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खामियों के वीडियो हुए थे वायरल, इस राज्य ने सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री ही बैन कर दी

राज्य के शिक्षा विभाग की ओर से ये आदेश जारी किया गया है. अब माइक और कैमरे के साथ मीडियाकर्मी स्कूल कैंपस में एंट्री नहीं कर पाएंगे.

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सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री बैन कर दी गई है. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
16 अक्तूबर 2024 (Published: 14:30 IST)
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सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री (Media entry ban) बैन कर दी गई है. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने ये फैसला लिया है. शिक्षा विभाग के आदेश के मुताबिक अनुमति लिए बिना किसी भी संस्था के प्रतिनिधि को स्कूल परिसर में एंट्री नहीं दी जाएगी. बिहार शिक्षा विभाग के सह-अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने एक लेटर जारी किया है. जिसमें सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री बंद करने का फरमान जारी किया गया है. 

शिक्षा विभाग ने क्या वजह बताई है?

सह-अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि विभागीय आदेश के बिना कई संस्था के प्रतिनिधि माइक कैमरा और दूसरे उपकरणों के साथ स्कूल कैंपस में घुस जाते हैं. जिससे बच्चों की पढ़ाई लिखाई बाधित होती है. साथ ही इस तरह के हस्तक्षेप स्कूल के रेगुलर एक्टिविटीज को बाधित करते हैं. यह डिस्टर्बेंस स्टूडेंट्स के सीखने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है. जिससे स्टूडेंट्स का सर्वांगीण विकास बाधित होता है. इसलिए सरकारी स्कूलों में अनाधिकृत एंट्री पर बैन लगाया गया है.

अब स्कूल में मीडिया से कौन बातचीत करेगा? 

शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूल के टीचर्स के भी मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी है. आदेश में कहा गया है कि स्टूडेंट्स की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केवल प्रिंसिपल ही प्रेस ब्रीफिंग के लिए अधिकृत होंगे. कोई दूसरे टीचर्स मीडिया से बातचीत नहीं करेंगे.

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फजीहत से बचने की कवायद?

बिहार के सरकारी स्कूलों के अक्सर वीडियो वायरल होते रहते हैं. जिसमें मीडियाकर्मी माइक लेकर स्कूल में घुस जाते हैं. इनमें से कई यूट्यूबर्स सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था को दिखाते हैं. वहीं कई लोग टीचर्स और स्टूडेंट्स से सवाल-जवाब करते नजर आते हैं. इनमें कई बार तो टीचर्स और स्टूडेंट्स सामान्य सवालों का भी जवाब नहीं दे पाते. जिसके चलते प्रशासन और बिहार सरकार की काफी फजीहत होती थी. बिहार सरकार के इस फैसले को फजीहत से बचने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है.

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