मुस्लिम निकाह पर असम सरकार का नया बिल काजी, मौलाना को बहुत बड़ी टेंशन देने वाला है!
इस बिल को राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिसकी वकालत मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा कई बार कर चुके हैं.
असम कैबिनेट ने एक ऐसे बिल को मंजूरी दी है जिससे काजी और मौलाना अब मुस्लिमों की शादी रजिस्टर नहीं कर सकेंगे. इस बिल का नाम है- असम विवाह और तलाक अनिवार्य सरकारी पंजीकरण, बिल 2024. इस बिल के जरिये बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन पर भी रोक लगाई जाएगी. बिल को मौजूदा विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा, जो 22 अगस्त से शुरू हुआ है. इसे राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिसकी वकालत मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा कई बार कर चुके हैं.
राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में असम के मुस्लिम विवाह रजिस्ट्रेशन कानून, 1935 को खत्म किया था. पिछले महीने एक बिल लाकर इसे औपचारिक रूप से खत्म किया गया था. इस कानून के तहत उन शादियों का भी रजिस्ट्रेशन हो जाता था, जिनमें महिला की उम्र 18 या पुरुष की उम्र 21 पूरी नहीं हुई हो. इसे खत्म किए जाने के बाद से ही नए कानून को लाने की तैयारी चल रही थी.
बिल में प्रावधान है कि सब-रजिस्ट्रार ही अब मुस्लिम शादियों का रजिस्ट्रेशन करेंगे. कैबिनेट से बिल को मंजूरी मिलने के बाद 21 अगस्त को मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि नए बिल से यह सुनिश्चित होगा कि समुदाय में होने वाले सभी शादियां सरकार के पास रजिस्टर्ड होंगी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा,
"अब नाबालिगों की शादी का रजिस्ट्रेशन बिल्कुल नहीं होगा. हम बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करना चाहते हैं. इसलिए, शादी का रजिस्ट्रेशन सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में होगा."
मुख्यमंत्री ने बताया कि शादियों में मुसलमानों की रस्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, सिर्फ काजियों द्वारा रजिस्ट्रेशन किए जाने पर रोक लगाई गई है.
पिछले साल फरवरी में असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी. राज्य की पुलिस ने पिछले साल कम से कम 4 हजार लोगों को गिरफ्तार किया था. ये कार्रवाई राज्य के बाल विवाह रोकथाम कानून के तहत शुरू हुई. राज्य सरकार ने तब कहा था कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ शादी करने वालों के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज होगा. POCSO यानी यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण कानून. वहीं, 14 से 18 के बीच की लड़कियों के साथ शादी करने पर बाल विवाह कानून के तहत केस दर्ज किए जाने का आदेश था.
इस कार्रवाई को शुरू करने पर मुख्यमंत्री सरमा ने कहा था कि पिछले सात सालों में जो भी बाल विवाह का हिस्सा रहे है उनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज करेगी. उन्होंने ये भी कहा था कि इस कार्रवाई का लक्ष्य ऐसी शादी करवा रहे "मुल्ला, काजियों और पुजारियों" पर होगा.
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अब हिमंता बिस्व सरमा ने 21 अगस्त को ये भी कहा कि सरकार आने वाले समय में "लव जिहाद" के खिलाफ कानून लेकर आएगी और दोषियों को उम्रकैद की सजा दिलाएगी. 'लव जिहाद' टर्म का इस्तेमाल अक्सर हिंदू संगठन धर्म परिवर्तन के मसलों में करते हैं.
हालांकि, केंद्र सरकार संसद में जवाब दे चुकी है कि 'लव जिहाद' जैसी कोई चीज नहीं है. फरवरी 2020 में सरकार ने इसी पर जवाब देते हुए कहा कि संविधान सभी को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है. इसी "लव जिहाद" का हवाला देकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश की राज्य सरकारें धर्म परिवर्तन के खिलाफ कठोर कानून ला चुकी है.
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