The Lallantop
X
Advertisement
  • Home
  • News
  • Ameen Sayani the legendary rad...

अमीन सयानी, जिनका शो 'बिनाका गीतमाला' लोगों ने कान से सटाकर, दिल से सुना

"बहनो और भाइयो, आपका प्यारा दोस्त अमीन सयानी …".

Advertisement
Ameen Sayani, binaca geetmala
अमीन सयानी के चर्चित शो 'बिनाका गीतमाला' की शुरुआत साल 1952 में हुई थी.
pic
लल्लनटॉप
21 फ़रवरी 2024 (Published: 21:40 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

लीजेंडरी रेडियो प्रेज़ेंटर Ameen Sayani नहीं रहे. मंगलवार की रात हार्ट अटैक के बाद उन्हें मुंबई के एच. न. रिलायंस हॉस्पिटल मेंं भर्ती करवाया गया था. मगर उसी रात हार्ट फेल होने की वजह से उनका निधन हो गया. उनके बेटे रजिल सयानी ने इस खबर की पुष्टि की. अमीन सयानी 91 साल के थे.  

"बहनो और भाइयो, आपका प्यारा दोस्त अमीन सयानी …"

यह आवाज तकरीबन 6 दशक तक हिंदी और उर्दू जुबान समझने वाले लगभग हर शख्स ने सुनी है. उनका कार्यक्रम बिनाका गीतमाला और सितारों की जवानियां बेहद लोकप्रिय हुआ करते थे. भाई हामिद सयानी ने अमीन का परिचय ऑल इंडिया रेडियो, बॉम्बे से करवाया था. शुरुआत हुई अंग्रेज़ी कार्यक्रम से. जो अगले 10 सालों तक चलता रहा. मगर अमीन सयानी की आवाज़ को पहचान मिली 1952 में रेडियो सीलोन पर शुरू हुए 'बिनाका गीतमाला' से. ये हिंदी फिल्मी गीतों का साप्ताहिक काउंटडाउन शो होता था. 

हुआ ये कि 1952 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी.वी. केस्कर ने ऑल इंडिया रेडियो पर हिंदी फिल्मी गानों के चलाए जाने पर रोक लगा दी. उन्हीं दिनों कोलंबो से ब्रॉडकास्ट होने वाला रेडियो सीलोन पॉपुलर होना शुरू हो रहा था. AIR से हिंदी गाने बैन होने के बाद रेडियो सीलोन ने अपने यहां हिंदी फिल्मी गाने चलाने शुरू कर दिए. ये अमीन सयानी के लिए करियर का सबसे बड़ा ब्रेक साबित हुआ. इसी दौरान रेडियो सीलोन पर अमीन सयानी को 'बिनाका गीतमाला' नाम का शो होस्ट करने का मौका मिला. इस एक शो ने उनकी ज़िंदगी बदलकर रख दी. हालांकि वो इसके साथ ऑल इंडिया रेडियो पर भी एक शो होस्ट करते थे. 

‘बिनाका गीतमाला’ 36 सालों तक रेडियो सीलोन पर प्रसारित होता रहा. हालांकि AIR से हिंदी फिल्मों को बैन करने का फैसला भारतीय जनता को ठीक नहीं लगा. नतीजतन, 1957 में AIR को तोड़कर विविध भारती शुरू किया गया. फाइनली 1989 में ‘बिनाका गीतमाला’ को विविध भारती पर प्रसारित करना शुरू किया गया. वहां ये शो अगले पांच सालों तक चलता रहा. श्रोताओ ने 30 मिनट का यह शो 42 सालों तक कानों से सटाकर दिल से सुना.  

‘बिनाका गीतमाला’ के अलावा रेडियो पर अमीन सयानी के कई और शोज़ को लोगो का खूब स्नेह मिला. इसमें ‘फ़िल्मी मुक़दम्मा', ‘फ़िल्मी मुलाक़ात’, ‘सैरिडॉन के साथी’, ‘बॉर्न विटा क्विज कॉन्टेस्ट’, ‘शालीमार सुपरलेक जोड़ी’, ‘सितारों की पसंद’, ‘चमकते सितारें’, ‘महकती बातें’, और ‘संगीत के सितारों की महफ़िल’ जैसे शोज़ शामिल रहे. इसके अलावा, सयानी ने ‘स्वनाश’ नाम की एक रेडियो सीरीज भी शुरू की थी. 13 एपिसोड का ये नाटक HIV/एड्स के असल मामलों पर आधारित हुआ करता था. इसमें डॉक्टरों और सोशल वर्कर्स के इंटरव्यूज़ शामिल होते थे. कई NGO इन नाटकों के ऑडियो कैसेट खरीदते थे. जिन्हें वो फील्ड वर्क के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए इस्तेमाल करते थे.

महात्मा गांधी की वजह से सीख पाए हिंदी-उर्दू  

कुलसुम सयानी और जान मोहम्मद सयानी स्वतंत्रता सेनानी थे. 21 दिसंबर, 1932 को इस जोड़े को एक बच्चा पैदा हुआ. जिसे आगे चलकर लोगों ने अमीन सयानी के नाम से जाना. अमीन सयानी की मां कुलसुम ने वयस्क शिक्षा पर काफी काम किया. कुलसुम को महात्मा गांधी अपनी बेटी कहा करते थे. महात्मा गांधी के कहने पर ही कुलसुम सयानी ने रहबर के नाम से तीन भाषाओं हिंदी, उर्दू और गुजराती में अपना अखबार निकालना शुरू किया. इसी ‘रहबर अखबार’ में काम करते हुए अमीन सयानी ने अपनी हिंदी और उर्दू की उस मिश्रित जबान को डेवलप किया, जो आगे चलकर उनकी पहचान बनी.

उपलब्धि और अवार्ड्स 

अमीन सयानी के नाम 54,000 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय रेडियो शोज़ करने का रिकॉर्ड दर्ज है. रेडियो के अलावा उन्होंने ‘भूत बंगला’, ‘तीन देवियां’, ‘बॉक्सर’ और ‘क़त्ल’ जैसी फिल्मों में अनाउंसर के रोल में भी नज़र आए. 2009 में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मा श्री से नवाज़ा था. 


ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे नीरज ने लिखी है.  
 


 

वीडियो: क़िस्सागोई : निराला ने रेडियो एंकर का गला क्यों पकड़ लिया?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement