सितम्बर 1972 की बात है. संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में बहस चल रही थी. मुद्दाथा बांग्लादेश. बांग्लादेश की मांग थी कि उसे जनरल असेम्बली का मेंबर बनाया जाए.लाज़मी था कि पाकिस्तान इसका विरोध करता. वो उन्होंने किया. बाक़ायदा पाकिस्तान ने21 मेंबर वाला एक पूरा डेलिगेशन भेजा. लेकिन ख़ास बात ये थी कि इस डेलीगेशन का लीडरएक ऐसा शख़्स था जो चंद महीनों पहले तक बांग्लादेश का नागरिक हुआ करता था. कोई आमनागरिक नहीं, एक रियासत का राजा. इससे भी कमाल की बात सुनिए. ये राजा बौद्ध धर्म कोमानता था. इससे पहले कि आप पूछें बौद्ध राजा अपनी रियासत छोड़कर पाकिस्तान क्योंगया. सबसे अचरज की बात ये थी कि राजा का सामना बांग्लादेश के जिस डेलिगेशन से होनेवाला था, उसे लीड करने वाली महिला राजा की खुद की मां थी. यानी राजमाता. बांग्लादेशयुद्ध के चक्कर में दो मां बेटे आमने सामने कैसे आ गए? एक बौद्ध राजा ने पाकिस्तानके लिए अपनी रियासत क्यों छोड़ दी? इसी से जुड़ी है हमारी आज की कहानी. देखेंवीडियो.