सरकारी जमीन कब्जा करने के आरोप पर धीरेंद्र शास्त्री ने लल्लनटॉप को क्या जवाब दिया?
आरोप है कि सरकारी सामुदायिक भवन में धीरेंद्र शास्त्री का दरबार लगता है.
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं. एक आरोप जमीन कब्जे को लेकर भी है. आरोप है कि उनका दरबार कब्जे की जमीन पर लगता है. इस पर हमारे साथी निखिल और अभिनव ने धीरेंद्र शास्त्री से सवाल किया. उनसे पूछा गया,
“गढ़ा पंचायत में 12 लाख की राशि से बने सामुदायिक भवन पर कब्जा कर उसे धाम का नाम दिया. राजनगर तहसील के खसरा नंबर 485/2, 482, 483 और 428 ये राजनगर तहसील में मसान, तलाब और पहाड़ के रुप में दर्ज है और इल्जाम है कि आपके सेवादार तालाब को पाटकर दुकानें बना रहे हैं. जबकि तहसीलदार एक बार नोटिस दे चुके हैं. वहां के लोगों का ये भी इल्जाम है कि सरकारी संपत्ति पर टपरे और धाम के भी कुछ निर्माण थे. मगर सिर्फ टपरे तोड़े गए क्योंकि पार्किंग बनने वाली है.”
धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया,
"सरकार अपना काम कर रही है. कलेक्टर की समिति है, कलेक्टर की देख रेख है. जगह पर भीड़-भाड़ से भगदड़ न हो इसलिए कलेक्टर वहां पार्किंग बना रही है. उसकी ग्राम पंचायत उगावनी कर रही है. लोगों और आपको चाहिए TRP वो आपको मिलेगी बागेश्वर धाम से.'
हमने आगे सवाल किया,
“वहां पंद्रह लोगों की निजी स्वामित्व की जमीन है. और उन लोगों पर दबाव है कि वो अपनी जमीन को धाम को बेचें. इसके चलते कुछ दिन एक शख्स ने अपनी जमीन धाम को बेची भी. और एक पटवारी हैं पवन अवस्थी, जो आपके सेवादारों के साथ मिलकर लोगों पर जमीन बेचने का दवाब बना रहे हैं. ऐसे आरोप हैं.”
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा,
“क्या भारत में कानून व्यवस्था नहीं है. या हमारे जिले में कानून व्यवस्था नहीं है. और हमारा किसी की निजी जमीन का कोई मैटर ही नहीं है. हम किसी के पास जाते ही नहीं हैं. हमें किसी की जमीन से मतलब नहीं है.”
पवन अवस्थी के साथ मिलकर कब्जा करने के आरोप को लेकर धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि ये सब फिजूल की बाते हैं और ऐसे में तो लोग कह देंगे कि सरकार उनके साथ मिली हुई है. और उन्हें किसी की जमीन की जरूरत नहीं है, पूरा संसार हमारा है.
वीडियो: बागेश्वर धाम सरकार को किसने दी खुली चुनौती? बवाल पर क्या बोले धीरेंद्र शास्त्री?