देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी का 30 अप्रैल, 2021 को निधन हो गया. दिल्लीके एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. 9 मार्च 1930 को पैदा हुए सोराबजी 91 सालके थे. कुछ दिन पहले वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. सात दशक तक कानूनीक्षेत्र से जुड़े रहे सोराबजी को साल 2002 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गयाथा. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोलीसोराबजी के निधन पर शोक जताया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिखा, "हमने भारत कीकानून व्यवस्था का एक आइकन खो दिया. वो उन चुनिंदा लोगों में से थे जिन्होंनेसंवैधानिक कानून और न्याय व्यवस्था के एवॉल्यूशन पर प्रभाव डाला."In the passing of Soli Sorabji, we lost an icon of India's legal system. He wasamong the select few who deeply influenced evolution of constitutional law &justice system. Awarded with Padma Vibhushan, he was among most eminent jurists.My condolences to his family & associates.— President of India (@rashtrapatibhvn) April 30, 2021 प्रधानमंत्री ने लिखा,"सोली सोराबजी एक बेहतरीन अधिवक्ता और बुद्धिजीवी थे. कानून के जरिए गरीबों औरज़रूरतमंदों की मदद करने में वो सबसे आगे रहते थे. उन्हें भारत के एटॉर्नी जनरल केतौर पर उनके काम के लिए याद किया जाएगा. उनका जाना दुखद है."Shri Soli Sorabjee was an outstanding lawyer and intellectual. Through law, hewas at the forefront of helping the poor and downtrodden. He will be rememberedfor his noteworthy tenures India’s Attorney General. Saddened by his demise.Condolences to his family and admirers.— Narendra Modi (@narendramodi) April 30, 2021 सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण नेलिखा, "सोली सोराबजी, हमारे दौर के लीगल जायंट नहीं रहे. वह एक अच्छे दोस्त थे. येतस्वीर चार महीने पहले की है, जब मैं और मेरे पिता उनसे मिलने गए थे."Soli Sorabjee, a legal giant of our time passed away today, after some days inhospital due to Covid. He was a good friend & very affectionate. The photo is ofwhen my father & I visited him 4 months back pic.twitter.com/3ErZYXUits— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 30, 2021 सोली सोराबजी ने मुंबई के सेंटज़ेवियर्स कॉलेज और गवर्मेंट लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी. साल 1953 में उन्होंनेबॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी. साल 1971 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट कावरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया था. 1977 से 1980 तक वह देश के सॉलिसिटर जनरल रहे.इसके बाद 1989 से 1990 तक और 1998 से 2004 तक सोराबजी भारत के अटॉर्नी जनरल रहे.सोली जहांगीर सोराबजी को भारतीय संविधान का विशेषज्ञ माना जाता था. उनका नाम देश केबड़े मानवाधिकार वकीलों में शामिल था. साल 1997 में संयुक्त राष्ट्र ने उन्हेंविशेष दूत के तौर पर नाइजीरिया भेजा था. साल 1998 से साल 2004 के बीच वहमानवाधिकारों की रक्षा और इसे बढ़ावा देने के लिए बनी यूएन सब कमीशन के चेयरमैनबने. साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बाईलैटरल लीगल रिलेशंस की सर्विस केलिए उन्हें ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया का ऑनरेरी मेंबर चुना गया था. साल 2000-2006 केबीच हेग में स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के सदस्य के तौर पर भी उन्होंनेकाम किया. आजतक की एक खबर के मुताबिक वे केशवानंद भारती, मेनका गांधी, एसआर बोम्मई,आईआर कोएल्हो आदि मामलों की सुनवाई में शामिल रहे. वह बीपी सिंघल के केस के लिएसुनवाई में भी पेश हुए जिसकी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बिनाकिसी ठोस वजह से राज्यों के गवर्नर को हटाया नहीं जा सकता.