सुप्रीम कोर्ट से रात 11 बजे फोन आया, तब हुई कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी की रिहाई
5 फरवरी को मिली थी जमानत.
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धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार हुए स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी 6 फरवरी की रात जेल से रिहा हो गए. सेशन कोर्ट और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से जमानत याचिका ख़ारिज होने के बाद मुनव्वर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी. 5 फरवरी को. लेकिन उन्हें इंदौर की सेंट्रल जेल से रिहा किए जाने में 6 फरवरी की रात 11 बज गए. रात तक ये गफ़लत भी थी कि शायद फारूकी को शनिवार की रात भी जेल में ही काटनी पड़े. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रात में ही फोन आने के बाद उन्हें रिहा किया गया.
दरअसल इंदौर के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भी मुनव्वर फारूकी के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया था. 7 फरवरी को सुबह उन्हें प्रयागराज के लिए रवाना किया जाना था, जहां उनकी पेशी थी. फारूकी का कोविड टेस्ट भी करा दिया गया था. UP पुलिस के अधिकारी भी इंदौर पहुंच चुके थे. इन्हीं आपा-धापी में फारूकी की रिहाई लटकी पड़ी थी. तभी 6 फरवरी की रात ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से इंदौर की CJM कोर्ट को फोन किया गया और बताया गया कि फारूकी की रिहाई का आदेश वेबसाइट पर भी अपलोड है. उन्हें फिलहाल पेशी से भी राहत दी गई है. इसके बाद जेल तक ये बात पहुंचाई गई और रात में ही फारूकी को रिहा किया गया. मुनव्वर पर क्या आरोप है? इंदौर में एक जगह है जिसका नाम है छप्पन दुकान. यहां का मुनरो कैफे युवाओं में लोकप्रिय है. यहीं पर एक जनवरी 2021 की शाम मुंबई के कलाकार मुनव्वर फारूकी का स्टैंडअप कॉमेडी शो चल रहा था. अचानक भीड़ के बीच से कुछ लड़के निकले. ये लोग इंदौर की बीजेपी विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ के ‘हिंद रक्षक संगठन’ से जुड़े थे. इन लोगों ने मंच पर पहुंच कर मुनव्वर फारूकी का विरोध किया. आरोप लगाया कि फारूकी हिंदू देवी-देवताओं को लेकर भद्दे मजाक कर रहे थे. गृहमंत्री अमित शाह का भी मज़ाक बनाने का आरोप लगाया.
शो के दौरान मुनव्वर और एकलव्य बाएं. पुलिस हिरासत के दौरान मुनव्वर अपने साथियों के साथ दाएं.
इसके बाद ये लोग फारूकी और कुछ अन्य लोगों को लेकर थाने पहुंचे, जहां इनके खिलाफ FIR करा दी गई. पुलिस ने फारूकी और उनके साथियों के खिलाफ IPC की धारा 295-A, 298, 269, 188 और 34 के तहत मामला दर्ज किया था. इसके बाद सेशन कोर्ट और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मुनव्वर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. तब वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत 5 फरवरी को मुनव्वर फारूकी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि फारूकी की गिरफ्तारी में CrPC की धारा-41 के तहत बताई गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. CrPC की धारा-41 में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में पुलिस बिना वारंट के किसी की तत्काल गिरफ्तारी कर सकती है. कोर्ट का कहना रहा कि इनमें जो परिस्थितियां बताई गई हैं, मुनव्वर का केस उनमें से किसी के अंतर्गत नहीं आता. मुनव्वर के केस को इससे परे पाया गया. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी. साथ ही धारा-41 का पालन न करने के संबंध में मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है.
रिहाई के बाद फारूकी ने मीडिया से बात की, लेकिन फूंक-फूंककर. कहा कि उन्हें देश की न्याय व्यवस्था और कानून पर पूरा भरोसा है लेकिन वे अपने मामले को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.