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बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंची गुजरात सरकार, अब क्या मांग कर दी?

गुजरात सरकार द्वारा Bilkis Bano Case के दोषियों की समय से पहले रिहाई को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसके साथ ही, राज्य की BJP सरकार को फटकार लगाई थी. अब गुजरात सरकार चाहती है कि कोर्ट के रिकॉर्ड से वो टिप्पणियां हटा दी जाएं.

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Bilkis Bano Case: Gujarat Govt Files Review Petition Against Supreme Court's Adverse Remark
सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को बिलकिस केस के दोषियों को वापस जेल भेजने का फैसला दिया था. (फोटो: PTI)
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सुरभि गुप्ता
14 फ़रवरी 2024 (Updated: 14 फ़रवरी 2024, 08:21 IST)
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गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर की है. कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में उसके खिलाफ जो सख्त टिप्पणियां की गईं, उन्हें कोर्ट के रिकॉर्ड से हटाया जाए. कौन सी सख्त टिप्पणियां? वो टिप्पणियां जो सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस (Bilkis Bano Case) के दोषियों की रिहाई को रद्द करते हुए गुजरात सरकार पर की थीं.

सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा गया था?

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले के एक दोषी के साथ गुजरात सरकार के मिलीभगत बात भी कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों की समय से पहले हुई रिहाई को रद्द करने का फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की आलोचना की थी.

ये भी पढ़ें- बिलकिस बानो केस के सभी दोषियों ने किया सरेंडर, मुंह छिपाकर पहुंचे जेल

कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार दोषियों को कैसे माफ कर सकती है. बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी, तो रिहाई पर फैसला भी वहीं की सरकार को करना था. जिस राज्य में अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, उसी को दोषी की माफी याचिका पर फैसला लेने का अधिकार है.

गुजरात सरकार ने सफाई में क्या कहा है?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को अनुचित बताते हुए उन्हें रिकॉर्ड से हटाने की अपील की है. ये भी कहा है कि ऐसी टिप्पणियों से पूर्वाग्रह पैदा होता है. गुजरात सरकार ने अपनी सफाई में ये भी कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के दिए गए मई 2022 के निर्देश का ही पालन कर रही थी. कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ही 11 दोषियों में से एक दोषी राधेश्याम के माफी आवेदन पर राज्य सरकार को विचार करने के लिए कहा था.

बता दें कि दोषी राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट में रियायत की याचिका डालने के पहले अपनी याचिका गुजरात हाई कोर्ट में दायर की थी. तब हाई कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि रियायत देने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार के पास है. फिर राधेश्याम ने एक और याचिका हाई कोर्ट में दायर की और उसे भी खारिज कर दिया गया था. इसके बाद राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन उसने गुजरात हाई कोर्ट में याचिकाओं को खारिज किए जाने की जानकारी को सुप्रीम कोर्ट से छुपा लिया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने राधेश्याम की अपील पर गुजरात सरकार को फैसला लेने का निर्देश दिया था. फिर आई, 15 अगस्त, 2022 की तारीख, जब बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने माफी देते हुए समय से पहले रिहा कर दिया. 

इस रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी. 8 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा किए गए सभी 11 दोषियों को वापस जेल भेजने का आदेश दिया. कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मई, 2022 के जिस फैसले के आधार पर 11 दोषियों को छोड़ा गया, वो एक फ्रॉड के तहत पाया गया निर्णय था. इसलिए वो कानून के मुताबिक नहीं टिकता है.

ये भी कहा गया था कि गुजरात सरकार ने कोर्ट के मई, 2022 के आदेश पर भी कोई आपत्ति ज़ाहिर नहीं की कि वो सजा में रियायत देने के लिए उचित सरकार नहीं है. इस तरह गुजरात सरकार ने महाराष्ट्र सरकार के अधिकारों का हनन और अधिग्रहण किया. 

यहां पढ़ें- बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दोषियों की रिहाई का आदेश निरस्त

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