ईस्ट इंडिया कंपनी. वो कंपनी जो व्यापार के बहाने भारत आई. कॉटन, सिल्क, नमक,मसाले, चाय और अफ़ीम का व्यापार शुरू किया. और फिर अपने जड़ें फैला कर यहीं जम गई.पहले इसका लक्ष्य व्यापार के ज़रिए भारत से मुनाफ़ा कमाना ही था. लेकिन जैसे-जैसेमुगलों की पकड़ कमज़ोर पड़ती गई, अंग्रेजों ने भारत के तख़्त पर अधिकार ज़माना शुरू करदिया.1764 का बक्सर युद्ध एक ऐसा युद्ध था जिसने अंग्रेजों को बिहार और बंगाल का कंट्रोलदे दिया. इस युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाएं भिड़ी थीं तीन संयुक्त सेनाओं केसाथ. एक थी मीर कासिम की सेना. मीर कासिम 1764 तक बंगाल के नवाब थे. दूसरी थी अवधके नवाब शुजाउद्दौला की सेना. और तीसरी थी मुग़ल शासक शाह आलम द्वितीय की सेना. इनतीनों ने मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से जंग लड़ी, लेकिन हार गए. बक्सर उस समयबंगाल की सीमा में आता था.नवाब शुजाउद्दौला. (तस्वीर: विकिमीडिया)जंग क्यों हुई थी?मीर कासिम बंगाल के नवाब की गद्दी पर बैठा था. मीर जफ़र का दामाद था वो. जब जफ़र नेदेखा कि वो अंग्रेजों की मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्होंने गद्दी खाली करके मीर कासिम को नवाब बना दिया था. मीर कासिम देश के सभी नवाबों में सबसे ताकतवरमाना जाता था. वो नहीं चाहता था कि अंग्रेज़ बंगाल के कामकाज में दखलअंदाज़ी करें.उसने अपने हिसाब से नीतियां बनाईं. लेकिन बंगाल का नवाब बनने में अंग्रेजों ने उसकीबहुत मदद की थी. इस वजह से अंग्रेज़ चाहते थे कि मीर उनके हाथों की कठपुतली बना रहे.लेकिन मीर को ये मंज़ूर नहीं था.उसने अपनी सेना को ट्रेनिंग देने के लिए विदेशी ट्रेनर भी बुलवाए. भारत मेंअंग्रेजों के व्यापारी (प्राइवेट ट्रेडर्स) और कुछ मामलों में लोकल व्यापारी फरमानऔर दस्तक (व्यापार करने के लिए दिए जाने वाले पास) का गलत इस्तेमाल करते थे, कासिमने इस पर रोक लगाई. बक्सर की लड़ाई से पहले तीन बार ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ उसकीसेनाओं की भिड़ंत हुई, लेकिन तीनों बार हार जाने की वजह से उसे भागकर इलाहाबाद मेंशरण लेनी पड़ी. यहीं शुजाउद्दौला से उसकी मुलाक़ात हुई, और उन्होंने शाह आलम द्वितीयके साथ मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी को चुनौती देने की सोची.ईस्ट इंडिया कंपनी. (सांकेतिक तस्वीर: विकिमीडिया)उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से जो सेना मैदान में उतरी थी,उसमें सात हज़ार के करीब सैनिक थे. वहीं तीनों राजाओं की मिली जुली सेना तकरीबन40,000 थी. लेकिन इनमें तारतम्य नहीं था. इस वजह से ये हार गए .क्या हुआ जंग के बाद?हारने के बाद शुजाउद्दौला और शाह आलम ने समर्पण कर दिया. मीर कासिम ने मैदान छोड़दिया और भाग निकला. कंपनी की सेना उसके पीछे लग गई. 1765 में शुजाउद्दौला और शाहआलम ने इलाहाबाद संधि पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद रॉबर्ट क्लाइव को बंगाल का गवर्नरजनरल नियुक्त किया गया.अंग्रेजों को दी जाती दीवानी. (तस्वीर साभार: बीबीसी)कंपनी को बंगाल, बिहार, और ओडिशा की दीवानी दे दी गई. यानी अब यहां से ब्रिटिशर्सकर इकठ्ठा कर सकते थे. शुजाउद्दौला को इलाहाबाद और शाह आलम को कोरा दे दिया, जहांशाह आलम कंपनी की सुरक्षा में रहने लगा. कंपनी ने हर साल राजा को 26 लाख रुपए देनेका वादा किया था, लेकिन बाद में ये व्यवस्था भी बंद कर दी गई . मीर जफ़र को फिर सेबंगाल का नवाब बना दिया गया.--------------------------------------------------------------------------------वीडियो:अगर जियो के 19 और 52 रुपये के स्मॉल रिचार्ज पैक्स इस्तेमाल करते हैं तोआपके लिए बुरी खबर है