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'मंत्री पद छोड़े 2 महीने हो गए', मराठा आरक्षण पर अपनी सरकार के 'विरोधी' छगन भुजबल अब ये क्यों बोले?

Chhagan Bhujbal NCP में अजित पवार गुट के MLA हैं. मराठा आरक्षण की मांग से निपटने के तरीके को लेकर राज्य सरकार की आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने 2 महीने पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अब तक ये बताया क्यों नहीं?

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maharashtra minister chhagan bhujbal disclosed that he had resigned from cabinet in november
शिंदे सरकार से इस्तीफा दे चुके हैं छगन भुजबल (फोटो- मंदार देवधर/इंडिया टुडे)
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ज्योति जोशी
4 फ़रवरी 2024 (Updated: 4 फ़रवरी 2024, 14:44 IST)
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महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) ने खुलासा किया है कि वो दो महीने पहले ही कैबिनेट से इस्तीफा दे चुके हैं. भुजबल NCP में अजित पवार गुट के विधायक हैं. वो पिछले कुछ समय से राज्य सरकार के एक फैसले के विरोध में आवाज उठा रहे थे. ये फैसला OBC कोटा में मराठाओं को आरक्षण देने से जुड़ा था. जब भुजबल ने इसका विरोध किया तो इस पर शिंदे गुट की तरफ से उनके इस्तीफे की मांग उठी. अब छगन भुजबल ने बताया है कि उन्होंने इस मांग के उठते ही 2 महीने पहले इस्तीफा दे दिया था.

Chhagan Bhujbal ने इस्तीफे की बात क्यों छिपाई?

3 जनवरी को अहमदनगर में एक रैली के दौरान छगन भुजबल ने कहा,

विपक्ष के कई नेता और यहां तक ​​कि मेरी सरकार के नेता भी कहते हैं कि मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए. किसी ने कहा कि भुजबल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए. मैं विपक्ष, सरकार और अपनी पार्टी के नेताओं को बताना चाहता हूं कि मैंने 16 नवंबर को ही कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद ही 17 नवंबर को मैं अंबाद में आयोजित OBC एल्गर रैली में शामिल होने गया था. मैं अंत तक OBC के लिए लड़ूंगा.

भुजबल ने बताया कि वो दो महीने से ज्यादा समय तक चुप रहे, क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री ने उन्हें इस बारे में कुछ नहीं बोलने के लिए कहा था.

क्या है मामला? 

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने हाल ही में आंदोलन किया था. 26 जनवरी की रात को राज्य सरकार ने सारी मांगों पर अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार किया. इसमें OBC कोटे में से ही मराठाओं को आरक्षण देने की बात थी. इस पर भुजबल ने कड़ी आपत्ति जताई. वो मराठा आरक्षण की मांग से निपटने के तरीके को लेकर राज्य सरकार की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ जाकर रैली का आयोजन भी किया था.

इसे लेकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भुजबल की आलोचना की थी. विधायक संजय गायकवाड़ ने छगन भुजबल के मंत्रिमंडल से इस्तीफे की मांग करते हुए विवादित बयान भी दिया था. कहा था,

भुजबल मराठा समुदाय के आरक्षण का विरोध कर रहे हैं. उन्हें लात मारकर कैबिनेट से बाहर कर देना चाहिए. एक मंत्री किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं हो सकता.अगर छगन भुजबल राज्य मंत्रिमंडल में होने के बावजूद CM का विरोध कर रहे हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाना चाहिए.

इस पर छगन भुजबल ने कहा था,

मैंने बयान सुना है और इस बारे में पढ़ा. हर किसी के पास इस्तीफा मांगने का अधिकार है. लेकिन विधायक ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वो सही नहीं है.

अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP ने भी संजय गायकवाड़ के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी और मामले की शिकायत CM एकनाथ शिंदे से करने की बात कही थी. 

'मराठा आरक्षण से दिक्कत नहीं'

भुजबल ने साफ किया है कि वो मराठा समुदाय को मिल रहे आरक्षण का विरोध नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें अलग से आरक्षण देने की मांग करते हैं. बोले,

आबादी में OBC 54-60 फीसदी, एससी/एसटी 20 फीसदी और ब्राह्मण 3 फीसदी हैं, फिर भी सभी विधायक और सांसद मराठा वोट खोने से डरते हैं.

भुजबल ने दावा किया कि OBC विधायक रैलियों में भाग लेना तो दूर, फंडिंग में भी मदद नहीं करते हैं.

वीडियो: शिंदे गुट के लिए फायदेमंद रहा महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का फैसला, अब उद्धव ठाकरे क्या करेंगे?

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