इनकी तरकीब से बनी कोविड वैक्सीन, बची करोड़ों की जान, अब मिला नोबेल पुरस्कार
Covid-19 महामारी रोकने के लिए बनाई गई mRNA वैक्सीन के लिए इस बार का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया है
चिकित्सा यानी फिजियोलॉजी के नोबेल (Nobel Prize 2023) पुरस्कार की घोषणा हो गई है. आज, 2 अक्टूबर को ऐलान हुआ कि इस साल का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार कैटेलिन कैरिको (Katalin Kariko) और ड्रू वीज़मैन (Drew Weissman) को मिला है. दोनों को Covid-19 महामारी रोकने के लिए बनाई गई mRNA वैक्सीन को डेवलप करने के लिए ये पुरस्कार दिया गया है.
mRNA वैक्सीनकोरोना वायरस जब हमारे शरीर में फैलता है, तो शरीर के जिस हिस्से पर उसका प्रभाव ज्यादा होता है उसको समझने के लिए mRNA वैक्सीन का फॉर्मूला विकसित किया गया. असल में हमारे शरीर में मौजूद सेल (Cell) यानी कोशिकाओं में DNA मौजूद होता है. इसी DNA को मैसेंजर RNA यानी mRNA के रूप में बदला जाता है. जिस तकनीक से इसे mRNA में बदला जाता है उसे ट्रांसक्रिप्शन (Transcription) कहा जाता है. कैटेलिन कैरिको इस प्रोसेस पर 90 के दशक से काम कर रही हैं.
वहीं ड्रू वीज़मैन भी इस तकनीक पर कैटेलिन कैरिको के साथ काम कर रहे थे. ड्रू एक बेहतरीन इम्यूनोलॉजिस्ट हैं. दोनों ने मिलकर डेंड्रिटिक सेल्स की जांच-पड़ताल की. कोविड मरीजों की इम्यूनिटी पर रिसर्च किया. फिर वैक्सीन से होने वाले इम्यून रिस्पांस को बढ़ाया. जिसके बाद वैक्सीन को पूरी तरह से कोरोना से लड़ने के लिए तैयार किया गया.
कौन हैं दोनों वैज्ञानिक?मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैटेलिन कैरिको का जन्म हंगरी के जोलनोक में साल 1955 में हुआ था. कैरिको ने 1982 में जेगेड यूनिवर्सिटी से PhD की. जिसके बाद उन्होंने हंगरी की एकेडमी ऑफ साइंसेज से पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप पूरी की. कैरिको ने फिलाडेल्फिया की टेंपल यूनिवर्सिटी से अपनी पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च पूरी की. जिसके बाद वो पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गईं. साल 2013 में कैटेलिन BioNTech RNA फार्मास्यूटिकल कंपनी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बन गईं. साल 2021 में कोविड महामारी के दौरान उन्होंने mRNA वैक्सीन विकसित की.
चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार पाने वाले दूसरे वैज्ञानिक ड्रू वीज़मैन का जन्म अमेरिका के मैसाचुसेट्स में साल 1959 में हुआ था. 1987 में उन्होंने बॉस्टन यूनिवर्सिटी से अपनी PhD पूरी की. इसके बाद वहीं से MD की डिग्री हासिल की. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के बेथ इजराइल डिकोनेस मेडिकल सेंटर में वो क्लीनिकल ट्रेनिंग करते रहे. साल 1997 में वीज़मैन ने अपना रिसर्च ग्रुप तैयार किया. इसके बाद उन्होंने पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी स्थित पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन से रिसर्च शुरू किया. फिलहाल वो पेन इंस्टीट्यूट ऑफ RNA इनोवेशन के डायरेक्टर हैं.
(ये भी पढ़ें: इन तीन अमेरिकियों को मिला अर्थशास्त्र का नोबेल, बैंक डूबने से बचाने पर रिसर्च की थी)