यूं तो भारत और पाकिस्तान के बीच 33 सौ किलोमीटर से ज्यादा लम्बी बॉर्डर रेखा है.लेकिन इसका एक छोटा से हिस्सा है , जिससे आप सभी परिचित होंगे. अमृतसर से 32किलोमीटर दूर पड़ने वाला वाघा-अटारी बॉर्डर. जहां हर शाम सूरज डूबने से पहले लोहे काएक दरवाज़ा खुलता है. भारत की तरफ से एक BSF का जवान और पाकिस्तान की तरफ से एकरेंजर परेड करते हुए आते हैं. दोनों का आमना-सामना होता है. हाथ मिलाए जाते हैं.दोनों सिर के बराबर तक पैर उठाते हैं. और तेज आवाज में चिल्लाते हैं. जितनी तेजआवाज और जितना ऊंचा उठा पैर, उतना भौकाल. इधर और उधर, दोनों तरफ भीड़ नारे लगाती है.ऐसा मजमा लगता है कि सालों से वाघा अटारी बॉर्डर सैलानियों के लिए ‘जरूर जानाचाहिए’ वाली जगह बन गयी है. बहरहाल हमारा काम इतिहास बतियाना है. सो आज सोचा किक्यों न पता किया जाए कि ये वाघा अटारी बॉर्डर बना कैसे.