'तनखैया' सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने दी सख्त सजा, वॉशरूम तक साफ करते लेकिन...
Sukhbir Singh Badal को अकाल तख्त ने 30 अगस्त को 'तनखैया' यानी धार्मिक दुराचार का दोषी घोषित किया था. अब उन्हें सजा सुनाई गई है.
अकाल तख्त ने धार्मिक कदाचार मामले में पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को 2 दिसंबर को सजा सुनाई. आजतक के असीम बस्सी की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले 30 अगस्त को अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को 'तनखैया' (धार्मिक दुराचार का दोषी) घोषित किया था. इसमें सुखबीर बादल को साल 2007 और 2017 के बीच 'गलत' राजनीतिक फैसले लेने के जरिये धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया गया था.
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की अध्यक्षता में 2 दिसंबर को इस मामले में अकाल तख्त के पांच सिंह साहिबानों की बैठक हुई. इसके बाद पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सुखबीर सिंह बादल को सजा सुनाई गई. इसके अलावा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दी गई 'फख्र-ए-कौम' उपाधि वापस लेने की घोषणा की गई.
सुखबीर बादल को क्या सजा सुनाई गई है?सुखबीर सिंह बादल को श्री दरबार साहिब (गोल्डन टेंपल) के घंटाघर के बाहर सेवा देनी होगी. इस दौरान उनके गले में तख्ती और हाथ में बरछा रहेगा. ये सजा उन्हें 2 दिन के लिए दी गई है. इसके बाद 2 दिन श्री केशगढ़ साहिब, 2 दिन श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो, 2 दिन श्री मुक्तसर साहिब और 2 दिन श्री फतेहगढ़ साहिब में सेवादारों वाला चोला पहनकर हाथ में बरछा लेकर सेवा देनी होगी.
सुखबीर बादल चोट के चलते ये सेवा व्हीलचेयर पर बैठ कर देंगे. रघबीर सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल को लंगर घर में जाकर 1 घंटे संगत के जूठे बर्तन भी साफ करने होंगे. उन्हें 1 घंटा बैठकर कीर्तन सुनना होगा और श्री सुखमनी साहिब का पाठ करना होगा.
सुखबीर बादल के अलावा उन नेताओं को भी सजा सुनाई गई है, जो साल 2015 की अकाली कैबिनेट के सदस्य थे. इन लोगों को 3 दिसंबर को 12 बजे से लेकर 1 बजे तक गोल्डन टेंपल का वॉशरूम साफ करना होगा. इसके बाद इन्हें पांच दिन अपने मोहल्ले के किसी भी गुरुद्वारे में हर रोज़ 1 घंटे की सेवा करनी होगी. हालांकि दैनिक भास्कर ने बताया है कि वॉशरूम साफ करने की सजा से सुखबीर बादल को छूट मिली है क्योंकि उनका पैर फ्रैक्चर है.
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अकाल तख्त ने क्यों सुनाई है सजा? पूरा मामलाआजतक की रिपोर्ट के मुताबिक अकाल तख्त साहिब के पांच सिंह साहिबानों के सामने सुखबीर बादल ने अकाली सरकार के दौरान हुई ‘भूलों’ को स्वीकार किया था. उन्होंने कहा था, 'हमसे बहुत भूलें हुई हैं. हमारी सरकार के दौरान बेअदबी की घटनाएं हुईं. हम दोषियों को सजा देने में नाकाम रहे, बहबलकलां गोलीकांड हुआ.'
एक मामला गुरमीत राम रहीम के वेशभूषा विवाद से जुड़ा है. साल 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने गुरु गोविंद सिंह की तरह वेशभूषा धारण कर अमृत छकाने का स्वांग रचा था. इसे लेकर राम रहीम के खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान अकाली सरकार ने राम रहीम को सजा दिलाने की जगह राम रहीम के खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए थे.
अकाल तख्त ने कार्रवाई करते हुए राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था. वहीं सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए गुरमीत राम रहीम को माफी दिलवा दी थी. इसके बाद शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराज़गी का सामना करना पड़ा था. अंत में अकाल तख्त ने गुरमीत राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस ले लिया था. साथ ही, सुखबीर सिंह बादल सहित कैबिनेट के अन्य सदस्यों की जवाबदेही तय की थी.
सुखबीर बादल ने भी अकाली सरकार के दौरान डेरा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलाने में अपनी भूमिका स्वीकार की है. अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल की वर्किंग कमिटी को निर्देश दिया है कि वो पार्टी के अध्यक्ष पद से सुखबीर बादल का इस्तीफा 3 दिन के अंदर स्वीकार करे और 6 महीने के अंदर नया अध्यक्ष चुने.
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