आज से करीब 80 साल पहले की बात है. उस समय रियासतों में एक प्रचलित प्रथा थी. सालमें एक बार राजा के यहां बड़ा जलसा होता था. राज्य के सभी बड़े-बड़े अमीर-उमरा,जागीरदार और व्यापारी इकठ्ठा होते थे. लंबी और बड़ी दावतें चलती थीं. इसके बाद येराजा के यहां आए लोग उन्हें नजराना पेश करते थे. सांकेतिक तौर पर राजा को अशर्फीपेश की जाती थी. फिर होता ये था कि राजा अशर्फियां को छूकर ज्यों का त्यों वापस करदेते थे. देश की हर रियासत में यही होता आ रहा था. लेकिन एक ऐसी रियासत भी थी, जहांऐसा दस्तूर नहीं था, यहां जलसा तो होता था, लेकिन इसके बाद वाला बाकी रियासतों सेअलग होता था. यहां नजराना पेश करने के समय राजा अपने सिंहासन के पास एक पोटली बांधलेता था. जैसे ही दरबार में कोई व्यक्ति अशरफी राजा की तरफ बढ़ाता, राजा उसे लपकलेता और पोटली में डाल लेता.