यूके सरकार में उथल-पुथल, PM ऋषि सुनक ने गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को हटाया
ऋषि सुनक ने सुएला ब्रेवरमैन की जगह जेम्स क्लेवरली को नया गृह मंत्री नियुक्त किया गया है. एक और दिलचस्प बदलाव हुआ है. पूर्व पीएम डेविड कैमरून को यूके का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है.
यूनाइटेड किंगडम की सरकार में फिर उथल-पुथल है. पीएम ऋषि सुनक ने अपने सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त कर दिया है (Rishi Sunak sacks Suella Braverman). वो यूके की गृह मंत्री थीं. उनकी जगह जेम्स क्लेवरली को नया गृह मंत्री नियुक्त किया गया है. एक और दिलचस्प बदलाव ऋषि सुनक की कैबिनेट में हुआ है. पूर्व पीएम डेविड कैमरून को यूके का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है (David Cameron Foreign Secretary).
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल-हमास जंग का असर यूरोपीय देशों में काफी ज्यादा देखने को मिला है. वहां का समाज दो धड़ो में बंट गया है. इजरायल के समर्थकों ने हमास के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए हैं, तो फिलिस्तीन की मांग को सही ठहराते हुए इजरायल की युद्ध कार्रवाई के खिलाफ भी प्रोटेस्ट हुए हैं. इस बीच यूके की गृह मंत्री के रूप में सुएला ब्रेवरमैन ने फिलिस्तीनी समर्थक प्रदर्शनकारियों के प्रति पुलिस की रणनीति की आलोचना कर दी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुएला ब्रेवरमैन ने 11 नवंबर को एक लेख प्रकाशित किया था. इसमें उन्होंने फिलिस्तीन समर्थकों के एक जुलूस को संभालने के पुलिस के तरीके पर निशाना साधा था. कहा जा रहा है कि इस लेख के बाद सुएला की मुश्किलें बढ़ने लगीं. उनके आलोचकों ने कहा कि उनके रुख ने तनाव बढ़ाने और दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों को लंदन की सड़कों पर उतरने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद की. इसके बाद पीएम ऋषि सुनक पर अपनी सीनियर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ने लगा था.
ब्रेवरमैन को हटाए जाने का सीधा कारण 11 नवंबर के टाइम्स के लिए लिखा उनका लेख था. उसमें उन्होंने दावा किया था,
विवादों से पुराना नाता“ऐसी धारणा है कि जब (फिलिस्तीनी समर्थक) प्रदर्शनकारियों की बात आती है तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उन पर नरमी से पेश आते हैं. फिलिस्तीनियों के समर्थन वाली भीड़ की तुलना में दक्षिणपंथी चरमपंथियों के प्रति उनका रुख सख्त होता है.”
हाल ही में सुएला का एक और बयान चर्चा में आया था. इसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन के शहरों में फुटपाथ पर रहने वाले लोग अपनी मर्जी से वहां रहते हैं और ये उनकी लाइफस्टाइल चॉइस है. उन्होंने सोशल मीडिया वेबसाइट X पर लिखा,
“ब्रिटेन के लोग दयालु हैं. हम हमेशा उन लोगों का साथ देंगे जो सचमुच बेघर हैं. लेकिन हम अपनी सड़कों पर तंबुओं की कतारों से लोगों को कब्जा नहीं करने देंगे, जिनमें से कई लोग विदेश से आए हैं. ये लोग अपनी पसंद के लाइफस्टाइल के तहत सड़कों पर रहते हैं.”
ब्रिटेन की गृह मंत्री (अब पूर्व) का कहना था कि सरकार ब्रिटेन के शहरों को सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिल्स जैसा नहीं बनने दे सकती है. ब्रेवरमैन ने ये भी कहा था कि इन दोनों अमेरिकी शहरों में बेघर लोग सड़क किनारे रहते हैं और वहां अपराध की दर सबसे ज्यादा है.
इस साल के शुरुआत में भी ब्रेवरमैन ने एक विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन में शरण चाहने वाले लोगों को रवांडा भेज दिया जाना चाहिए.
सुएला पहले भी एक बयान को लेकर विवादों में घिर गईं थीं. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि जो बच्चे अपना लिंग बदलना चाहते हैं, उन्हें ब्रिटेन के स्कूलों में अलग से माहौल उपलब्ध कराने की ज़रूरत नहीं है. साथ ही ऐसे बच्चों पर कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं है कि उन्हें किसी अलग नाम से बुलाया जाए या वे अलग ढंग के कपड़े पहनें.
सुएला ब्रेवरमैन का भारत कनेक्शन?3 अप्रैल 1980 को सुएला ब्रेवरमैन लंदन के हैरो टाउन में पैदा हुईं. उनके पिता गोवा के रहने वाले थे. मां का जन्म मॉरीशस के तमिल परिवार में हुआ था. सुएला की पैदाइश से 20 साल पहले उनके मां बाप ब्रिटेन में आकर बसे थे.
सुएला की परवरिश वेंबले शहर में हुई. प्राइमरी की पढ़ाई उन्होंने यूक्सेंडन मैनर प्राइमरी स्कूल से पूरी की. पढ़ाई के दौरान ही उनकी रूचि राजनीति की तरफ दिखने लगी थी. जब उन्होंने कानून की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज के क्वींस कॉलेज में दाखिला लिया. इस दौरान वो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी कंजर्वेटिव एसोसिएशन से जुड़ीं. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी कंजर्वेटिव एसोसिएशन का सीधा संबंध कंजर्वेटिव पार्टी से तो नहीं था लेकिन विचारधारा का झुकाव उसी तरफ था. आगे सुएला छात्र राजनीति में अपनी पैठ बनाने लगीं. जल्द ही वो एसोसिएशन की अध्यक्ष बन गईं.
सुएला के राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई 2003 में. ब्रिटेन के ब्रेंट शहर में इलेक्शन होने थे. कंज़र्वेटिव पार्टी के कैंडिडेट की एक लिस्ट जारी हुई. लिस्ट में सुएला का नाम पहले से मौजूद था, लेकिन वो ये चुनाव नहीं लड़ना चाह रही थीं. इसलिए उन्होंने अपनी मां उमा फर्नांडिस को खड़ा किया. उनके लिए कैंपेनिंग शुरू कर दी. सुएला की कैंपेनिंग ऐसी थी कि इस पर सबकी नज़र पड़ी. कैंपेनिंग की चर्चा इतनी बढ़ी कि उन्हें गार्जियन अखबार ने बातचीत के लिए बुलाया और ‘द रोड टू नंबर 10’ नाम के आर्टिकल में जगह दी. इस चुनाव में सुएला की मां उमा की जीत हुई और वो पार्षद बनीं.
साल 2005 में ब्रिटेन में आम चुनाव हुए. सुएला ने लीसेस्टर ईस्ट सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन जीत नहीं पाईं. 2010 में वो बेक्सहिल की सीट से खड़ी हुईं. लेकिन फिर नाकाम रहीं.
जीत का स्वाद मिला 2015 के चुनाव में. सुएला फेरम सीट से सांसद चुनी गईं. 2015 से 2017 तक उन्होंने एजुकेशन सिलेक्ट कमिटी में काम किया. इस कमिटी का काम देश की शिक्षा से जुड़ी पॉलिसी बनाना होता है. सुएला ब्रेग्ज़िट की समर्थक भी रही हैं. साल 2020 में बोरिस जॉनसन सरकार के दौरान उन्हें अटॉर्नी-जनरल का पद मिला.
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