लगा कि आत्महत्या के सिवाय कोई चारा नहीं है. मनजीत ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया-
मेरे पति अवसाद में थे. बैंक का लोन कैसे चुकाएं, समझ ही नहीं आ रहा था. हमने अपने परिवार के लोगों से थोड़ा पैसा मांगा. मगर किसी ने हमारी मदद नहीं की. 21 जुलाई को रात के करीब तीन बजे सुरेश उठे. वो हमारी बेटी को लेकर छत पर गए और नीचे कूद गए. फिर मैंने भी जान देने का फैसला किया और उनकी पीछे मैं भी कूद गई.मनजीत के परिवार ने मदद की थी, मगर... करीब छह साल हुए सुरेश और मनजीत की शादी को. ये लोग रहने वाले थे पंजाब के. यहां जगतपुरी के न्यू गोविंदपुरा में मनजीत के पिता कुलवंत सिंह का घर था. इसी में ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे सुरेश और मनजीत. ऊपर की तीन मंजिलें किराये पर चढ़ी हुई थीं. गली के लोग जिन बिजली और केबल की तारों से परेशान रहते थे, उन्हीं ने मनजीत की जान बचाई. इनमें फंसने की वजह से वो पूरे वेग से नीचे नहीं गिरीं. उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं आई है. मनजीत और उनकी बेटी, दोनों अस्पताल में भर्ती हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने मनजीत के भाई से भी बात की. उन्होंने बताया-
मैं हैरान हूं. सदमे में हूं. हमें पता था कि उनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है. इसीलिए हमने उन्हें रहने के लिए घर देकर उनकी मदद की. ताकि उन्हें होम लोन न लेना पड़ा. न किराया देना पड़े. हमें नहीं मालूम था कि वो ऐसा कुछ कर बैठेंगे.फाइनैंस मैनेज करना ज़िंदगी की ज़रूरत है. ये आना ही चाहिए हर किसी को. हिसाब से खर्च करना. खर्च को मैनेज करना. बचत करना. इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा डरावना ब्योरा है सुरेश का बच्ची को गोद में लेकर नीचे कूद जाना. वो बच गई, मगर उसने अपने पिता को खो दिया है.
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