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धरती का 'बुखार' बढ़ रहा, जुलाई की ये तारीख इतिहास का सबसे गर्म दिन

कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (CCCS) को पता चला कि जुलाई 2023 और जुलाई 2024 के बीच वैश्विक औसत तापमान चरम पर था.

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hottest temperature on record
आने वाले महीनों और सालों में तापमान और बढ़ने की आशंका है. (फोटो- PTI)
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राजविक्रम
25 जुलाई 2024 (Published: 21:30 IST)
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धरती का बुखार बढ़ रहा है. वो भी थोड़ा बहुत नहीं, पिछले 85 सालों में सबसे तेज दर्ज हुआ है. खबर है कि जब से तापमान का हिसाब रखा जा रहा है, तब से धरती ने अपना सबसे गर्म दिन जुलाई में देखा (Hottest day on record). इससे एक दिन पहले बना रिकॉर्ड भी टूट गया. बताया जा रहा है कि बीते रविवार यानी 21 जुलाई को 1940 के बाद से सबसे गर्म तापमान दर्ज किया गया. लेकिन ये सब बताता कौन है?

यह जानकारी दी है, यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (CCCS) ने. इनके पास साल 1940 से लेकर अब तक का डेटा है. इसी डेटा की मदद से जानकारी मिली है कि धरती की सतह पर हवा का तापमान (surface air temperature) 21 जुलाई को 17.15 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. जो एक दिन पहले 17.09 डिग्री सेल्सियस था.

कुछ दिन पहले, CCCS को पता चला था कि जुलाई 2023 और जुलाई 2024 के बीच वैश्विक औसत तापमान चरम पर था. इतना कि पिछले हफ्ते दो दिन में दो रिकॉर्ड बने. वहीं, पिछले कई सालों के मुकाबले औसत वैश्विक तापमान ज्यादा रहा.

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन की खबर के मुताबिक, कॉपरनिकस के डायरेक्टर कार्लो बॉनटेंपो ने बताया कि इस हफ्ते धरती समझ से परे बनी हुई है. कार्लो ने आगे कहा कि उनका अनुमान है कि आने वाले महीनों और सालों में धरती का तापमान लगातार बढ़ने की ही आशंका है.

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे एक साल पहले 6 जुलाई को धरती का सबसे गर्म दिन रिकार्ड में था. इससे पहले यह रिकार्ड साल 2016 में था.

हम वैश्विक औसत तापमान के रिकॉर्ड बनने-टूटने की खबरें तो सुनते हैं. लेकिन ये होता क्या है? दरअसल धरती के अलग-अलग कोनों पर कई जगह स्टेशन हैं, जहां मौसम और तापमान वगैरह का डेटा रिकॉर्ड किया जाता है. फिर अलग-अलग जगहों या ग्रिड प्वाइंट पर यह डेटा फिट किया जाता है. 

हर ग्रिड प्वाइंट की रीडिंग का औसत निकाला जाता है, जो उस जगह के हिसाब से होता है. जैसे, भूमध्य रेखा से दूर ग्रिड का छोटा एरिया होता है, पास बड़ा एरिया. इन सब का ध्यान रखते हुए, डेटा एडजस्ट किया जाता है. तापमान का औसत निकाला जाता है. फिर इसके आधार पर धरती में किसी दिन के औसत तापमान की गणना की जाती है. वहीं ऐतिहासिक रिकॉर्ड, रिसर्च वगैरह के आधार पर पहले के डेटा का रिकार्ड भी रखा जाता है.

ये सब बताने वाली संस्था कौन है? 

यह हालिया आंकड़ा कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के द्वारा जारी किया गया है. यह यूरोपीय संघ (European Union) के कॉपरनिकस प्रोग्राम के अंतर्गत एक सर्विस है. इसमें धरती की सतह, वातावरण, समंदर, जलवायु से जुड़े डेटा जुटाने का काम किया जाता है.

ये सब यूरोपियन कमीशन के द्वारा मैनेज किया जाता है. और यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकॉस्ट के जरिए लागू किया जाता है. 

इसका काम पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा, अभी और पिछले कई सालों का डेटा जमा करना है. इसकी जानकारी लोगों को देना है. ताकि साइंटिस्ट्स इस बात का अंदाजा लगा सकें कि अभी और पहले कैसा क्लाइमेट था. और इसके आधार पर रिसर्च की जा सके, सरकारों को जलवायु परिवर्तन से जुड़े फैसले लेने में मदद मिल सके.

वीडियो: ठंडी और गर्मी ने इतने सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया, इसका पता चलता कैसे है?

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