बिलकिस बानो केस के सभी दोषियों ने किया सरेंडर, मुंह छिपाकर पहुंचे जेल
Bilkis Bano केस में सभी दोषियों को Gujarat सरकार ने रिहा कर दिया था. 8 जनवरी को Supreme Court ने राज्य सरकार का फैसला रद्द कर दिया.
बिलकिस बानो (Bilkis Bano) केस के सभी 11 दोषियों ने सरेंडर कर दिया है. 21 जनवरी को देर रात 11:30 बजे सभी दोषी गुजरात के पंचमहल जिले के गोधरा उप-जेल पहुंचे और आत्मसमर्पण कर दिया. 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करने के बाद 21 जनवरी तक दोषियों को सरेंडर करने का आदेश दिया था.
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, पुलिस की कड़ी निगरानी में ये सभी अपने दो निजी वाहनों से गोधरा उप-जेल पहुंचे. स्थानीय क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर एनएल देसाई ने बताया,
“सभी 11 दोषियों ने रविवार देर रात जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर कर दिया है.”
गुजरात सरकार ने इन्हें सजा में छूट देते हुए रिहा कर दिया था. फिर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को पलट दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की तकलीफ को समझना जरूरी है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अपराध का अहसास होने के लिये सजा दी जाती है.
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इसके बाद दोषियों ने विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए सरेंडर करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था. अदालत ने 19 जनवरी को याचिकाएं खारिज कर दीं और उन्हें 21 जनवरी तक जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया.
Bilkis Bano केस क्या है?3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद में बिलकिस बानो के परिवार पर हमला हुआ था. इस दौरान उनका गैंगरेप किया गया. उनके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई. बिलकिस तब 5 महीने की गर्भवती थीं और गोद में 3 साल की एक बेटी भी थी. इस दौरान दंगाईयों ने उनकी 3 साल की बेटी को पटक-पटककर मार डाला.
साल 2004 में गैंगरेप के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इसी साल केस को अहमदाबाद से बॉम्बे ट्रांसफर कर दिया गया. बिलकिस बानो ने सबूतों के साथ संभावित छेड़छाड़ और गवाहों के लिए खतरे का मुद्दा उठाया था.
जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 2017 में इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. सभी को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था. करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की उप-जेल में भेज दिया गया था.
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