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'सुप्रीम कोर्ट जनता की अदालत, विपक्ष की भूमिका नहीं निभानी है'- रिटायरमेंट से पहले बोले CJI चंद्रचूड़

CJI DY Chandrachud ने कहा कि वो जबसे देश के मुख्य न्यायाधीश बने हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को 'लोगों की अदालत' बनाने की कोशिश की.

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CJI DY Chandrachud
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने 19 अक्टूबर को गोवा में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था. (फोटो: PTI)
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सुरभि गुप्ता
20 अक्तूबर 2024 (Published: 20:53 IST)
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की भूमिका 'जनता की अदालत' के तौर बनाई रखी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि, 'जनता की अदालत' होने का मतलब ये नहीं है कि कोर्ट को विपक्ष की भूमिका निभानी है. उन्होंने बताया कि CJI का कार्यभार संभालने के बाद से ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को 'जनता की अदालत' बनाने का लक्ष्य रखा.

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार, 19 अक्टूबर को गोवा में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था. इंडिया टुडे की सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान CJI ने कहा,

"जब से मैं भारत का मुख्य न्यायाधीश बना हूं, मैंने सुप्रीम कोर्ट को लोगों की अदालत बनाने की कोशिश की है. सुप्रीम कोर्ट ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके और विभिन्न प्रक्रियाओं को आसान बनाकर पुराने तरीकों को बदलने की कोशिश की है- इसमें कोर्ट पास पाना, ई-फाइलिंग और ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने जैसे रोजमर्रा के काम शामिल हैं."

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शीर्ष अदालत को 'जनता की अदालत' के रूप में संरक्षित रखना महत्वपूर्ण है. 

ये भी पढ़ें- CJI चंद्रचूड़ 'उलझे' हुए हैं, खुद बताया इन दिनों दिमाग में क्या चल रहा

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कॉन्फ्रेंस में कहा,

"जब समाज समृद्ध और संपन्न होता है, तो ऐसी धारणा बनती है कि आपको केवल बड़ी चीजों पर ही ध्यान देना चाहिए. हमारा कोर्ट ऐसा नहीं है. हमारी अदालत ‘जनता की अदालत’ है और मेरा मानना ​​है कि 'जनता की अदालत' के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए."

हालांकि, CJI ने कहा कि 'जनता की अदालत' होने का मतलब ये नहीं है कि उसे विपक्ष की भूमिका निभानी है. उन्होंने कहा,

"अब, ‘जनता की अदालत’ होने का मतलब ये नहीं है कि हम संसद में जो विपक्ष है, उसकी भूमिका निभाएं."

देश के मुख्य न्यायाधीश ने ये भी कहा कि लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तब स्वीकार करते हैं, जब फैसला उनके पक्ष में होता है. वहीं जब फैसला उनके खिलाफ होता है, तो वे उसकी आलोचना करते हैं. CJI ने कहा कि ये एक 'खतरनाक स्थिति' है.

वीडियो: "सरकार के साथ खड़े हैं" CJI चंद्रचूड़ ने किन मामलों के लिए ऐसा कहा?

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