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जिया उल हक हत्याकांड के 10 दोषियों को उम्रकैद, भीड़ को समझा रहे अधिकारी का हुआ था मर्डर

Kunda CO Zia ul Haq Murder Case: दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. सभी पर 19,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस जुर्माने की आधी रकम जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को दी जाएगी.

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साल 2013 में ड्यूटी के दौरान जिया उल हक की हत्या हुई थी. (फाइल फोटो: आजतक)
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संतोष शर्मा
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9 अक्तूबर 2024 (Published: 22:12 IST)
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उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में साल 2013 में कुंडा के तत्कालीन सर्कल ऑफिसर (CO) जिया उल हक की ड्यूटी के दौरान हत्या हुई थी. अब लगभग साढ़े 11 साल बाद इस मामले में 10 लोगों को सजा सुनाई गई है. आजतक के संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक जिया उल हक हत्याकांड में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 9 अक्टूबर के दिन 10 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही, सभी दोषियों पर 19,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस जुर्माने की आधी रकम जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को दी जाएगी.

सजा पाने वाले 10 दोषियों के नाम फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आसरे, पन्नालाल पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पटेल उर्फ बुल्ले पटेल हैं. इससे पहले 5 अक्टूबर को इन आरोपियों को दोषी करार दिया गया था.

साल 2013 में हुई थी CO की हत्या

2 मार्च, 2013 की शाम 7:30 बजे एक ज़मीन के विवाद के कारण कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद गांव में हिंसा भड़क गई थी. घटना की जानकारी मिलते ही कुंडा के CO जिया उल हक, हथिगवां के SO (स्टेशन ऑफिसर) मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा के SO सर्वेश मिश्र पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे.

ये भी पढ़ें- जिया उल हक की हत्या कैसे हुई, राजा भैया ने क्या बताया?

CO उग्र भीड़ को समझा रहे थे कि इसी दौरान प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. बताया जाता है कि इसके बाद भीड़ ने पुलिस अधिकारी पर भी हमला कर दिया था. इसके बाद जिया उल हक लापता हो गए. वो किसी को नहीं मिल रहे थे. रात में पुलिस ने जब अपने CO की तलाश शुरू की, तो उनका शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर मिला थी.

जिया उल हक हत्याकांड में दो FIR दर्ज कराई गई थीं. पहली FIR हथीगंवा के तत्कालीन SO मनोज कुमार शुक्ला ने दर्ज कराई थी. वहीं दूसरी FIR जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद ने दर्ज कराई थी. परवीन आजाद की तरफ से दर्ज कराई गई FIR में उस समय यूपी सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह, हरिओम श्रीवास्तव, गुलशन यादव और नन्हे सिंह को आरोपी बनाया गया था.

CBI ने अपनी जांच में राजा भैया और उनके साथियों को क्लीन चिट दे दी थी. परवीन आजाद ने CBI की क्लीन सीट पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच हुई और बीते 23 दिसंबर, 2023 को CBI ने फिर राजा भैया और उनके साथियों को दोबारा क्लीन चिट दे दी.

वीडियो: जमघट: यूपी चुनाव 2022 से पहले राजा भैया का इंटरव्यू

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