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'खालिस्तानी तलवार दिखाते, मंदिर तोड़ते, ट्रूडो उन्हें पुचकारते', कनाडा के हिंदुओं ने क्या बताया?

कनाडा में रहने वाले हिंदू परिवारों का कहना है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों के गलत कामों पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. क्यों नहीं करते? इस समय क्या है कनाडा का हाल? ट्रुडो के आरोपों पर लोगों का वहां क्या सोचना है? सबकुछ जानिए

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Canadian Hindu families said government doesn not take action against Khalistani supporters.
कनाडा के हिंदुओं ने कहा खालिस्तानी खुलेआम तलवारें लहराते हैं, पोस्टर लगाते हैं. (फोटो क्रेडिट - इंडिया टुडे)
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प्रज्ञा
29 सितंबर 2023 (Updated: 29 सितंबर 2023, 19:23 IST)
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खालिस्तानी आतंकवादी(Khalistan terrorist) हरदीप सिंह निज्जर(Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद से भारत(India) और कनाडा(Canada) के बीच तनाव(tension) जारी है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो(Justin Trudeau) ने निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया था. वे कई बार अपने इस दावे को दोहरा चुके हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि वे इससे जुड़ी खुफिया जानकारियां भी भारत के साथ साझा कर चुके हैं.

भारत ने कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. इस बीच इंडिया टुडे से जुड़ीं अनीशा माथुर ने कनाडा में रहने वाले भारत के कई परिवारों से बातचीत की. कनाडा में रहने वाले हिंदुओं ने इस बारे में कहा कि केवल कुछ ही लोग हैं जो खालिस्तान की मांग करते है. लेकिन 100-200 लोगों को साथ लाना और हंगामा खड़ा करना कोई मुश्किल काम तो है नहीं. उन्होंने आगे कहा,

"जो चंद लोग खालिस्तान के समर्थक हैं, उनकी वजह से सभी लोग बदनाम हो रहे हैं."

'मंदिरों में तोड़फोड़ लेकिन कार्रवाई नहीं'

वहीं, लक्ष्मी नारायण मंदिर की प्रबंधन समिति के सदस्य पुरषोत्तम गोयल ने कहा कि जब प्रशासन हिंसा के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तो लोगों को लगता है कि वे इन लोगों का समर्थन कर रहे हैं. ये वही मंदिर है जिसे पिछले महीने तोडा गया था. उन्होंने सवाल किया,

"यहां तोड़फोड़ हुई लेकिन उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? क्या किसी पर आरोप लगे? इसकी जानकारी तक नहीं मिली है."

पुरषोत्तम गोयल ने आगे कहा,

"कनाडा के फ्रेजर में 20 गुरुद्वारे हैं. इसमें से केवल 2 खालिस्तानी समर्थकों के कब्ज़े में हैं. लेकिन बाकी लोग भी उनके खिलाफ बोलने में डरते हैं. खालिस्तान को ISI फंडिंग देता है. उन्हें AK-47 मिल रही हैं. वे इससे अराजकता और डर का माहौल पैदा कर रहे हैं."

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उन्होंने बताया कि मार्च में भारत के उच्चायुक्त यहां आए थे. उनका किसी जगह पर डिनर का कार्यक्रम था. खालिस्तानी वहां पहुंच गए, उन्होंने कुछ लोगों पर हमला किया. लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. सिर्फ लोगों को तितर-बितर किया. इससे लोगों में, खासकर हिंदुओं में ये डर बैठ गया कि पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी. इस घटना का मैसेज गलत गया. ऐसे में तो कानून व्यवस्था ही ठप्प हो जाएगी.

'कनाडा के लोगों को कोई लेना देना नहीं'

सरे में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों ने इस बारे में कहा कि खालिस्तानी मुद्दे की किसी को परवाह नहीं है. प्रधानमंत्री ट्रूडो ने संसद में ऐसा बयान देकर मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. कुछ गिरोह हैं, भारत से आने वाले कुछ लोग हैं जो इस समस्या को पैदा कर रहे हैं.

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Sikhs for protest in front of the Indian Consulate in Toronto, Canada, on July 8, 2023. (Photo by Geoff Robins / AFP) (Representative Image) (AFP)
फाइल फोटो

उन्होंने आगे कहा कि कनाडा के लोगों को इस मुद्दे से कोई लेना-देना ही नहीं है. उन्होंने क्यूबेक प्रांत में जनमत संग्रह कराया, लेकिन उसका क्या हुआ? वो हार गए. इसे सरकार ने कराया था. भारत में भी तो दंगे होते हैं, उन्हें कौन कराता है?

वहीं कनाडा के एक हिंदू परिवार ने कहा,

"खालिस्तानी यहां खुलेआम तलवारें लेकर घूमते हैं. पोस्टर लगाते हैं. लेकिन ट्रूडो सरकार ये सब करने दे रही है. खालिस्तान के समर्थकों को बहुत पैसा मिल रहा है. ट्रूडो सरकार भले ही उन पर कार्रवाई करने की बात कहती है. लेकिन असल में ऐसा नहीं है. सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है. ऐसे में कोई शरीफ आदमी सामने आकर बोलना तक नहीं चाहता."

'सिखों के वोट लेने के लिए दिया बयान'

सरे में ही टैक्सी चलाने वाले रोहित शर्मा कहते हैं कि यहां दो लड़के और दो लड़कियां आए. उन्होंने खालिस्तान का पोस्टर लगाया और चले गए. मंदिर पर हमले के बाद एक सामुदायिक बैठक बुलाई गई. इसमें स्थानीय राजनैतिक लोगों को बुलाया गया लेकिन कोई नहीं आया. वे आगे कहते हैं,

"कुछ लोग पूरे समुदाय की छवि खराब कर रहे हैं. हम मंदिर और गुरुद्वारे दोनों में जाते हैं. केवल 5% लोग ऐसा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सिख समुदाय के वोट लेने के लिए संसद में भारत के खिलाफ ऐसा बयान दिया."

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रोहित ने आगे ये भी बताया कि सरे में एक नहीं, कई मंदिरों पर हमले हो चुके हैं. लेकिन इसे लेकर कोई आगे नहीं आ रहा है. लोग डरे हुए हैं. खालिस्तानी हमारे कार्यक्रमों में आकर धमकते हैं. नारेबाजी करते हैं. वे कुछ लोगों से चंदा लेते हैं और आराम की ज़िंदगी जीते हैं.

(ये एक्सक्लूसिव स्टोरी इंडिया टुडे की अनीशा माथुर की है. वो इस समय कनाडा के सरे शहर से रिपोर्टिंग कर रही हैं.)

वीडियो: अमेरिका के इंडिया और कनाडा के रिश्ते पर इस बयान से खुश हो जाएंगे जस्टिन ट्रुडो?

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