अनंतनाग एनकाउंटर के शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह की परिवार से आखिरी बात भावुक कर देगी
कर्नल मनप्रीत ने आखिरी बार अपने परिवार से 13 सितंबर की सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर बात की थी.
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के अनंतनाग (Anantnag) में आतंकियों से मुठभेड़ में भारतीय सेना के दो अधिकारी और एक DSP शहीद हो गए हैं. शहीद जवानों में राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर (CO) कर्नल मनप्रीत सिंह का भी नाम है. ‘सेना मेडल’ से सम्मानित कर्नल मनप्रीत ऑपरेशन को लीड कर रहे थे.
मनप्रीत सिंह की कहानीकर्नल मनप्रीत सिंह पंजाब के चंडीगढ़ के पास पड़ने वाले गांव भारोनजियन के रहने वाले थे. वो 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर (CO) थे. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी जानकारी के मुताबिक कर्नल की फील्ड पोस्टिंग अगले चार महीने में खत्म होने वाली थी. जिसके बाद उन्हें अगली पोस्टिंग मिल जाती.
पत्नी और दो बच्चे हैंकर्नल मनप्रीत की पत्नी जगमीत ग्रेवाल हरियाणा शिक्षा विभाग में लेक्चरर हैं. उनके दो बच्चे हैं. 6 साल का एक बेटा और 2 साल की एक बेटी. कर्नल मनप्रीत लगभग 17 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे. उनके पिता, जिनका देहांत हो चुका है, वो भी सेना में सेवा दे चुके हैं.
कर्नल मनप्रीत के परिवार के एक सदस्य ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जब वो लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर थे तो उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया था.
सुबह हुई घरवालों से आखिरी बातइंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार कर्नल मनप्रीत ने आखिरी बार अपने परिवार से 13 सितंबर की सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर बात की थी. कर्नल मनप्रीत ने परिवार को बताया था कि वो एक ऑपरेशन में व्यस्त हैं, और शाम को 7 बजे के बाद बात करेंगे.
इनपुट मिलने के बाद शुरू हुआ ऑपरेशनरिपोर्ट के अनुसार अनंतनाग के गडूल इलाके में 12 सितंबर की शाम सेना का ऑपरेशन शुरू किया गया था. लेकिन रात में ऑपरेशन बंद कर दिया गया. 13 सितंबर की सुबह आतंकियों के बारे में इनपुट मिलने पर ऑपरेशन फिर से शुरू किया गया. कर्नल मनप्रीत सिंह ऑपरेशन को लीड कर रहे थे. तभी आतंकियों ने उन पर फायर कर दिया. सिंह गंभीर रूप में घायल हो गए थे.
जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों को 13 सितंबर की सुबह इलाके में दो से तीन आतंकियों के होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमों ने दोबारा ऑपरेशन शुरू किया था. इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेना से भागते हुए 2-3 आतंकी ऊंचाई वाली जगह पर पहुंच गए थे. इसी का फायदा उठाकर उन्होंने सैनिकों पर गोलीबारी कर दी जिसमें 3 बड़े अधिकारियों की मौत हो गई.
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