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गले में घोंपा 150 साल पुराना त्रिशूल, निकलवाने के लिए 65 किमी दूर पहुंचा बंदा बोला - "दर्द नहीं है"

सर्जरी के लिए डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई.

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150 years old trident pierced through man's throat, man says he has no pain and travels 65 km for surgery
घायल भास्कर और निकाला गया त्रिशूल (फोटो- इंडिया टुडे)
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प्रशांत सिंह
29 नवंबर 2022 (Updated: 29 नवंबर 2022, 13:26 IST)
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पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में दो आदमियों के बीच हुए झगड़े के दौरान एक ने दूसरे की गर्दन में 150 साल पुराना त्रिशूल घोंप दिया. चौंकाने वाली बात ये कि गले में घुसा त्रिशूल लिए लिए घायल शख्स ने 65 किलोमीटर का सफर तय कर लिया. पर उसे कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था जबकि उसकी हालत देखने वालों का कलेजा मुँह को आ रहा था. खबरों में बताया गया है कि उसकी गरदन में त्रिशूल घुंपा हुआ देखकर उसकी बहन बेहोश हो गई.

घायल शख्स भास्कर राम के घर के आसपास ऐसा कोई अस्पताल नहीं है जहां सर्जरी की जा सके इसलिए उसे 65 किलोमीटर दूर की यात्रा करनी पड़ी. पूरे रास्ते त्रिशूल उसके गले में घुसा रहा. भास्कर के परिवार वालों ने बताया है कि ये त्रिशूल उनके घर पर ही रखा हुआ था. भास्कर का परिवार पीढ़ियों से इस त्रिशूल की पूजा किया करता था.

विवाद में घुसा दिया त्रिशूल

रविवार 27 नवंबर की रात कल्याणी के रहने वाले भास्कर राम का किसी व्यक्ति से झगड़ा हो गया और जल्द ही ये झगड़ा हाथापाई में बदल गया. गुस्से में भड़के आदमी ने त्रिशूल के नीचे का नुकीला हिस्सा भास्कर की गरदन में घोंप दिया. इसके बाद भास्कर को 65 किलोमीटर दूर कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. वो भी गले में घुसे त्रिशूल के साथ ही. इंडिया टुडे से जुड़े राजेश साहा की रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल सूत्रों ने बताया,

“मरीज को रविवार रात करीब तीन बजे एनआरएस अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था. उसके गले में त्रिशूल घुसा हुआ था. जांच में पाया गया कि त्रिशूल लगभग 30 सेंटीमीटर लंबा था और 150 साल से ज्यादा पुराना था.”

मामले की गंभीरता को देखते हुए एनआरएस अस्पताल के अधिकारियों ने तुरंत एक कमेटी का गठन किया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ अर्पिता महंती, सुतीर्थ साहा और डॉ मधुरिमा ने एक टीम का गठन किया गया. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रणबाशीष बनर्जी की निगरानी में भास्कर की सर्जरी की गई. घंटों चली सर्जरी के बाद मरीज के गले से आखिरकार त्रिशूल निकाल लिया गया और वो बच गया. डॉ प्रणबशीष ने इंडिया टुडे को बताया,

“मरीज का ऑपरेशन बहुत जोखिम भरा था. लेकिन हमारी टीम ने सफलतापूर्वक सर्जरी की. मरीज की हालत अब स्थिर है.”

डॉ प्रणबशीष ने आगे कहा कि इस तरह के हादसे में मरीज की चंद मिनटों में मौत हो सकती थी. लेकिन भास्कर को जरा सा भी दर्द नहीं महसूस हुआ.

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