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सीरियल ब्लास्ट केस में आरोपी अब्दुल करीम टुंडा बरी, कोर्ट में कौन-सी बात साबित नहीं हो पाई?

Abdul Karim Tunda acquitted : अब्दुल करीम टुंडा पर ISI से ट्रेनिंग लेने और लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करने का भी आरोप है. 1993 में मुंबई-सूरत समेत 5 शहरों में ट्रेन में धमाके हुए थे, उनमें भी था आरोपी, अब कोर्ट में क्या हुआ?

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abdul karim tunda acquited
30 साल पुराने सीरियल ब्लास्ट केस में करीम टुंडा बरी | फाइल फोटो: PTI
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अभय शर्मा
29 फ़रवरी 2024 (Updated: 29 फ़रवरी 2024, 13:45 IST)
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अब्दुल करीम टुंडा. 1993 में 5 शहरों में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में आरोपी. गुरुवार, 29 फरवरी को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया (Abdul Karim Tunda acquitted). दो आतंकवादियों इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी करार दिया गया. इरफान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक 80 साल के अब्दुल करीम टुंडा को सबूतों की कमी के आधार पर बरी किया गए है. हालांकि, गुरुवार को सरकारी वकील से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि टुंडा को किस आधार पर बरी किया गया है, इस पर फैसला देखने के बाद टिप्पणी की जाएगी. टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन तीनों 6 दिसंबर, 1993 को कई ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में आरोपी थे. 20 साल पहले 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने ही मामले में 16 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर बाकी की सजा बरकरार रखी थी, जो जयपुर जेल में बंद हैं.

ट्रेनों में विस्फोट फिर बॉर्डर से अरेस्ट

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. हादसे में सैकड़ों लोग घायल हुए थे, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. सीबीआई ने 1994 में मामले को क्लब करते हुए टाडा कोर्ट अजमेर भेज दिया. इस मामले में करीब 30 साल सुनवाई चली.

सीबीआई ने टुंडा को इन धमाकों का मास्टर माइंड माना था और 2013 में नेपाल बॉर्डर से उसकी गिरफ्तारी हुई थी. टुंडा पर देश की कई अन्य अदालतों में आतंकवाद के मामले चल रहे हैं. उस पर युवाओं को भारत में आतंकवादी गतिविधियां करने के लिए प्रशिक्षण देने का भी आरोप है.

गन फ़टी और ‘टुंडा’ नाम पड़ गया

अब्दुल करीम उर्फ टुंडा उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के कस्बा पिलखुवा का रहने वाला है. वह पिलखुवा कस्बे में कारपेंटर (बढ़ई) का काम करता था. इसके बाद कपड़े का कारोबार करने मुंबई चला गया. मुंबई के भिवंडी इलाके में उसके कुछ रिश्तेदार रहते थे. 1985 में भिवंडी के दंगों में उसके कुछ रिश्तेदार मारे गए. आरोप है कि इसका बदला लेने के लिए उसने आतंकवाद की राह पकड़ी. और 1980 के आसपास वो आतंकी संगठनों के संपर्क में आया.

लश्कर जैसे कुख्यात आतंकी गिरोह से जुड़े होने के आरोपी अब्दुल करीम का नाम टुंडा एक हादसे के बाद पड़ा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1985 में टुंडा राजस्थान के टोंक जिले की एक मस्जिद में कुछ युवाओं को पाइप गन चलाकर दिखा रहा था. तभी गन फट गई, जिसमें उसके एक हाथ का पंजा उड़ गया. इसके कारण उसका नाम टुंडा पड़ गया.

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