The Lallantop
X
Advertisement
  • Home
  • News
  • Bulldozer raj in India More th...

'डेढ़ लाख घर ध्वस्त, 7 लाख लोग बेघर', बुलडोजर एक्शन पर आई ये रिपोर्ट देख धक्का लगेगा

रिपोर्ट बताती है कि पिछले 5 सालों में बुलडोजर की कार्रवाई लगातार बढ़ी है और लोग बेदखल हुए हैं. इस दौरान कम से कम 16 लाख 80 हजार लोग प्रभावित हुए.

Advertisement
Bulldozer action in India
हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क बुलडोजर चलने के कारण बेदखल हुए लोगों पर रिपोर्ट तैयार की है. (फाइल फोटो)
pic
साकेत आनंद
11 जुलाई 2024 (Updated: 13 जुलाई 2024, 08:56 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

क्या हम, भारत के लोग, भारत को, एक संपूर्ण 'बुलडोजर राज' में बदलते देखना चाहते हैं? लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था में विश्वास रखने वाले कई लोग कुछ सालों से लगातार ये सवाल करते आए हैं. उनका कहना है कि ये कहां का न्याय है कि 'बुलडोजर राज' यानी बिना कानूनी प्रक्रिया से गुजरे लोगों के घर बुलडोजर से गिरा दिए जाएं और ये कार्रवाई एक नॉर्म बन जाए. अब एक रिपोर्ट आई है जो कहती है कि पिछले 2 सालों में देश भर में कम से कम डेढ़ लाख घरों को अलग-अलग कारणों से गिरा दिया गया. इसके कारण 7 लाख से ज्यादा लोगों को मजबूरन अपने घरों से बेदखल होना पड़ा.

अंग्रेजी मैगजीन 'फ्रंटलाइन' में अनुज बहल ने बुलडोजर से घर और दुकान गिराने की कार्रवाई पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. ये रिपोर्ट हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (HLRN) के हवाले से बनाई गई है. HLRN ने 2017 से लेकर 2023 तक इस तरह के आंकड़ों को इकट्ठा किया. रिपोर्ट बताती है कि इन सालों में बुलडोजर की कार्रवाई लगातार बढ़ी है और लोग बेदखल हुए हैं. इस दौरान कम से कम 16 लाख 80 हजार लोग प्रभावित हुए.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो सालों में 59 फीसदी बेदखली झुग्गियों को हटाने, लैंड क्लीयरेंस, अतिक्रमण हटाने या शहरों को खूबसूरत बनाने की पहल के कारण हुई हैं. साल 2023 में इन सब वजहों से करीब 3 लाख और 2022 में करीब डेढ़ लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर और तथाकथित विकास योजनाओं के कारण भी लोगों को विस्थापित होना पड़ा. इनमें से कई मामलों में सरकारों ने "अतिक्रमण हटाने" या "शहरों के सौंदर्यकरण" जैसे कारणों का इस्तेमाल किया.

इसमें सबसे हालिया उदाहरण लखनऊ के अकबरनगर का है. जहां 19 जून को राज्य सरकार ने 1169 घरों और 101 व्यावसायिक संपत्तियों को ढहा दिया. इनमें कई लोग दशकों से वहां रह रहे थे. फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोगों ने बताया कि विकास प्राधिकरण बनने से पहले वे वहां रह रहे थे. राज्य की बीजेपी सरकार इस इलाके में कुकरैल रिवर फ्रंट डेवलप करने की योजना बना रही है. हालांकि, सरकार का कहना है कि ये सभी ‘अतिक्रमण’ के दायरे में आते थे.

'सजा' के तौर पर बुलडोजर की कार्रवाई

लोगों की बसाहटों को उजाड़ने में इन सबके अलावा एक नया ट्रेंड चला है. किसी भी हिंसा या अपराध की घटना में आरोपियों के घरों या दुकानों को गिराने का चलन. हालांकि, ऐसे लगभग हर मामले पर प्रशासन की दलील रही है कि अमुक व्यक्ति का घर "अवैध" तरीके से बना था. पिछले दो सालों में दिल्ली के जहांगीरपुरी, यूपी के प्रयागराज, सहारनपुर, मध्य प्रदेश के खरगोन, हरियाणा के नूह की घटनाएं चर्चित रही हैं.

अप्रैल 2022 में हनुमान जयंती की 'शोभायात्रा' के दौरान झड़प हुई थी. इसके बाद नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने करीब 25 दुकानों और घरों को बुलडोजर से गिरवा दिया गया था. बताया गया कि इनमें से ज्यादातर पीड़ित मुस्लिम समुदाय से थे. अप्रैल 2022 में ही, मध्य प्रदेश के खरगोन में राम नवमी और हनुमान जयंती समारोह में हिंसा हुई थी. इसके बाद प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों के 16 घरों और 29 दुकानों को बुलडोजर से गिरा दिया था. इनमें से एक घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया था.

ये भी पढ़ें- साल भर चला बुलडोजर, कहां-कहां क्या गिराया, कोर्ट से क्या सुनने को मिला?

पिछले महीने ही, मध्य प्रदेश के मंडला में 11 लोगों के मकानों को बुलडोजर से गिरा दिया गया. प्रशासन ने दावा किया था कि इन लोगों के घरों में कथित रूप से गाय का मांस बरामद हुआ था. बुलडोजर चलाने को लेकर प्रशासन ने दलील दी थी कि घर सरकारी जमीन पर बने थे.

‘मुस्लिमों को टारगेट किया गया’

इस साल फरवरी में एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट से पता चला कि इस तरह की 128 कार्रवाइयों में मुस्लिमों को टारगेट किया गया, जिसमें 617 लोग प्रभावित हुए. एमनेस्टी ने लिखा कि मीडिया में कई बार इस तरह की कार्रवाई को समर्थन देते हुए पेश किया गया. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को "बुलडोजर बाबा" जैसी पदवी दी गई.

रिपोर्ट में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का हवाला दिया गया है. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान बाराबंकी में एक रैली के दौरान कहा था, 

"अगर सपा और कांग्रेस सत्ता में आते हैं तो रामलला फिर से टेंट में चले जाएंगे और वे राम मंदिर पर बुलडोजर चला देंगे. उन्हें योगीजी से ट्यूशन लेनी चाहिए, कहां बुलडोजर चलाना है और कहां नहीं चलाना चाहिए."

फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, HLRN के डेटा से पता चलता है कि इस तरह की बेदखली की कार्रवाई में 44 फीसदी मुस्लिम प्रभावित होते हैं. इसके अलावा 23 फीसदी कार्रवाई का शिकार आदिवासी होते हैं. वहीं, 17 फीसदी ओबीसी और 5 फीसदी दलित ऐसी कार्रवाइयों से प्रभावित होते हैं.

रिपोर्ट बताती है कि देश में करीब ‘1 करोड़ 70 लाख’ लोग इस डर के साये में जी रहे हैं कि उनके घरों को कभी भी ऐसी कार्रवाइयों में ढहाया जा सकता है.

इन कार्रवाइयों के बारे में कई बार सरकार पर आरोप लगे कि बिना नोटिस के ही लोगों के घर गिराए गए. कई बार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी सरकारों की इस तरह की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं.

वीडियो: राम मंदिर पर रैली, बवाल हुआ, बुलडोजर चला, मीरा रोड की ये है पूरी कहानी

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement