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"ममता बनर्जी राज्यपाल पर कुछ भी कह सकती हैं, लेकिन...", हाई कोर्ट से मुख्यमंत्री को बड़ी राहत

हाई कोर्ट ने कहा कि सिंगल जज की बेंच ये साबित नहीं कर पाई कि ममता बनर्जी और दूसरे याचिकाकर्ताओं ने जो बयान दिए हैं, वे 'अपमानजनक' या 'गलत' हैं.

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Mamata Banerjee
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फाइल फोटो)
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साकेत आनंद
26 जुलाई 2024 (Published: 21:26 IST)
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने उस पुराने फैसले को पलट दिया है, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्यपाल पर 'अपमानजनक टिप्पणी' नहीं करने का आदेश दिया गया था. 26 जुलाई को हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने अंतरिम आदेश में कहा कि ममता बनर्जी राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बारे में कोई भी बयान दे सकती हैं, लेकिन वो कानून के अनुरूप होने चाहिए. बीती 15 जुलाई को हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने आदेश दिया था कि ममता बनर्जी राज्यपाल के खिलाफ 'अपमानजनक' या 'गलत' बयान नहीं दे सकतीं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता कुणाल घोष ने सिंगल जज के आदेश को चुनौती दी थी. 26 जुलाई को जस्टिस आईपी मुखर्जी और जस्टिस बिस्वरूप चौधरी की बेंच ने एक अंतरिम आदेश जारी किया. कहा कि ममता बनर्जी और कुणाल घोष राज्यपाल  लिए कोई भी बयान दे सकते हैं, लेकिन वे देश के कानून के अनुरूप होने चाहिए.

कोर्ट ने और क्या कहा?

> सिंगल जज की बेंच ये साबित नहीं कर पाई कि ममता बनर्जी और दूसरे याचिकाकर्ताओं ने जो बयान दिए हैं, वे 'अपमानजनक' या 'गलत' हैं.

> भारत के हर नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. इसका गला नहीं घोंटा जा सकता.

> ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है.

> हर व्यक्ति को सच जानने का अधिकार है. और अगर ये सच जनहित में है तो उसे लोगों के सामने लाने का अधिकार है.

> किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा उसके लिए मायने रखती है. कानून उसे इसकी रक्षा करने की ताकत देता है.

मामला कहां से शुरू हुआ?

2 मई को पश्चिम बंगाल राजभवन की एक महिला कर्मचारी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. कोलकाता पुलिस ने इस मामले की जांच भी शुरू की थी. हालांकि, राज्यपाल अपने खिलाफ लगे आरोप को निराधार बताया था. 27 जून को राज्य सचिवालय में एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की है कि वे राजभवन में हुईं हालिया घटनाओं के कारण वहां जाने से डरती हैं.

इसी पर राज्यपाल ने ममता बनर्जी के बयान की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह गलत और बदनामी वाली धारणा न बनाएं. 28 जून को आनंद बोस ने कलकत्ता हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री और तीन अन्य नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. तीन अन्य नेताओं में टीएमसी के दो विधायक - सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार - और पार्टी नेता कुणाल घोष हैं.

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इसी पर 15 जुलाई को जस्टिस कृष्णा राव की सिंगल जज बेंच ने अंतिरम आदेश दिया था. इसमें मुख्यमंत्री समेत टीएमसी नेताओं को राज्यपाल के खिलाफ कोई अपमानजनक या गलत बयान नहीं देने का निर्देश दिया गया था. ये अंतरिम आदेश 14 अगस्त तक लागू था. लेकिन अब डिविजन बेंच ने इसे हटा दिया.

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