असद का एनकाउंटर करने वाले अफसरों की कहानी, जो बड़े-बड़े डकैतों को गिरा चुके हैं!
DSP नवेन्दु तो एक उंगली गंवा चुके हैं, राष्ट्रपति से मिल चुका सम्मान...
यूपी पुलिस ने अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और उसके एक सहयोगी गुलाम को एक एनकाउंटर में मार दिया. दोनों उमेश पाल मर्डर केस में आरोपी थे. यूपी पुलिस ने दोनों के ऊपर 5 लाख रुपये का ईनाम घोषित किया हुआ था. यूपी पुलिस ने दावा किया कि स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने असद और गुलाम को झांसी में एक एनकाउंटर के दौरान मार गिराया. पुलिस के मुताबिक, इस एसटीएफ टीम में कुल 12 पुलिसकर्मी शामिल थे. इस टीम को डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार और विमल कुमार सिंह लीड कर रहे थे.
दावा किया गया कि पहले आरोपी असद की तरफ से फायरिंग हुई और उसके बाद दोनों भागने की कोशिश में मारे गए. झांसी में हुए इस एनकाउंटर के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने STF की उस टीम की तारीफ की, जिसने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. असद और उसके साथी को पकड़ने के लिए दो टीम लगी थी. एक को प्रयागराज यूनिट के डिप्टी एसपी नवेंदु सिंह लीड कर रहे थे, दूसरी टीम को लखनऊ एसटीएफ के डिप्टी एसपी विमल कुमार लीड कर रहे थे.
कौन हैं नवेन्दु कुमार?नवेन्दु कुमार यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे. प्रमोशन मिलने के बाद वो पीपीएस अधिकारी भी बने. करियर के शुरुआती दिनों में ही उनकी बहादुरी को देखते हुए STF में शामिल कर लिया गया था. बीहड़ में कई डकैतों के एनकाउंटर में वो शामिल रहे थे. एक एनकाउंटर में तो हाथ में गोली भी लगी. साल था 2009 और तारीख 16 जून. STF की टीम ने चित्रकूट के राजापुर थाने के जमौली गांव में घनश्याम केवट नाम के डकैत को घेर लिया था. वो एनकाउंटर 52 घंटे चला था, कई बड़े पुलिस अधिकारी घायल हुए थे, जिसमें नवेन्दु के भी हथेली पर गोली लग गई थी. दाहिने हाथ की एक उंगली बुरी तरह छलनी हो गई.
कई कुख्यात बदमाशों को ढेर करने वाले नवेन्दु को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला था, जिसके बाद वो डिप्टी एसपी बन गए. पिछले 6 सालों से नवेन्दु यूपी एसटीएफ की प्रयागराज यूनिट में तैनात हैं. 2008 और 2014 में नवेन्दु कुमार को राष्ट्रपति की तरफ से वीरता पदक मिल चुका है.
डीएसपी विमल सिंह कौन?इस ऑपरेशन में दूसरा चर्चित नाम विमल सिंह का है. विमल यूपी एसटीएफ के लखनऊ मुख्यालय पर DSP के पद पर हैं. विमल सिंह भी यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे. और इनको भी आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिल चुका है. विमल सिंह की गिनती STF के दिलेर अफसरों में होती है. ददुआ का नाम तो सुना होगा. कुख्यात डकैत. जुलाई का महीना और साल 2007. सालों से परेशानी का सबब बने ददुआ की लोकेशन एकदम सटीक मिल गई थी. STF की टीम ने घेर लिया, चित्रकूट के झमगल जंगल में ददुआ को मार गिराया गया. STF की उस टीम में विमल कुमार सिंह शामिल थे.
बताया जाता है कि यूपी एसटीएफ में तैनाती के दौरान पूर्वांचल के कई बड़े माफियाओं पर शिकंजा कसने में विमल सिंह के मुखबिर नेटवर्क की अहम भूमिका रही है. विमल यूपी के जौनपुर के रहने वाले हैं.
एनकाउंटर में जो पुलिसकर्मी शामिल थेनवेन्दु कुमार और विमल कुमार सिंह के अलावा इस टीम में कई इंस्पेक्टर और हेड कॉन्स्टेबल भी शामिल थे. इनमें अनिल कुमार सिंह (इंस्पेक्टर), ज्ञानेंद्र कुमार राय (इंस्पेक्टर), विनय तिवारी (सब इंस्पेक्टर), पंकज तिवारी (हेड कॉन्स्टेबल), सोनू यादव (हेड कॉन्स्टेबल), सुशील कुमार (हेड कॉन्स्टेबल), सुनील कुमार (हेड कॉन्स्टेबल), भूपेंद्र सिंह (हेड कॉन्स्टेबल), अरविंद कुमार (कमांडो) और दिलीप यादव (कमांडो) शामिल थे.
24 फरवरी को हुए उमेश पाल हत्याकांड में यूपी पुलिस दोनों की तलाश कर रही थी. उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया कि दोनों के पास से विदेशी हथियार भी बरामद हुए हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस वॉरंट लेकर साजिशकर्ता अतीक और उसके भाई अशरफ को अलग-अलग जेलों से प्रयागराज ला रही थी. ऐसी सूचना थी कि रास्ते में अपराधियों को छुड़ाने की साजिश की जा सकती है. आज (13 अप्रैल) साढ़े 12 से एक बजे के बीच सूचना के आधार पर कुछ लोगों को इंटरसेप्ट किया गया. उधर से गोलियां चलाई गईं. इस मुठभेड़ में 24 फरवरी की घटना के 2 अभियुक्त मारे गए. इनकी पहचान असद और गुलाम के तौर पर की गई है.”
प्रशांत कुमार ने कहा कि सरकार की अपराध और अपराधियों को खत्म करने की प्रतिबद्धता है. सरकार माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है.
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