आज 2 दिसंबर की तारीख है. साल 1989 से ये दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा दास प्रथाउन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है. तो इस अवसर पर हमने सोचा आपको एक गुलाम कीकहानी सुनाई जाए. एक गुलाम जिसने साबित किया कि आदमी की नस्ल उसकी किस्मत तय नहींकरती. बल्कि वो अपने तकदीर खुद लिखता है. हम बात कर रहे हैं मलिक अम्बर की. और मलिकअम्बर ने खुद अपनी तकदीर ही नहीं लिखी. वो इतना ताकतवर बन गए कि बादशाहों की तकदीरलिखने लगे. कौन थे मलिक अम्बर और उनका मुगलों से क्या झगड़ा था. चलिए जानते हैं.