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UP: नए धर्मांतरण कानून में धरे गए शख़्स को हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए क्या कहा?

आरोपी की पार्टनर ने जबरन धर्म परिवर्तन और रेप का आरोप लगया है.

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तस्वीर- पीटीआई
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अभिषेक त्रिपाठी
13 जून 2021 (Updated: 13 जून 2021, 10:31 IST)
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून के तहत चार्ज झेल रहे एक व्यक्ति को जमानत दे दी है. इस व्यक्ति पर अपनी पार्टनर को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने और दुष्कर्म करने का आरोप है. इंडिया टुडे के रिपोर्टर अभिषेक मिश्रा की ख़बर के मुताबिक जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल जज बेंच ने कहा कि अभी तक पीड़िता का धर्म परिवर्तन तो हुआ ही नहीं है. साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि
“याचिकाकर्ता (जमानत याचिका) और पीड़िता पिछले करीब 4 साल से रिलेशन में थे. तब इस संबंध में (धर्मांतरण का) कोई कानून नहीं था और न ही पीड़िता की तरफ से कोई आपत्ति थी. कानून आने के बाद अचानक से वह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो गईं. पिछले 4 साल में उन दोनों के बीच जो भी संबंध रहे, उसमें पीड़िता स्वेच्छा से शामिल रहीं.”
पीड़िता और आरोपी महोबा के एक मोहल्ले में साथ रहते थे. पीड़िता का आरोप है कि इस दौरान आरोपी ने उसके कुछ आपत्तिजनक फोटोग्राफ्स और वीडियो लिए और बाद में इसके दम पर वो ब्लैकमैल करता था और शारीरिक संबंध बनाता था. इसके अलावा ये बात भी रिकॉर्ड में आया कि पिछले साल 8 दिसंबर को पीड़िता की शादी किसी और व्यक्ति से हो गई थी. शादी के बाद वह दिल्ली चली गई. इसके कुछ समय बाद पीड़िता दिल्ली से वापस उरई आ गई और तब वह आरोपी के साथ थी. इसी के बाद उसने आरोप लगाया कि आरोपी उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाल रहा है. इन सारे तथ्यों को नज़र में रखते हुए कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने का फैसला किया. UP का धर्मांतरण कानून बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार इसी साल जनवरी में धर्मांतरण कानून (Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance, 2020 ) लाई थी. इस कानून के आने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में इसे रद्द करने की मांग को लेकर एक याचिका भी लगी थी. इसके जवाब में सरकार ने कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया, उसमें कहीं भी ‘लव जिहाद’ शब्द का जिक्र नहीं था. हलफनामे के अनुसार लव जिहाद के नाम से किसी को भी गिरफ्तार करने का प्रावधान नहीं है. इस हलफनामे में यूपी सरकार यह समझाने की कोशिश करती दिखती है कि कानून को एक खास वजह से लाया गया है और इसके दुरुपयोग का खतरा नहीं है. सरकार का कहना है कि यह कानून गलत बयानी, ताकत, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, पैसे देकर या दूसरे तरीकों से धोखाधड़ी करने और शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए है.

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