असम में एक और मदरसे पर चला बुलडोजर, आतंकी संगठनों से जुड़े होने का आरोप
प्रशासन का कहना है कि मदरसे की इमारत कमजोर थी और यहां देश विरोधी गतिविधियां चल रही थी, इसलिए ये कार्रवाई की गई.
असम (Assam) के बंगाईगांव में बुधवार, 31 अगस्त को एक मदरसे को प्रशासन ने बुलडोज़र चलाकर ढहा दिया. ये मदरसा राज्य के बोंगाईगांव जिले (Bongaigaon) में स्थित था. प्रशासन के मुताबिक इस मदरसे के एक शिक्षक को 26 अगस्त को असम पुलिस ने अल कायदा इंडियन सब्कॉन्टीनेंट (AQIS) और प्रतिबंधित संगठन अंसार-उल-बांग्ला टीम (ABT) से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया था. इमाम और मदरसे के शिक्षकों सहित 37 लोगों की गिरफ्तारी के बाद असम सरकार की ओर से ये कदम उठाया गया है. एक हफ्ते के अंदर असम में दूसरे मदरसे पर ये कार्रवाई हुई है. जबकि इस मामले से जुड़े अब तक तीन मदरसों को ढहाया जा चुका है.
वहीं, एसपी स्वप्निल डेका ने इस कार्रवाई के बार में जानकारी देते हुए बताया कि मरकाजुल मां आरिफ करियाना मदरसे को दो कारणों से ढहाया गया है.
"पहली वजह है इस इमारत का कमजोर होना, ये इमारत इंसानों के रहने के लिए सुरक्षित नहीं है. इसे पीडब्ल्यूडी नियमों के मुताबिक नहीं बनाया गया था. असम में यह तीसरा मदरसा है जो गैर कानूनी तौर पर बनने के कारण तोड़ा गया है. इससे पहले मोनिका और ग्वालपाड़ा में दो मदरसों को तोड़ा गया था. दूसरी वजह ये है कि इस मदरसे से आतंकी संगठनों और प्रतिबंधित कट्टरपंथी गुटों से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले हैं. जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है."
आजतक से जुड़े विकास की खबर के मुताबिक इससे पहले असम के बारपेटा जिले में सोमवार, 29 अगस्त को एक मदरसे का तोड़ा गया था. प्रशासन के मुताबिक इस मदरसे ने अंसारुल्लाह ABT के दो बांग्लादेशी आतंकियों को चार साल अपने यहां रखा. इनमें से एक मोहम्मद सुमन उर्फ इस्लाम को इसी साल जनवरी में गिरफ्तार किया जा चुका है, वहीं दूसरा आतंकी अभी फरार है. असम पुलिस के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर लचित कुमार दास का कहना है कि ये मदरसा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और जिहादी संगठनों में शामिल है. इसलिए मौके पर पहुंचकर इस संपत्ति का सत्यापन किया और पाया कि इसे सरकारी जमीन पर बनाया गया है. साथ ही इसका मालिक भी नहीं है. इसलिए इसे गिरा दिया गया.
असम सरकार की मदरसों पर कार्रवाई पर AIUDF के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल (Maulana Badruddin Ajmal) ने प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि,
"राज्य में लाखों स्कूल हैं. अगर कोई व्यक्ति अपराधी पाया जाता है, तो उसे गिरफ्तार किया जाता है. बाकी स्कूलों की तरह मदरसों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए, केवल दोषियों को ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए."
मौलाना बदरुद्दीन का कहना है कि मदरसे गरीबों को शिक्षित करते हैं. इनमें से कई मदरसों को 20-30 सालों तक पैसा इकट्ठा करने के बाद बनाया गया है लेकिन उन्हें एक ही दिन में गिरा दिया जाता है.
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