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पटना : हाईकोर्ट का चीफ जज बनकर बंदे ने DGP को फोन किया, DGP "यस सर" करते रहे, फिर हुआ खेल!

क्या फर्जी जज के कहने पर DGP ने पुलिसवाले को क्लीन चिट दे दी?

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बिहार के डीजीपी एसके सिंघल. (फाइल फोटो- पीटीआई)
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दुष्यंत कुमार
18 अक्तूबर 2022 (Updated: 18 अक्तूबर 2022, 09:59 IST)
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एसके सिंघल. बिहार के पुलिस महानिदेशक हैं. अंग्रेजी में कहें DGP, तो पता चलता है किस लेवल की बात हो रही है. बिहार पुलिस का सबसे बड़ा नाम. लेकिन ठग समुदाय के लोग आम-खास, अमीर-गरीब, कमजोर-ताकतवर, हवलदार-DGP में भेदभाव नहीं करते. ठगी के इसी उसूल पर कायम रहते हुए एक बंदे ने बिहार के DGP एसके सिंघल को फोन मार दिया. बोला, “मैं पटना हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बोल रहा हूं... शराब से जुड़े मामले में एक IPS अधिकारी को क्लीन चिट दे दो.” 

कमाल की बात ये कि DGP एसके सिंघल उसे हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस समझकर "जी सर, यस सर" करते रहे. जल्दी ही मामले से जुड़े IPS को क्लीन चिट भी मिल गई. इतना सब होने के बाद DGP को एहसास हुआ, “यार कुछ गड़बड़ है.”

चीफ जस्टिस बनकर किया DGP एसके सिंघल को फोन

सितंबर 2021 का मामला है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी ने बिहार के DGP एसके सिंघल को फोन कर कहा कि वो IPS आदित्य कुमार का नाम लिकर गैंग्स से जुड़े मामले से हटा दें. आदित्य कुमार बिहार के गया में SSP के पद पर नियुक्त थे. उन पर जूनियर पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर शराब गैंग्स को बचाने का आरोप लगा था. इसके चलते फरवरी 2022 में आदित्य कुमार को उनके पद से हटा दिया गया था.

इसी सिलसिले में सितंबर महीने में अभिषेक अग्रवाल नाम के शख्स ने DGP एसके सिंघल को फोन लगा दिया. उसने राज्य के शीर्ष अधिकारी से जो कहा, और उसके कहने पर DGP ने जो किया, वो हम ऊपर बता चुके हैं. अब आगे एसके सिंघल को अपनी गलती ठीक करनी थी. बीती 14 अक्टूबर को उन्होंने बिहार पुलिस की इकनॉमिक ऑफेस यूनिट (EOU) में शिकायत की. इसके बाद अभिषेक अग्रवाल और उसके तीन साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया. बिहार पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर लिया है. बिहार पुलिस मुख्यालय में तैनात एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में इस पूरे वाकये की पुष्टि की है. उन्होंने कहा,

"उस ठग की तरफ से DGP को आई फोन कॉल्स और IPS अधिकारी के खिलाफ रिपोर्ट को एक साथ नहीं देखा जाना चाहिए. आदित्य कुमार के मामले में अग्रिम जमानत मिल चुकी है. ये सच है कि इस केस में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो गई है, लेकिन वो पूरी तरह जांच में मिले सबूतों पर आधारित थी."

ये पूछे जाने पर कि क्या इन कॉल्स की वजह से बिहार पुलिस पर किसी तरह का दबाव था, पुलिस अधिकारी ने कहा,

"इन कॉल्स और पुलिस की जांच को जोड़कर देखना सही नहीं है."

रिपोर्ट के मुताबिक मगध रेंज के आईजी अमित लोढा को ऐसी रिपोर्ट्स मिली थीं कि गया SSP रहते हुए आदित्य कुमार कथित रूप से शराब गैंग्स को बचाने का काम कर रहे थे. ये बात सीएम नीतीश कुमार तक पहुंची तो मामले को गंभीरता से लिया गया. इसके बाद फतेहपुर पुलिस ने तत्कालीन SSP पर केस दर्ज कर लिया. कुछ समय बाद आदित्य कुमार को सस्पेंड कर दिया गया था. इसके बाद उन्हें बचाने के लिए अभिषेक अग्रवाल DGP एसके सिंघल को कॉल करने लगा. 

EOU के डेप्युटी एसपी भास्कर रंजन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अभिषेक और आदित्य ने मिलकर DGP को कॉल करने की साजिश रची थी. तय हुआ कि अभिषेक अग्रवाल पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल बनकर DGP से बात करेगा. इसके लिए एक दूसरे आरोपी राहुल रंजन जैसवाल के फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया. दिलचस्प बात ये कि आरोपियों की साजिश में DGP एसके सिंघल फंस गए और अभिषेक अग्रवाल को चीफ जस्टिस समझकर "सर-सर" बोलते रहे. अब पूछताछ में अभिषेक ने बताया है कि वो आदित्य कुमार को कई सालों से जानता हैं. उसी ने एसके सिंघल को ये कॉल्स की थीं. 

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