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अर्थशास्त्र की नोबेल विजेता ने जो बताया, वो समझ गए तो अपनी मां की इज़्ज़त करना सीख जाएंगे

क्लॉडिया गोल्डिन को 2023 के लिए इकोनॉमिक्स का नोबेल लेबर मार्केट में महिलाओं की भागीदारी पर उनकी रिसर्च के लिए दिया गया है. उनका काम बताता है कि शादी, बच्चा और गर्भनिरोध कैसे महिलाओं की भागीदारी पर असर डालते हैं.

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Nobel 2023 prize in economic sciences to Claudia Goldin
क्लॉडिया गोल्डिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर हैं. (फोटो: X और Johan Jarnestad/The Royal Swedish Academy of Sciences)
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सुरभि गुप्ता
10 अक्तूबर 2023 (Updated: 11 अक्तूबर 2023, 10:29 IST)
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अमेरिका की क्लॉडिया गोल्डिन  (Claudia Goldin) को 2023 का इकोनॉमिक्स का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Economics 2023) दिया गया है. क्लॉडिया को ये सम्मान लेबर मार्केट में महिलाओं की भागीदारी पर उनकी रिसर्च के लिए दिया गया है. क्लॉडिया गोल्डिन को अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महिलाओं पर उनके ऐतिहासिक काम के लिए जाना जाता है. क्लॉडिया गोल्डिन ने सदियों से महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार (labour market) में उनकी भागीदारी पर रिसर्च की है. उनकी रिसर्च से लेबर मार्केट में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में समय के साथ आए बदलाव और काम में जेंडर गैप के कारणों के मुख्य सोर्स के बारे में बताया गया है. 

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कौन हैं क्लॉडिया गोल्डिन, जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल मिला है?

अमेरिका के न्यूयॉर्क में 1946 में जन्मी क्लॉडिया गोल्डिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर हैं. वो 1989 से 2017 तक नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च (NBER) के अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकास कार्यक्रम की डायरेक्टर रही हैं. वह NBER के 'जेंडर इन द इकोनॉमी ग्रुप' की को-डायरेक्टर हैं. 

क्लॉडिया एक आर्थिक इतिहासकार (Economic Historian) और एक श्रम अर्थशास्त्री यानी लेबर इकोनॉमिस्ट हैं. क्लॉडिया गोल्डिन ने अपनी रिसर्च में फीमेल लेबर फोर्स, काम में जेंडर गैप, आय में असमानता, तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और इमिग्रेशन सहित कई विषयों को कवर किया है. क्लॉडिया की ज्यादातर रिसर्च अतीत के चश्मे से वर्तमान की व्याख्या करती है और मौजूदा समस्याओं या मुद्दों की उत्पत्ति का पता लगाती है. क्लॉडिया की सबसे हालिया किताब 'करियर एंड फैमिली: वीमेन्स सेंचुरी-लॉन्ग जर्नी टुवर्ड्स इक्विटी' है. उन्होंने और भी कई किताबें लिखी और एडिट की हैं. 

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श्रम में महिलाओं की भागीदारी पर क्लॉडिया गोल्डिन की रिसर्च

लेबर मार्केट में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है और जब महिलाएं काम करती भी हैं, तो अक्सर उनकी आमदनी आदमियों की तुलना में कम होती है. क्लॉडिया गोल्डिन ने इस पर पिछले 200 साल का डेटा जुटाया और ये दिखाया कि कमाई और रोजगार में जैंडर गैप समय के साथ कैसे और क्यों बदल गया है. जेंडर गैप से मतलब ये कि एक ही काम में पुरुषों और महिलाओं का हासिल कितनी अलग तरह देखा जाता है. मसलन पुरुष मज़दूर को अगर एक दिन की मज़दूरी 100 रुपये मिले और महिला को 80, तो ये जेंडर गैप की स्थिति कहलाएगी. गोल्डिन ने दिखाया कि लेबर मार्केट में महिलाओं की भागीदारी का ग्राफ 200 सालों में लगातार बढ़ता नहीं बढ़ा, बल्कि ये ग्राफ U शेप का है.

19वीं सदी की शुरुआत में कृषि प्रधान समाज से औद्योगिक समाज में परिवर्तन के साथ शादीशुदा महिलाओं की भागीदारी लेबर मार्केट में कम होती गई. फिर 20वीं सदी की शुरुआत में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ के साथ महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोतरी होने लगी. गोल्डिन ने इस पैटर्न को घर और परिवार के प्रति महिलाओं की जिम्मेदारियों में आए संरचनात्मक बदलाव और विकसित हो रहे सामाजिक मानदंडों का नतीजा बताया.

इकोनॉमिक साइंसेज में नोबेल प्राइज के लिए कमिटी की सदस्य रैंडी हेज़लमरसन कहती हैं,

“ज्यादातर लोग सोचते हैं कि पिछले 50 या 100 साल में लेबर मार्केट में महिलाओं की भागीदारी में लगातार बढ़ोतरी हुई है. लेकिन क्लॉडिया गोल्डिन ने इतिहास में और भी पीछे जाकर डेटा जुटाया. उन्होंने दिखाया कि महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ती हुई न होकर U आकार की रही है. उन्होंने दिखाया कि 200 वर्षों के इतिहास में लेबर मार्केट में महिलाओं की भागीदारी में बदलाव कैसे और क्यों हुआ.”

20वीं सदी के दौरान महिलाओं की शिक्षा में लगातार बढ़ोतरी हुई है. ज्यादातर हाई इनकम वाले देशों में महिलाओं की शिक्षा पुरुषों की तुलना में ज्यादा है. क्लॉडिया गोल्डिन ने दिखाया कि गर्भनिरोधक गोलियों ने इस क्रांतिकारी परिवर्तन को तेज करने में अहम भूमिका निभाई है. 

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आज भी जारी है लिंग के आधार पर कमाई में अंतर

20वीं सदी में आधुनिकीकरण, आर्थिक विकास और कामकाजी महिलाओं के बढ़ते अनुपात के बावजूद महिलाओं और पुरुषों के बीच कमाई का अंतर कम नहीं हुआ. इस संदर्भ में गोल्डिन का एक स्पष्टीकरण ये है कि पढ़ाई से जुड़े फैसले जो जिंदगी में करियर के अवसरों को प्रभावित करते हैं. वो फैसले कम उम्र में किए जाते हैं. अगर एक युवा महिला के लिए अपेक्षाएं पिछली पीढ़ियों के अनुभवों के हिसाब से होती हैं, तो विकास धीमा होगा. उदाहरण के लिए, एक युवा महिला से अपेक्षा कि वो भी अपनी मां की तरह बच्चे के बड़े होने तक काम पर वापस न जाए.

ऐतिहासिक तौर पर कमाई में ज्यादातर जेंडर गैप को शिक्षा और काम को लेकर किए गए चुनाव में अंतर से समझाया जा सकता है. वहीं क्लॉडिया गोल्डिन ने दिखाया कि कमाई के अंतर का बड़ा हिस्सा अब एक ही व्यवसाय में लगे पुरुषों और महिलाओं के बीच है, यह बड़े पैमाने पर पहले बच्चे के जन्म के साथ शुरू होता है.

क्लॉडिया गोल्डिन ने उन कारकों को समझाया है, जिनसे लेबर मार्केट में महिलाओं के अवसर और उनके काम की डिमांड प्रभावित होती है. इकोनॉमिक साइंसेज में प्राइज कमिटी के अध्यक्ष जैकब स्वेन्सन ने क्लॉडिया गोल्डिन के रिसर्च पर कहा कि श्रम में महिलाओं की भूमिका को समझना समाज के लिए अहम है. उन्होंने कहा कि इस रिसर्च से अब हम उन कारकों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, जिनसे लेबर मार्केट में महिलाओं की भागीदारी पर असर पड़ता है. साथ ही, इससे भविष्य में किन बाधाओं को दूर करने की जरूरत हो सकती है, ये भी पता चलता है. क्लॉडिया गोल्डिन का रिसर्च बीते, मौजूदा और आगे के लेबर मार्केट की बेहतर समझ देता है. 

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