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J&K विधानसभा के पहले सत्र में ही अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ किसने दिया प्रस्ताव?

विपक्ष के एक विधायक ने अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने की मांग वाला एक प्रस्ताव पेश किया. इसे लेकर सदन में खूब हंगामा हुआ.

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Ruckus in Jammu and Kashmir Assembly's first session
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले सत्र में हंगामा (फोटो: PTI)
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सुरभि गुप्ता
4 नवंबर 2024 (Published: 16:38 IST)
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चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले सत्र के पहले दिन ही खूब हंगामा हुआ. ये हंगामा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के विधायक वहीद पारा की ओर से पेश किए गए एक प्रस्ताव के बाद हुआ. वो पुलवामा सीट से विधायक हैं. 4 नवंबर को वहीद पारा ने अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने की मांग वाला प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, 

"जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ये सदन (जम्मू-कश्मीर का) विशेष दर्जा समाप्त किए जाने का विरोध करता है."

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर के नाम वहीद पारा के प्रस्ताव में कहा गया,

"हालांकि सदन का एजेंडा तय हो चुका है, लेकिन हमारा मानना ​​है कि अध्यक्ष के तौर पर आपका अधिकार प्रस्ताव को शामिल करने की अनुमति देता है, क्योंकि ये व्यापक स्तर पर लोगों की भावना को प्रतिबिंबित करता है."

इस पर BJP के सभी 28 विधायकों ने अपनी सीट पर खड़े होकर विरोध जताया. विधानसभा में शोर-शराबा होने लगा. 

BJP विधायक श्याम लाल शर्मा ने वहीद पारा पर विधानसभा नियमों का उल्लंघन कर प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया. इसके लिए उन्हें निलंबित करने की मांग भी की.

ये भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटने के बाद से इतने लोगों की हो चुकी टारगेट किलिंग, एक-एक नाम ये रहा

अब्दुल रहीम राथर ने विरोध कर रहे सदस्यों से बार-बार सीट पर जाने की अपील की. हंगामे के बीच ही उन्होंने कहा कि प्रस्ताव अभी उनके पास नहीं आया है और जब आएगा, तब वे इसकी जांच करेंगे. BJP सदस्यों के नहीं मानने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए नाराजगी जाहिर की. 

वहीं मुख्यमंत्री और सदन के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा,

"हमें मालूम था कि एक सदस्य प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन हमने सोचा कि ऐसा विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव, उपराज्यपाल के अभिभाषण और श्रद्धांजलि के बाद होगा. हम इस पर तुरंत काम कर रहे हैं."

सीएम ने आगे कहा,

"ये विधानसभा जम्मू-कश्मीर के लोगों के जज़्बात को दिखाती है. हकीकत ये है कि लोगों ने 5 अगस्त, 2019 के फैसले पर अपनी मुहर नहीं लगाई है. अगर लगाई होती तो (विधानसभा चुनाव के) नतीजे अलग होते. हालांकि, इस मुद्दे को कैसे उठाया जाए और इसे रिकॉर्ड पर कैसे लाया जाए, इसका फैसला एक विधायक नहीं करेगा. आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है, सिवाय इसके कि ये कैमरे के लिए (खबरों में आने के लिए) किया गया था."

उमर ने ये भी कहा, 

"आने वाले दिनों में हम आपसे (अध्यक्ष) परामर्श करके एक प्रस्ताव लाएंगे."

उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से उपराज्यपाल के अभिभाषण तक सदन की कार्यवाही स्थगित करने का अनुरोध किया. अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही साढ़े 11 बजे तक स्थगित करने से पहले कहा, 

"मैं नए सदस्यों से नियमों के बारे में जानने और उनका पालन करने का अनुरोध करता हूं. आपने पहले ही दिन नियमों का उल्लंघन किया है. मैं इसकी इजाजत नहीं दूंगा, ध्यान रखें."

वहीं PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें प्रस्ताव पेश करने के लिए वहीद पारा पर 'गर्व' है. उन्होंने X पर पोस्ट किया,

"अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करने और विशेष दर्जा बहाल करने का संकल्प लेने के लिए JK विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के लिए वहीद पारा पर गर्व है."

इससे पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विधानसभा सत्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि चुनाव में भारी मतदान से लोगों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अटूट आस्था झलकती है, लेकिन राज्य का दर्जा वापस पाने की आकांक्षा अब भी प्रबल है. उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद ने हाल में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया है. सिन्हा ने कहा कि ये सामूहिक इच्छा को दिखाता है और इसे हासिल करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को एक टीम के रूप में मिलकर काम करना होगा.

वीडियो: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने के प्रस्ताव को LG ने दी मंजूरी

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