जीवा ने मायावती को बचाने वाले BJP नेता को मारा था, क्या है ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड की कहानी?
BJP के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में संजीव जीवा का नाम सामने आया था. उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
लखनऊ की एक अदालत में गैंगस्टर संजीव जीवा की हत्या कर दी गई है. बुधवार, 7 जून को संजीव जीवा सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचा था. उसी दौरान वकील बनकर आए हमलावर ने उसे गोली मार दी. गोली लगते ही संजीव जीवा कोर्ट परिसर में गिर गया और वहीं दम तोड़ दिया. गैंगस्टर संजीव जीवा का नाम BJP के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में भी सामने आया था. उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड को 90 के दशक का सबसे बड़ा पॉलिटिकल मर्डर कहा जाता है.
ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड10 फरवरी 1997 को ब्रह्मदत्त अपने घर से करीब आधा किलोमीटर दूर एक तिलक समाहरोह में शामिल होने गए. बाहर निकलते समय बाइक सवार दो लोगों ने उन पर गोली चलाई. आसपास के लोगों ने हॉस्पिटल पहुंचाया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
BJP नेता और यूपी के फर्रुखाबाद से विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या की खबर ने लोगों को सदमे में डाल दिया. इसके बाद शहर पर हैलीकॉप्टर मंडराते रहे. अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे तमाम दिग्गज सारे काम छोड़कर उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर फर्रुखाबाद पहुंच रहे थे.
कौन थे ब्रह्मदत्त द्विवेदी?ब्रह्मदत्त की बात करने से पहले बात मायावती की. 3 जून, 1995 को मायावती भाजपा के समर्थन से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं. इससे कुछ घंटे पहले वो लखनऊ के मीरा गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में बंद थीं. डरी, सहमी और घबराई. समाजवादी पार्टी के हथियारबंद समर्थकों ने गेस्ट हाउस को घेर रखा था. एक औरत और एक दलित औरत होने के कारण जो गालियां दी जा सकती हैं, जो कुछ करने की बातें की जा सकती हैं, बाहर वो सब कुछ हो रहा था और मायावती अंदर से भाजपा के नेताओं को फोन मिला रहीं थी. इसके बाद इस घटना के दो वर्जन हो जाते हैं.
मायावती पर लिखी गई किताब 'बहनजी' से, अजय बोस लिखते हैं कि मायावती ने जिन नेताओं को फोन मिलाया था, उनमें से एक ब्रह्मदत्त द्विवेदी थे. मदद मांगी गई. पुलिस एसपी और डीएम से बात की गई. जिलाधिकारी राजीव खेर ने आकर स्थिति संभाली.
कहानी जो सिर्फ कही गईये कहानी का वो वर्जन है, जो लोग सुनाते हैं. इसमें कथ्य कितना है और तथ्य कितना है, इसकी कोई गारंटी नहीं दी जा सकती है. कहा जाता है कि डीएम और एसपी के पहुंचने के पहले ब्रह्मदत्त खुद पहुंच गए थे. शख्सियत तो कद्दावर थी ही तो दोनों पक्षों के बीच दीवार बन गए. पुलिस के आने तक मायावती की हिफाज़त की. मायावती इसके बदले ब्रह्मदत्त को अपना भाई मानती रहीं. इस वर्जन से जुड़ी खास बात ये है कि 2007 में जब मायावती ने अनंत कुमार मिश्रा को फर्रुखाबाद से चुनाव लड़वाया तो उस समय बहनजी के सबसे खास सतीश मिश्रा ने भाषण दिया कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती की गेस्ट हाउस कांड में जान बचाई थी और हम उनका एहसान मानते हैं.
हत्या के समीकरणब्रह्मदत्त द्विवेदी एक नेता थे, कवि थे और जनता पर गहरी पकड़ रखते थे. इन सारी बातों के कारण अटल बिहारी वाजपेयी के काफी खास माने जाते थे. वकील भी थे और राम मंदिर आंदोलन में अपनी इस खासियत का उन्होंने बखूबी इस्तेमाल किया. पार्टी में इन सब वजहों से उनका कद बहुत तेजी से बढ़ गया था. और गेस्ट हाउस कांड के बाद तो सरकार में सहयोगी बसपा के लिए भी ब्रह्मदत्त एक फैमिलियर चेहरा थे. पर जब कोई कुर्सी पर बैठता है, तो पहले से मौजूद किसी को जगह छोड़नी पड़ती है. कहा जाता है कि कुछ लोगों को द्विवेदी से भी यही डर लगा कि कहीं उनके लिए कुर्सी खाली न करनी पड़ जाए.
इंडिया टुडे की ही खबर के मुताबिक उस समय राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह ने राजनीतिक कारणों से ही ब्रह्मदत्त की हत्या का शक जताया था. ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का आरोप उनके सियासी दुश्मन विजय सिंह पर आया था. दोनों के बीच की रंजिश जग-जाहिर थी. मगर इसमें एक और नाम था जिसने चौंकाया. अब भाजपा से सांसद साक्षी महाराज का.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड की जांच CBI ने की थी. लखनऊ की CBI कोर्ट ने 17 जुलाई, 2003 को गैंगस्टर संजीव जीवा और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विजय सिंह को मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. दोनों दोषियों ने फैसले को चुनौती दी थी और हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने ट्रायल कोर्ट के उम्रकैद के फैसले को बरकरार रखा था.
वीडियो: मुख्तार के शूटर संजीव जीवा की हत्या करने वाले को वकीलों ने ही पकड़ लिया