The Lallantop
Advertisement

सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग का पूरा मामला क्या है?

दिल्ली सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सत्येंद्र जैन इस समय प्रवर्तन निदेशालय यानी कि ईडी (ED) की गिरफ्त में हैं.

Advertisement
Satyendar Jain and Arvind Kejriwal
सत्येंद्र जैन और अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)
31 मई 2022 (Updated: 2 जून 2022, 23:29 IST)
Updated: 2 जून 2022 23:29 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

दिल्ली सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सत्येंद्र जैन इस समय प्रवर्तन निदेशालय यानी कि ईडी (ED) की गिरफ्त में हैं. उन पर करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है. हालांकि जैन के खिलाफ ये कार्रवाई अचानक से नहीं हुई है. साल 2015-16 से ही केजरीवाल सरकार और सत्येंद्र जैन की केंद्रीय जांच एजेंसी से लगातार कश्मकश चल रही है. इस दौरान ईडी ने कई बार उनसे पूछताछ की, लेकिन कार्रवाई वहीं तक सीमित रही. इस बीच AAP नेताओं ने मोदी सरकार के इशारे पर ED द्वारा दिल्ली की सरकार को परेशान करने का आरोप लगाया और बीच में मामला ठंडा पड़ गया था. लेकिन अब ईडी ने तेजी दिखाते हुए सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर लिया है.

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर सत्येंद्र जैन के खिलाफ किस तरह का केस दर्ज किया गया है.

सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस क्या है?

ED ने अपनी जांच में दावा किया था कि साल 2015-16 से सत्येंद्र जैन से जुड़ी कंपनियों को 'शेल यानी कि कागजी' कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है. आरोप लगाया गया था कि ये पैसा हवाला के माध्यम से कोलकाता स्थिति एक कंपनी को कैश ट्रांसफर करने के बदले में प्राप्त हुआ था. ईडी ने कहा था, 

'इस पैसे का इस्तेमाल जमीन खरीदने या दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में खरीदी गई कृषि भूमि पर लोन चुकाने में इस्तेमाल किया गया था.'

केंद की जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि जैन और उनकी पत्नी इस दौरान इन कंपनियों में शेयरहोल्डर्स थे. इसे लेकर ED ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत साल 2017 में केस दर्ज किया था. 

उधर इस संबंध में जैन और AAP का कहना है कि ED जिन कंपनियों में भ्रष्टाचार होने का दावा कर रही है, उनसे उन्होंने 2013 में ही इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद हुई घटनाओं के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है और न ही वे इनसे जुड़े हैं.

कौन सी कंपनियां शामिल हैं?

इसी साल अप्रैल महीने में ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत जैन और उनके परिजनों से जुड़ी कंपनियों के संबंध में 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति जब्त की थी. इन कंपनियों के नाम अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, परयास इंफोसॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड हैं.

इसे लेकर ED ने कहा था, 

'प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की और उसके बाद पीएमएलए 2002 के तहत उनके परिवार और फर्मों से संबंधित 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है.'

AAP सरकार की प्रतिक्रिया

सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी नाराजगी जाहिर की है और इस केस को फर्जी बताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 

'सत्येंद्र जैन के खिलाफ 8 साल से एक फर्जी केस चलाया जा रहा है. अभी तक कई बार ED बुला चुकी है. बीच में कई साल ED ने बुलाना भी बंद कर दिया था, क्योंकि उन्हें कुछ मिला ही नहीं. अब फिर शुरू कर दिया क्योंकि सत्येंद्र जैन हिमाचल के इलेक्शन इंचार्ज हैं.'

सिसोदिया ने आगे कहा, 

‘हिमाचल में भाजपा बुरी तरह से हार रही है. इसीलिए सत्येंद्र जैन को आज (30 मई) गिरफ्तार किया गया है, ताकि वो हिमाचल न जा सकें. वे कुछ दिनों में छूट जाएंगे क्योंकि केस बिलकुल फर्जी है.’

कपिल मिश्रा के आरोप

कभी AAP सरकार में मंत्री रहे और अब भाजपा नेता बन चुके कपिल मिश्रा ने साल 2017 में आरोप लगाया था कि केजरीवाल के घर पर सत्येंद्र जैन ने उन्हें (केजरीवाल) दो करोड़ रुपये कैश दिया था. AAP छोड़ने के बाद कपिल मिश्रा ने ये आरोप लगाए थे. हालांकि आगे चलकर साल 2020 में कपिल मिश्रा को इस मामले में मांफी मांगनी पड़ी थी. उन्होंने दिल्ली की एक अदालत में बिना शर्त माफीनामा दायर कहा था कि उनके बयान 'राजनीति से प्रेरित और गलत' थे.

 

वीडियो: सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर क्या बोले कपिल शर्मा, अजय देवगन और शहनाज गिल?

thumbnail

Advertisement

Advertisement