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राम मंदिर के लिए सोनिया गांधी को इसलिए भेजा न्योता, VHP ने अब क्या वजह बताई?

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया था. इस समारोह में भाग लेने को लेकर अभी तक कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

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सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे (फाइल फोटो: PTI)
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रवि सुमन
1 जनवरी 2024 (Updated: 1 जनवरी 2024, 09:00 IST)
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राम मंदिर के (Ayodhya Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. अब इस मामले में विश्व हिंदू परिषद (VHP) की प्रतिक्रिया आई है. VHP के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि इस समारोह के निमंत्रण पर कोई राजनीति नहीं हो रही है.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आलोक कुमार ने कहा है कि अगर इस पर कोई राजनीति हो रही होती तो क्या सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) को बुलाया जाता? खरगे जी को मैं व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण देने गया हुआ था. उन्होंने आगे कहा कि VHP के ट्रस्ट अधिकारी अधीर रंजन को और राम मंदिर पैनल के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा सोनिया गांधी को न्योता देने गए थे. कुमार ने कहा कि वो चाहते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ये सभी लोग आएं.

VHP नेता ने कहा कि इस समारोह के लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को बुलाया गया है. अगर वो आते हैं तो सम्मान के साथ उनका स्वागत किया जाएगा.

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इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने के मुद्दे पर उन्होंने कहा है कि अगर विपक्ष के सभी नेताओं को बुलाया जा रहा है तो प्रधानमंत्री को आमंत्रण देने में क्या दिक्कत है.

कांग्रेस का क्या कहना है?

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर तैयारी चल रही है. 22 जनवरी को ये समारोह होना है. इस समारोह में भाग लेने को लेकर अभी तक कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे या नही.

इससे पहले, विपक्ष के कई नेताओं ने सरकार पर राम मंदिर को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया था. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि उन्हें 22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए न्योता नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि मंदिर सरकार का मामला नहीं होता है. बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, लोक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार के मामले होते हैं. उन्होंने कहा कि वो धर्म को राजनीतिक रूप से नहीं देखते.

इधर, शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि ये सब राजनीति है. उन्होंने इसे BJP का कार्यक्रम बताते हुए कहा था कि ये कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं है. BJP के किसी कार्यक्रम में कौन शामिल होना चाहता है? ये तो बीजेपी की रैली है.

वहीं, 26 दिसंबर को CPI(M) नेता सीताराम येचुरी ने इस समारोह का न्योता ठुकरा दिया था. येचुरी ने कहा था कि धर्म एक व्यक्तिगत पसंद है और इसे राजनीतिक फायदे का साधन नहीं बनाया जा सकता. 

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