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इजरायल ने जिस बम से नसरल्लाह को मारा, उससे जमीन छोड़िए उसके नीचे भी बचना मुश्किल है

बंकर बस्टर बम (Bunker Buster Bomb) ज़मीन के नीचे मौजूद अपने टारगेट तक पहुंचने के बाद फटते हैं. विडंबना देखिए इसका आविष्कार इजरायली यानी यहूदियों का जनसंहार करने वाले हिटलर के एक इंजीनियर ऑगस्ट कोएंडर्स ने किया था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सन 1942-43 में कोएंडर्स ने इन बमों को नाज़ी सेना के लिए बनाया था.

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bunker buster bombs used to kill hezbollah chief hasan nasrallah explained
बंकर बस्टर बम (Photo-Wikipedia)
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मानस राज
4 अक्तूबर 2024 (Published: 22:11 IST)
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चरमपंथी संगठन Hezbollah के चीफ Hasan Nasrallah की इजरायली हमले में मौत होने से पूरे मिडिल ईस्ट में युद्ध का संकट गहरा गया है. ईरान ने इजरायल के खिलाफ एक तरह से आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया है. इधर चर्चा उस बम की भी है जिससे कथित तौर पर नसरल्लाह को मारा गया. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि Israel ने हसन नसरल्लाह को मारने के लिए जिस ख़ास तरह के 'बम' का इस्तेमाल किया था उसे 'बंकर बस्टर बम' (Bunker Buster Bomb) कहा जाता है.

इजरायल के लेबनान पर हमलों के बाद Iran के विदेश मंत्री Abbas Araqchi ने 27 सितंबर को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में बयान दिया. बोले,

"इजरायली हुकूमत ने बेरूत में 5 हज़ार पाउंड के कई बंकर बस्टर बम इस्तेमाल किए हैं. ये बम उन्हें अमेरिका ने दिए हैं. इन्हीं बमों से इजरायल ने बेरूत के रिहायशी इलाकों में बमबारी की है."

'बंकर बस्टर' नाम क्यों?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने 2005 में पहली बार ये बम इजरायल को दिए थे. इनकी खासियत होती है इनके फटने की टाइमिंग. आमतौर पर फाइटर या बॉम्बर जहाज़ से गिरने के बाद बम ज़मीन पर टकराते ही फट जाते हैं. पर बंकर बस्टर बम ज़मीन के नीचे मौजूद अपने टारगेट तक पहुंचने के बाद फटते हैं. बंकर में छिपे टारगेट को मारने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए इन्हें इनके काम के हिसाब से 'बंकर बस्टर' नाम दिया गया है. 

'बंकर बस्टर बम' को ग्राउंड पेनेट्रेटिंग, माने ज़मीन भेदने वाले बम कहा जाता है. इस बम की ताकत इतनी अधिक होती है कि ये कंक्रीट के बने मज़बूत बंकर्स को भी भेद सकता है. बंकर बस्टर बम लगभग 30 मीटर की गहराई तक ज़मीन में जा सकते हैं. वहीं ये 6 मीटर की मज़बूत कंक्रीट को भी भेद सकते हैं. ज़मीन के नीचे जाने के बाद इनमें धमाका होता है जिससे टारगेट को ज़्यादा से ज़्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है. आमतौर पर ये बम 2 हजार से 4 हजार पाउंड के बीच होते हैं. इनमें एक खास तरह का उपकरण लगा होता है जिसे 'डिलेड फ्यूज' (Delayed Fuse) कहा जाता है. Delayed Fuse के कारण ही ये बम अपने टारगेट तक पहुंचने के बाद फटते हैं. 

कितने तरह के ‘बंकर बस्टर’?

टारगेट और जमीन के भीतर उसकी गहराई को देखते हुए कई तरह के बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया जाता है. अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेरूत पर हमले में इजरायल ने BLU-109 श्रेणी के बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया था. BLU का मतलब Bomb Live Unit है. अलग-अलग श्रेणी के बमों को उनकी विस्फोटक और जमीन की गहराई में जाने की क्षमता के मुताबिक नाम दिया जाता है. इसके अलावा Guided Bomb Unit होती है जिसे शॉर्ट में GBU कहा जाता है. उस श्रेणी के बम भी अमेरिका, इजरायल समेत कई देश इस्तेमाल करते हैं.

इतिहास

बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल आज इजरायल बड़े पैमाने पर कर रहा है. विडंबना देखिए इसका आविष्कार इजरायली यानी यहूदियों का जनसंहार करने वाले हिटलर के एक इंजीनियर ऑगस्ट कोएंडर्स ने किया था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सन 1942-43 में कोएंडर्स ने इन बमों को नाज़ी सेना के लिए बनाया था. आगे चलकर इराक में अमेरिका के नेतृत्व में 'ऑपरेशन डेज़र्ट स्टॉर्म' में इन बमों का जमकर इस्तेमाल हुआ.

वीडियो: तारीख: क्या था Operation Blitzkreig जिससे Hitler ने France को हरा दिया?

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